हमारे शरीर में होने वाले हर छोटे-बड़े बदलाव का कोई ना कोई मतलब होता है और कभी ये किसी बड़ी बीमारी का संकेत भी हो सकते हैं.अक्सर ही लोग पेट या पेशाब से जुड़ी समस्याओं को आम समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे बदलावों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है. अगर इनको समय रहते पहचान लिया जाए तो टाइम से इनका इलाज किया जा सकता है.
कुछ लोग रात को बार-बार नींद में से उठकर पेशाब करने जाते हैं, अगर आप इसे नॉर्मल समझ रहे हैं तो ऐसा नहीं है. रात को बार-बार उठकर पेशाब करने जाना भी एक बड़ी बीमारी की चेतावनी हो सकती है. एनेस्थेसियोलॉजिस्ट और इंटरवेंशनल पेन मेडिसिन फिजिशियन डॉ.कुणाल सूद ने भी अपनी सोशल मीडिया पर पोस्ट में इस बारे में जानकारी दी है.
डॉ. सूद ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि अगर एनल पेन, ब्लीडिंग, पेशाब करने में तकलीफ या ब्लैडर कंट्रोल खोना जैसी समस्याएं बवासीर, एनल फिशर, प्रोस्टेट की समस्या या नर्व डैमेज का संकेत हो सकती हैं.
नजरअंदाज न करें यह 5 लक्षण
दर्द के साथ एनल में गांठ और ब्लीडिंग
अगर किडनी के पास दर्द के साथ गांठ और खून आ रहा है तो यह बवासीर (Hemorrhoids) का संकेत हो सकता है. डॉ. सूद के अनुसार, अंदरूनी बवासीर में दर्द नहीं होता लेकिन खून निकलता है, जबकि बाहरी बवासीर में नीली या सूजी हुई गांठ बन जाती है. जो बैठने या साफ करते समय दर्द करती है, अगर दर्द, गांठ और ब्लीडिंग है तो यह थ्रॉम्बोस्ड एक्सटर्नल हेमोरॉयड हो सकता है.
तेज दर्द और लाल खून के साथ मल
अगर टॉयलेट के समय तेज दर्द के साथ चमकीला लाल खून दिखे तो यह एनल फिशर (Anal Fissure) हो सकता है. यह गुदा की स्किन में एक छोटी दरार होती है, जिससे मल त्याग के दौरान तेज दर्द होता है. यह दर्द कई बार घंटों तक बना रहता है, हालांकि खून आमतौर पर हल्का होता है.
पेशाब शुरू करने में मुश्किल या कमजोर फ्लो
अगर आपको पेशाब शुरू करने में दिक्कत होती है या धार कमजोर है तो यह बेनीन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लेसिया (BPH) यानी प्रोस्टेट का बढ़ना हो सकता है. प्रोस्टेट बढ़ने से मूत्रमार्ग पर दबाव पड़ता है, जिससे पेशाब के फ्लो पर असर होता है. धीरे-धीरे ब्लैडर की मसल्स भी कमजोर हो जाती हैं और पेशाब रुक-रुककर आने लगता है.
रात में बार-बार पेशाब लगना
रात में बार-बार पेशाब लगना नॉर्मल नहीं है. डॉ. सूद के मुताबिक, यह ब्लैडर या प्रोस्टेट की समस्या का लक्षण हो सकता है. पुरुषों में यह अक्सर BPH या प्रोस्टेटाइटिस की वजह से होता है, इसके अलावा, किडनी डिजीज, हार्ट फेल्योर, डायबिटीज या स्लीप एपनिया जैसी बीमारियों के कारण भी रात में पेशाब बार-बार लग सकता है, क्योंकि ये शरीर में फ्लूइड बैलेंस को प्रभावित करती हैं.
पेशाब पर कंट्रोल न रहना
अगर आपको पेशाब पर कंट्रोल नहीं रहता, तो यह नर्व या पेल्विक फ्लोर के डैमेज की वजह से हो सकता है. डॉ. सूद बताते हैं कि पेल्विक नर्व या मसल्स के खराब होने से ब्लैडर और स्पिंक्सर्स के बीच का तालमेल बिगड़ जाता है. हालांकि पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज से इसे कुछ हद तक कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन गंभीर मामलों में एक्सपर्ट इलाज की जरूरत पड़ती है.
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