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    कार की डिग्गी में बैठती हैं, स्कूल-पार्क में बैन… तालिबान राज में महिलाओं की घुटनभरी जिंदगी!

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    एक बार फिर तालिबान की ओर से महिलाओं पर लगाई गई पाबंदी की चर्चा हो रही है. 15 अगस्त 2021 को जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था, उसके बाद से लगातार महिलाओं पर अत्याचार बढ़ते ही जा रहे हैं और महिलाओं की आजादी को छिना जा रहा है. ऐसे में आज जानते हैं कि आखिर कुछ सालों में तालिबान में महिलाओं पर कितनी तरह की पाबंदियां लगाई गई हैं…

    बता दे कि तालिबान ने अफगानिस्तान पर 15 अगस्त 2021 को कब्जा किया था और आते ही सबसे पहले सरकारी दफ्तरों में महिलाओं के काम करने पर रोक लगाई. केवल हेल्थ सेवाओं को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में सरकारी महिला कार्यकर्ताओं को घर बैठने को कहा गया.

    23 अगस्त, 2021: महिलाओं को सरकारी या अन्य क्षेत्रों में लीडरशिप वाले पदों पर महिलाओं की नियुक्ति पर पाबंदी लगी.

    6 सितंबर 2021: स्कूलों और यूनिवर्सिटीज में लड़के और लड़कियों के साथ पढ़ने पर रोक लगी और लिंग-आधारित भेदभाव के सख्त नियम लागू हुए.

    18 सितंबर, 2021: सातवीं से बारहवीं कक्षा तक की लड़कियों को ‘सलेबस रिवाइज’ होने तक स्कूल जाने से रोक दिया गया.

    20 सितंबर, 2021: महिलाओं का सार्वजनिक जगहों पर हिजाब पहनना अनिवार्य किया गया, बाद में यह नियम और कड़ा किया गया.

    1 नवंबर 2021: सख्त लैंगिक भेदभाव के साथ यूनिवर्सिटीज फिर से खुलीं. महिलाओं को अलग क्लासरूम में और केवल चुनिंदा सब्जेक्ट्स पढ़ने की अनुमति मिली. उनके लिए यूनिवर्सिटी में एक अलग एंट्रेंस गेट से आना अनिवार्य किया गया.

    23 मार्च 2022: लड़कियों के माध्यमिक स्कूल फिर से खोलने की घोषणा के बाद, तालिबान ने इस फैसले को पलट दिया और लड़कियों को पहले ही दिन कुछ ही देर बाद घर भेज दिया.

    7 मई 2022: महिलाओं को पूरा शरीर ढकने वाले कपड़े पहनने का आदेश दिया गया. आदेश न मानने पर सजा का प्रावधान था.

    15 जुलाई 2022: महिलाओं के सार्वजनिक पार्कों और जिम में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया.

    1 अक्टूबर 2022: तालिबान ने महिलाओं के किसी भी प्रकार के खेल में भाग लेने पर रोक लगाई.

    20 दिसंबर 2022: यूनिवर्सिटी में महिलाओं के पढ़ने पर प्रतिबंध लगा.

    24 दिसंबर 2022: महिलाओं को गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) में काम करने से रोक दिया गया.

    8 जनवरी 2023: महिलाओं के प्राइवेट स्कूलों और संस्थानों में पढ़ाने पर प्रतिबंध लगाया गया.

    1 फरवरी 2023: महिलाओं को सार्वजनिक स्नानागारों में जाने से रोक दिया गया.

    10 फरवरी, 2023: केवल स्वास्थ्य सेवा में कार्यरत महिलाओं के अलावा सरकारी कार्यालय से महिलाओं को बर्खास्त कर दिया गया.

    5 मार्च, 2023: अफगानिस्तान के कुछ प्रांतों में महिलाओं के रोक लगाई गई.

    15 अप्रैल, 2023: महिलाओं के लिए कंप्यूटर, लैंग्वेज और अन्य प्रोफेशनल कोर्सेज के वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर बंद हो गए.

    1 मई, 2023: महिलाओं के किसी पुरुष अभिभावक के बिना लंबी दूरी की यात्रा करने पर प्रतिबंध लगा.

    20 जुलाई, 2023: महिलाओं को मस्जिद जाकर नमाज पढ़ने और अन्य सार्वजनिक धार्मिक समारोह में शामिल होने से रोक दिया गया.

    10 नवंबर 2023: अफगान महिलाओं को अंतर्राष्ट्रीय स्कॉलरशिप या विदेश में पढ़ाई करने के लिए आवेदन करने से प्रतिबंध लगा.

    15 फरवरी 2024: महिला टीवी एंकर्स को काम छोड़ने के लिए मजबूर किया गया. उनकी जगह पुरुष एंकर्स नियुक्त किए गए.

    1 जून 2024: महिलाओं के पार्कों, उद्यानों और सार्वजनिक रिक्रिएशनल क्षेत्रों में प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगा.

    5 अक्टूबर 2024: महिला डॉक्टरों को हर समय एक पुरुष अभिभावक के साथ रहना अनिवार्य किया गया.

    10 अगस्त 2024: महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे सिलाई या घरेलू क्राफ्ट्स जैसे छोटे व्यवसाय बंद करने का आदेश दिया गया.

    3 दिसंबर 2024: तालिबान ने दाई और नर्सिंग ट्रेनिंग सेंटर बंद करने का आदेश जारी किया. इससे अफगानी महिलाओं के लिए शिक्षा और करियर के सभी अवसर खत्म हो गए.

    और भी हैं कई पाबंदियां

    अफगानिस्तान में महिलाओं को औपचारिक राजनीति में शामिल होने की इजाजत नहीं है. साल 2020 तक उनके लिए संसद में 25 प्रतिशत से ज्यादा सीटें आरक्षित थीं और वे राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव भी लड़ सकती थीं. लेकिन आज उनके पास कैबिनेट में कोई पद नहीं है.

    इसके साथ पुरुष टेलर्स को महिलाओं के कपड़े सिलने की इजाजत नहीं है. हालात इतने खराब हैं कि अब महिलाओं को लोग कार की डिग्गी में ले जाने पर मजबूर हो रहे हैं. यह प्रथा दक्षिणी अफगानिस्तान में लैंगिक भेदभाव की कड़वी सच्चाई को उजागर करती है.

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