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    भारत बना ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था का सहारा… करोड़ों के निवेश से अंग्रेजों को मिलेंगी नौकरियां

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    एक दौर था, जब भारत ब्रिटेन का गुलाम था और ब्रिटेन भारत के संसाधनों को लूटकर उन्हें बड़े-बड़े जहाजों से अपने देश ले जाया करता था. इन जहाजों में भारतीय मजदूरों को भी गुलाम बनाकर भेजा जाता था, जिनसे ब्रिटेन की फैक्ट्रियों और कारखानों में मज़दूरी कराई जाती थी. लेकिन एक आज का समय है और आज यही ब्रिटेन भारत से निवेश लेकर जा रहा है और अपने देश में ये बता रहा है कि भारत के निवेश से किस क्षेत्र के लोगों को कितनी नौकरियां मिलने वाली हैं. आंकड़े खुद इसकी गवाही देते हैं…

    क्या कहते हैं आंकड़े?

    भारत की 64 कंपनियों ने ब्रिटेन में 1 बिलियन पाउंड यानी 11 हजार 877 करोड़ रुपये निवेश करने का ऐलान किया है, जिससे ब्रिटेन में लगभग 7 हजार नौकरियां पैदा होंगी. 

    ये भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है कि जिस ब्रिटेन को एक जमाने में ये लगता था कि भारत के लोग उसके बिना इस देश को चलाने में भी सक्षम नहीं है, आज उसी देश से ब्रिटेन निवेश लेकर खुश हो रहा है और अपने देश के लोगों को बता रहा है कि भारतीय निवेश से वहां कितनी नौकरियां पैदा होंगी.

    126 लोगों का डेलीगेशन भी आया साथ

    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर के साथ अब तक का सबसे बड़ा 126 लोगों का एक विशाल प्रतिनिधिमंडल भी भारत आया है, जिसे ब्रिटेन का जम्बो डेलीगेशन भी कहा जा रहा है और आज प्रधानमंत्री मोदी ने इस डेलीगेशन के लोगों से भी मुलाकात की है. सबसे बड़ी बात ये है कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर भारत के इस दौरे को इस साल का सबसे बड़ा ट्रेड मिशन बता रहे हैं और उन्हें भारत के साथ व्यापार को लेकर कई उम्मीदें हैं. उन्हें लगता है कि जो भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, उसके साथ व्यापार बढ़ा कर ब्रिटेन भी अपनी अर्थव्यवस्था को सहारा दे सकता है. सोचिए ये बात भारत को डेड इकोनॉमी बताने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप सुनेंगे तो उन्हें कितना बड़ा जवाब मिल जाएगा.

    भारत से उम्मीद लगाए बैठा है ब्रिटेन

    राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप ने भारत को डेड इकोनॉमी बताकर हमारा अपमान किया था लेकिन आज ये परिस्थितियां खुद उनके दावों की पोल खोल रही हैं. हो सकता है कि बहुत सारे लोगों को ये बात हजम ना हो और वो इसे स्वीकार करने से भी इनकार करें लेकिन सच यही है कि इस वक्त ब्रिटेन को भारत के ग्रोथ इंजन से काफी उम्मीदें हैं.

    एक तरफ भारत है, जो दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और अप्रैल से जून की तिमाही में हमारा जीडीपी ग्रोथ रेट 7.8 प्रतिशत रहा है, जिसके आस-पास एक भी पश्चिमी देश नहीं है. ब्रिटेन की आर्थिक हालत तो इतनी खराब है कि, उसका जीडीपी ग्रोथ रेट 0.3 प्रतिशत पर पहुंच गया है.

    पश्चिम के सामने सीना तान कर खड़ा भारत

    भारत ने सितंबर 2022 में ही ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ दिया था और आज हम दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और ब्रिटेन छठे स्थान पर है.

    इसके अलावा Goldman Sachs ऐंड Visual Capitalist का अनुमान है कि साल 2075 में भारत अमेरिका से बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और दुनिया में दूसरे स्थान पर होगा जबकि अमेरिका तीसरे और ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 10वें स्थान पर पहुंच जाएगी. और ये हमें डेड इकोनॉमी कहते हैं. आज हकीकत ये है कि चाहे बात आर्थिर स्थिरता की हो या राजनीतिक स्थिरता की, भारत के हालात पश्चिमी देशों से कहीं बेहतर है.

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    साल 2014 से 2025 के बीच ब्रिटेन में 6 प्रधानमंत्री बन चुके हैं जबकि भारत में 2014 से अब तक नरेंद्र मोदी ही देश की बागडोर संभाल रहे हैं और हम राजनीतिक स्थिरता में भी इनसे बेहतर हैं. 

    आपको बता दें कि गुरुवार को मुंबई में आयोजित फिन-टेक फेस्ट में प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर एक ही कार से पहुंचे और इस कार पूल की प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ तस्वीरें भी साझा की हैं.

    इतना बड़ा प्रतिनिधिमंडल लेकर भारत क्यों आए किएर स्टार्मर?

    इसका बड़ा कारण ये है कि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था लगातार खराब प्रदर्शन कर रही है और वहां आने वाले दिनों में बजट पेश होना है. इस बजट को पेश करने से पहले प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर अपने देश के लोगों को ये भरोसा दिलाना चाहते हैं कि उनकी सरकार ने भारत जैसे बड़े देश और बाजार के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के बाद ट्रेड डील और निवेश पर कई बड़े फैसले लिए हैं.

    वो भारत को अपने साथ दिखाकर ब्रिटेन के लोगों का भरोसा जीतना चाहते है और यही है नए भारत की असली ब्रांड वैल्यू. आज ब्रिटेन ने ऐलान किया है कि वो संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता को समर्थन देगा. इस दौरान ये फैसला भी हुआ है कि ब्रिटेन की 9 यूनिवर्सिटीज भारत में अपने कैंपस खोलेंगी और सोचिए ब्रिटेन के बड़े बड़े उद्योगपति और यूनिवर्सिटीज के वाइस चांसलर भारत आए हैं और वो ये कह रहे हैं कि भारत में इस वक्त Opportunities की खदानें हैं.

    जैसे इस बार ब्रिटेन की 14 यूनिवर्सिटीज के वाइस चांसलर प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर के साथ भारत आए हैं और उनका कहना है कि 2035 तक भारत में 7 करोड़ बच्चे विश्वविद्यालयों में पढ़ते होंगे और इसलिए वो यहां अपनी यूनिवर्सिटीज के कैंपस खोल रही हैं.

    भारत-ब्रिटेन के बीच हुईं कई डील

    भारत और ब्रिटेन के बीच एक और डील हुई है, जिसके ब्रिटेन भारत को लाइटवेट मल्टीरोल मिसाइल देगा, जिसे Martlets भी कहते हैं. इन मिसाइलों का वज़न सिर्फ 13 किलोग्राम होता है और इनकी मारक क्षमता 6 किलोमीटर से ज्यादा होती है और इनकी स्पीड धव्नि की गति से डेढ़ गुना होती है. इस डील की लागत 4 हजार 1287 करोड़ रुपये होगी और फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से भी दोनों देशों को काफी फायदे होने वाला है.

    अभी तो ये सिर्फ शुरुआत है और आप आगे आगे देखिए होता है क्या और कैसे बाकी पश्चिमी देश भी भारत की तरफ रुख करेंगे और इनमें यूरोपीयन यूनियन के साथ हमारा फ्री ट्रेड एग्रीमेंट अंतिम चरण में है और दिसंबर तक इस पर भी सहमति बन सकती है.

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