‘एक छोटे से कमरे में हम एक दर्जन लोग थे, इस कमरे में हमारे साथ वो जानवर भी रहते थे, जिन्हें हम पालते थे. मैं रिफ्यूजियों के परिवार में पैदा हुआ था और मेरे माता-पिता मुश्किल से पढ़ लिख सकते थे.’ ये जिंदगी की कहानी उस फिलीस्तीनी रिफ्यूजी की है जो वर्षों से वैज्ञानिक हैं और इस बार उन्हें रसायनशास्त्र में अद्भुत खोज के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया है. ये खोज रेगिस्तान की हवा से पानी निकालने से जुड़ी है.
जॉर्डन में एक फिलीस्तीनी रिफ्यूजी के घर 1965 में पैदा हुए उमर एम. याघी की कहानी आशाओं के मुस्कुराने की दास्तान है. 60 के दशक में जब पश्चिम एशिया आज की तरह ही हिंसा से झुलसा हुआ था तो जॉर्डन के अम्मान में एक बालक एक गरीब घर में जन्मा.
नोबेल के लिए चयनित होने के बाद एक इंटरव्यू में 60 साल के उमर एम. याघी ने कहा कि हमारे घर में बिजली नहीं थी, नल से पानी आने का तो सवाल ही नहीं था. मेरे पिता छठी क्लास तक पढ़े थे, मां न तो पढ़ सकती थी, न लिख पाती थी.
इसी माहौल में उमर एम याघी का विज्ञान से रोमांस तब शुरू हुआ जब वे मात्र 10 साल के थे. याघी एक दिन अपने स्कूल के उस पुस्तकालय में पहुंच गए जो अममून बंद रहता था. यहां एक किताब में उन्होंने पहली बार परमाणु संरचना के मॉडल की तस्वीर देखी. इस ‘मामूली’ तस्वीर ने उनके जिज्ञासु मन को कई सवालों पर सोचने को मजबूर कर दिया. याघी कहते हैं, “मुझे उनसे प्यार हो गया, इससे पहले कि मैं जानता कि वे परमाणु हैं.”
नोबेल विजेता एम याघी कहते हैं ये एक अच्छी खासी यात्रा रही है. वैसी यात्रा जिसकी यात्रा उन्होंने विज्ञान के दम पर की.
Susumu Kitagawa, Richard Robson and Omar Yaghi were awarded the Nobel Prize in Chemistry today, bringing the total number of chemistry laureates to 198. Only two people have been awarded the prize twice – Frederick Sanger and Barry Sharpless.
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— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 8, 2025
15 साल की उम्र में अपने सख्त पिता की सलाह पर एम याघी संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए. उनके पिता भले ही कम पढ़े-लिखे थे, लेकिन उनके अंदर अपने बेटे के टैलेंट को पहचानने की क्षमता थी. इस समय तक युवा याघी का आणविक संरचनाओं के प्रति शुरुआती रोमांस अब ‘गंभीर आकर्षण’ में बदल चुका था.
अमेरिका की सरकारी स्कूलिंग सिस्टम ने याघी के फलने-फूलने में काफी मदद की.
अमेरिकी स्कूलिंग सिस्टम की तारीफ करते हुए नोबेल विजेता याघी ने कहा, “यह कामयाबी वास्तव में अमेरिका में सार्वजनिक स्कूल प्रणाली की शक्ति का प्रमाण है, जो मेरे जैसे वंचित पृष्ठभूमि, शरणार्थी पृष्ठभूमि वाले लोगों को स्वीकार करती है, और आपको काम करने, कड़ी मेहनत करने और खुद को अलग पहचान दिलाने का अवसर देती है.”
उन्होंने न्यूयॉर्क के अपस्टेट स्थित एक कम्युनिटी कॉलेज से पढ़ाई शुरू की और फिर अल्बानी स्थित स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यूयॉर्क में अपनी डिग्री पूरी की. यहां उन्होंने किराने का सामान पैक करके और फर्श पोंछकर अपना गुजारा किया.
याघी ने 1990 में अर्बाना-शैंपेन स्थित इलिनोइस विश्वविद्यालय से अपनी पीएचडी पूरी की और 2012 में यूसी बर्कले पहुंचने से पहले कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों में काम किया. अभी याघी यूसी बर्कले में साइंटिस्ट हैं.
दो वैज्ञानिकों संग जीता नोबेल
2025 के केमिस्ट्री नोबेल पुरस्कारों की घोषणा हो चुकी है. इस पुरस्कार को याघी ने जापान के सुसुमु कितागावा और ब्रिटेन में जन्मे रिचर्ड रॉबसन के साथ मिलकर जीता है. ये पुरस्कार इन वैज्ञानिकों को Metal–organic frameworks (MOFs) पर उनकी अभूतपूर्व खोजों के लिए मिला है.
किस खोज के लिए मिला केमिस्ट्री का नोबेल
आसान शब्दों में मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स ऐसी तकनीक है जो हवा से पानी निकालने (वाटर हार्वेस्टिंग) में क्षेत्र में क्रांतिकारी हैं, क्योंकि इनके नैनो-छिद्र हवा में मौजूद नमी को प्रभावी ढंग से सोख सकते हैं, यहां तक कि कम आर्द्रता (20-30%) वाले रेगिस्तानी क्षेत्रों में भी पानी निकाल सकते हैं. एम याघी ने इसी प्रयोग के द्वारा अमेरिका के एरिजोना मरुस्थल में वाटर हार्वेस्टिंग में कामयाबी पाई है.
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