More
    HomeHomeइटली में लग सकता है बुर्के पर बैन, क्या यूरोप में दक्षिणपंथ...

    इटली में लग सकता है बुर्के पर बैन, क्या यूरोप में दक्षिणपंथ का नया चेहरा बन जाएगा ये देश?

    Published on

    spot_img


    किसी वक्त पर यूरोप की कमजोर कड़ियों में गिना जाता इटली अब उसके प्रतिनिधि की तरह देखा जा रहा है. वहां की पीएम जॉर्जिया मेलोनी दक्षिणपंथी लीडर हैं, जो इटली फर्स्ट की नीति पर जोर देती रहीं. इस बीच धार्मिक और सांस्कृतिक कट्टरता पर भी निशाना साधा गया. हाल में सत्ता दल ब्रदर्स ऑफ इटली ने कहा  कि जल्द ही सार्वजनिक स्थानों पर बुरके पर प्रतिबंध लग जाएगा. ऐसे कई बयानों के बीच इटली  दक्षिणपंथी राजनीति की आवाज बन रहा है. लेकिन बाकी मोर्चों पर ये देश यूरोप में किस पायदान पर है?

    बुर्का बैन बिल के प्रमुख सांसद आंद्रेआ डेलमास्त्रो ने कहा कि धार्मिक आजादी बहुत जरूरी है लेकिन इसकी प्रैक्टिस संविधान और देश के नियमों के मुताबिक ही होनी चाहिए. इस परिधान की वजह से इटली में कल्चरल डिवाइड आ रहा है, जो नहीं होना चाहिए. 

    यह पाबंदी सभी सार्वजनिक जगहों, जैसे स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और दुकानों-सड़कों पर चेहरे को ढकने वाले कपड़ों के पहनने पर लागू होगी. अगर कोई नियम तोड़े तो उसे तीन सौ से लेकर तीन हजार यूरो तक जुर्माना देना पड़ सकता है. 

    यहां यह भी साफ किया जा रहा है कि लोगों को बुर्के या धार्मिक आस्था से दिक्कत नहीं, समस्या ये है कि बुर्के या जबरन शादी जैसे तौर-तरीकों से अलगाववाद आ रहा है. इसके जरिए महिलाओं को सार्वजनिक जीवन से अलग किया जा रहा है. फिलहाल देश की कुल आबादी लगभग 60 मिलियन है, जिसमें चार से पांच प्रतिशत मुस्लिम हैं. यह एक बड़ा नंबर है, जिसका अलग-थलग होना दिखेगा भी. यही वजह है कि राजनीतिक संदेश की तरह ये बिल लाया जा रहा है. 

    सत्ता दल ब्रदर्स ऑफ इटली सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का बैन कर सकता है. (Photo- Reuters)

    यह प्रस्ताव एक बड़े बिल का हिस्सा है, जिसका मकसद कथित सांस्कृतिक अलगाववाद रोकना है. इसमें मस्जिदों की फंडिंग पर कंट्रोल से लेकर जबर्दस्ती होने वाली शादियों पर कानून तक शामिल हैं. इसके अलावा, जो धार्मिक संगठन सरकार से मान्यता के बगैर चल रहे हैं, उन्हें बताना होगा कि उनकी फंडिंग कहां से और कैसे हो रही है. 

    इस कानून का आइडिया फ्रांस से लिया गया, जो साल 2011 में बुरके पर पूरी तरह बैन लगाने वाला पहला यूरोपीय देश बना. इसके बाद बेल्जियम, डेनमार्क, स्विट्जरलैंड जैसे कई देशों ने चेहरा ढंकने पर पूरा या आंशिक प्रतिबंध लगा दिया. 

    फिलहाल इटली यूरोप में इस्लामिक अलगाववाद पर सबसे मुखर और सख्त रुख अपनाने वाले देशों में है. वहां की लीडर मेलोनी समेत सत्ता पक्ष खुलकर कहता है कि देश में मुस्लिम समुदाय और उनकी सांस्कृतिक प्रथाओं से जुड़ी अलगाववादी गतिविधियों को रोका जाना चाहिए. पाबंदी फ्रांस ने भी लगाई और कई दूसरे देशों ने भी, लेकिन उनके प्रतिबंध वैसे सख्त नहीं थे. वहीं इटली घालमेल की बजाए सीधी बात कर रहा है. 

    उसकी मुखरता की यूरोप में तारीफ भी हो रही है. दक्षिणपंथी नेता इसे देश की सुरक्षा के लिए जरूरी मान रहे हैं. उदाहरण के लिए हंगरी के पीएम विक्टर ऑर्बन से लेकर फ्रांस के भी कई नेताओं ने मेलोनी की पहल की तारीफ की. 

    italy religious extremism (Photo- Pexels)
    इटली में सांस्कृतिक अलगाववाद को लेकर काफी आवाजें उठ रही हैं. (Photo- Pexels)

    इधर कुछ सालों से यूरोप के कई देशों में कट्टरता के खिलाफ गुस्सा दिखने लगा. कहीं-कहीं दावा किया जा रहा है कि यूरोप ने रोक नहीं लगाई तो इस्लामिक कट्टरता यूरोपियन पहचान को खत्म कर देगी. इस बीच इटली की उग्रता में यूरोप को अपना नेता दिख रहा है. लेकिन यहां ये सवाल भी है कि आखिर इटली खुद कितना तैयार है कि इतनी बड़ी जिम्मेदारी ले सके. 

    इटली की पीएम मेलोनी पुराने राजनेताओं से ज्यादा आक्रामक और शार्प दिख रही है. वे बड़े मंच पर भी अपनी बात उतना ही खुलकर रखती हैं. इसके अलावा, उन्होंने यूरोपीय संघ के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखे हैं, जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध में इटली ने यूरोप और नाटो की लाइन को समर्थन दिया. इससे लगता है कि इटली बड़ी तस्वीर पर काम कर रहा है. 

    राजनीतिक नेतृत्व के साथ-साथ आर्थिक तैयारी भी यूरोप का लीडर बनने के लिए जरूरी है. इटली पिछले कुछ सालों से कमजोर रहा. लेकिन अब इकनॉमी सुधर रही है. टूरिज्म भी बढ़ा. हालांकि बूढ़ी होती आबादी अब भी बड़ी चुनौती है. इटली में इसपर भी काम हो रहा है. 

    अगर बात यूरोप में राजनीतिक और वैचारिक नेतृत्व की हो तो साफ है कि इटली धीरे-धीरे कई राइट-विंग देशों की जगह ले सकता है. हंगरी और पोलैंड जैसे देश दक्षिणपंथ की तरफ रहे, लेकिन ये छोटे देश हैं और ईयू में बड़ा असर नहीं रखते. वहीं इटली, जो यूरोप की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, राजनीतिक और आर्थिक दोनों तरह से अपना असर बढ़ा रहा है. इधर फ्रांस की मुख्यधारा अभी भी लिबरल और सेंटर-राइट के बीच अटकी है. ऐसे में चुनिंदा बड़े कदमों के बाद भी वो तस्वीर में पीछे का चेहरा बनकर रह सकता है. 

    —- समाप्त —-



    Source link

    Latest articles

    Aziz Ansari Defends Riyadh Comedy Festival Participation During ‘Jimmy Kimmel Live!’ Interview

    The the recent Riyadh Comedy Festival controversy made its way to Jimmy Kimmel...

    8 iconic films of Rekha every Bollywood fan must watch

    iconic films of Rekha every Bollywood fan must watch Source...

    Dubai deploys 63 new ‘City Inspectors’ to start work on food, sanitation, safety and compliance checks | World News – The Times of India

    Dubai’s 63 City Inspectors are now on the ground, checking restaurants, public...

    ERL Resort 2026 Collection

    Per Eli Russell Linnetz, you should view this lookbook less in a G.I....

    More like this

    Aziz Ansari Defends Riyadh Comedy Festival Participation During ‘Jimmy Kimmel Live!’ Interview

    The the recent Riyadh Comedy Festival controversy made its way to Jimmy Kimmel...

    8 iconic films of Rekha every Bollywood fan must watch

    iconic films of Rekha every Bollywood fan must watch Source...

    Dubai deploys 63 new ‘City Inspectors’ to start work on food, sanitation, safety and compliance checks | World News – The Times of India

    Dubai’s 63 City Inspectors are now on the ground, checking restaurants, public...