देश के कई हिस्सों में बच्चों की मौतों के मामले से पूरे देश में चिंता का माहौल है. चिंता उस कफ सिरप को लेकर है जिसे पीने से 20 मासूमों की जान चली गई. लेकिन इस मामले में नया खुलासा चौंकाने वाला है. CDSCO ने साल 2023 में ही चेतावनी दे दी थी कि चेन्नई की कंपनी श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स का कफ सिरप Coldrif 4 साल से छोटे बच्चों को नहीं दिया जाना चाहिए. बावजूद इसके निर्माता ने लेबल पर चेतावनी नहीं लगाई और अब इस लापरवाही का खामियाजा मध्य प्रदेश और राजस्थान के बच्चों की जानों के रूप में सामने आया है.
आजतक को मिले 2023 के आदेश के अनुसार, फिक्स्ड-डोज़ कॉम्बिनेशन (FDC) – क्लोर्फेनिरामिन मेलिएट IP 2mg + फेनिलईफ्रिन HCL IP 5mg को चार साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दिया जाना चाहिए और इसे लेबल पर स्पष्ट चेतावनी के साथ दिखाने के निर्देश दिए गए थे.
लेकिन चेन्नई स्थित श्रीसन फार्मा ने इस निर्देश का पालन नहीं किया. कंपनी का कफ सिरप Coldrif, जिसमें वही FDC है, वो कई बच्चों की मौतों से जुड़ा है.
कई स्तरों की लापरवाही उजागर
CDSCO के तहत सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी (SEC) ने विशेष रूप से निर्देश दिया था कि निर्माता इस चेतावनी को पैकेजिंग पर स्पष्ट रूप से दिखाएं. लेकिन पालन न होने से न केवल केंद्रीय निर्देश का उल्लंघन हुआ, बल्कि डॉक्टरों द्वारा उम्र सीमा से कम बच्चों को सिरप लिखे जाने की संभावना भी बनी रही..
राज्य और केंद्र के बीच राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज होने के बीच लापरवाही के कई स्तर सामने आए हैं:
– निर्माता कंपनियों की गैर-पालना
– राज्य प्राधिकरणों द्वारा कमजोर निगरानी
– डॉक्टरों द्वारा प्रिस्क्रिप्शन प्रोटोकॉल का पालन न करना
सूत्रों के अनुसार, कई अन्य निर्माता जिनके सिरप में यही FDC है और जिन्होंने लेबल चेतावनी नहीं लगाई, अब सीधे जांच के दायरे में हैं.
भ्रष्ट और कमजोर नियमन पर सवाल
इस मामले ने भारत की विभाजित दवा नियमन प्रणाली पर बहस फिर से शुरू कर दी है, जहां केंद्रीय आदेश अक्सर राज्य अधिकारियों और कंपनियों द्वारा अनदेखा किए जाते हैं, जिससे बच्चों की सुरक्षा में गंभीर कमी आ जाती है. सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता और लेखक दिनेश ठाकुर ने सोशल मीडिया पर लिखा कि हाल में लोकसभा से पास हुआ जन विश्वास 2023 बिल उद्योग की लंबी मांग पूरी करता है. इसके तहत यदि किसी ने घटिया दवा से शारीरिक नुकसान उठाया, तो कंपनी पर सजा नहीं होगी.
ठाकुर ने आगे कहा कि Pharmacy Act, 1948 की सेक्शन 42 के तहत फार्मासिस्ट को ‘दवा तैयार, मिश्रण या वितरित करने’ की जिम्मेदारी होती थी. जन विश्वास बिल ने इस प्रावधान को भी अपराध मुक्त कर दिया, जिससे पहले छह महीने की जेल सजा अब केवल 1 लाख रुपये जुर्माना में बदल गई.
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