आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने अपनी चुनावी तैयारियों में तेजी ला दी है. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, भूपेश बघेल और लोकसभा में पूर्व कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को बिहार चुनाव के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षक (Senior Observers) नियुक्त किया है.
कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल द्वारा जारी बयान में कहा गया, “कांग्रेस अध्यक्ष ने तत्काल प्रभाव से आगामी बिहार विधानसभा चुनावों के लिए अशोक गहलोत, भूपेश बघेल और अधीर रंजन चौधरी को एआईसीसी के वरिष्ठ पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया है.”
साथ ही कांग्रेस ने राज्य के प्रत्येक जिले में चुनावी गतिविधियों की निगरानी के लिए 41 जिला चुनाव पर्यवेक्षकों (District Election Observers) की भी घोषणा की है. ये सभी नेता अपने-अपने आवंटित जिलों में संगठन को मजबूत करने, उम्मीदवार चयन प्रक्रिया की समीक्षा करने और जमीनी स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय साधने का काम करेंगे.
कांग्रेस द्वारा नियुक्त 41 जिला चुनाव पर्यवेक्षकों की सूची इस प्रकार है-
1. अविनाश पांडे
2. कमलेश्वर पटेल
3. हरीश चौधरी
4. काज़ी निज़ामुद्दीन
5. अजय कुमार लल्लू
6. भक्त चरण दास
7. अजय राय
8. शुभंकर सरकार
9. सतेज बंटी पाटिल
10. ईशा खान चौधरी
11. तनुज पुनिया
12. प्रदीप जैन आदित्य
13. अनिल चौधरी
14. अभिषेक दत्त
15. रामकिशन ओझा
16. सत्यनारायण पटेल
17. बी.वी. श्रीनिवास
18. डॉ. विक्रांत भूरिया
19. पोंगुलेट्टी श्रीनिवास रेड्डी
20. राधाकृष्ण किशोर
21. इरफान अंसारी
22. दीपिका पांडे सिंह
23. राणा गुरजीत
24. अशोक चंदाना
25. विश्वजीत कदम
26. रामलाल जाट
27. जयसिंह अग्रवाल
28. रफीक खान
29. दिनेश गुर्जर
30. अभिमन्यु पुनिया
31. हिना कावरे
32. वीरेंद्र राठौड़
33. संजय कपूर
34. रोहित चौधरी
35. अमित सिहाग
36. विपिन वानखड़े
37. नीरज दीक्षित
38. प्रवीन पाठक
39. करण सिंह उचियाडा
40. अनिल चोपड़ा
41. चेतन चौहान
ये होगी पर्यवेक्षकों की जिम्मेदारी
इन पर्यवेक्षकों का दायित्व पार्टी के चुनावी अभियान, प्रचार रणनीति और संगठनात्मक समन्वय को मजबूत करना होगा. वरिष्ठ पर्यवेक्षक अशोक गहलोत, भूपेश बघेल और अधीर चौधरी सभी जिला टीमों के कार्यों की समीक्षा करेंगे और सीधे हाईकमान को रिपोर्ट करेंगे. बिहार में वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस इस बार महागठबंधन के साथ मिलकर सत्ता में वापसी की कोशिश में है. पार्टी को उम्मीद है कि अनुभवी नेताओं की तैनाती से संगठन को नई ऊर्जा मिलेगी और बूथ स्तर तक एकजुटता बढ़ेगी.
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