तमिलनाडु में सिनेमा शुरू से ही सामाजिक और राजनीतिक संदेशों का माध्यम रहा है. दक्षिण भारत के इस राज्य में फिल्मी सितारे हमेशा से राजनीति में काफी प्रभावशाली रहे हैं. थलपति विजय, जिनका असली नाम जोसेफ विजय चंद्रशेखर है, इसी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. उनकी गिनती तमिल सिनेमा के सबसे बड़े सुपरस्टारों में से एक के रूप में होती है. उनका जन्म 22 जून, 1974 को चेन्नई में हुआ था. उन्होंने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में की थी और तीन दशकों से अधिक समय में 68 से ज्यादा तमिल फिल्मों में काम कर चुके हैं.
उनकी फिल्में जैसे मर्सल, सरकार, मास्टर और लियो ने बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़े हैं और वह भारत के सबसे ज्यादा कमाई करने वाले अभिनेताओं में शुमार हैं. विजय को ‘थलपति’ टाइटल उनके फैंस ने दिया है, तमिल में जिसका मतलब ‘कमांडर’ या ‘लीडर’ होता है. विजय के करोड़ों प्रशंसक (फैन बेस) हैं और वह युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं. उन्होंने अपनी फिल्मों के माध्यम से सामाजिक मुद्दों जैसे भ्रष्टाचार, स्वास्थ्य सुधार और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर आवाज उठाई है, जो उनकी राजनीतिक यात्रा का आधार बने.
फैन क्लब को राजनीतिक पार्टी में बदला
विजय ने अपने फैन क्लब ‘विजय मक्कल इयाक्कम’ को अपनी राजनीतिक पार्टी का आधार बनाया, जो पहले स्थानीय चुनावों में सफल रही थी. फरवरी 2024 में विजय ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को औपचारिक रूप दिया और तमिलगा वेत्री कझगम (TVK) नाम से राजनीतिक पार्टी की स्थापना की, जिसका हिंदी में शाब्दिक अर्थ है ‘तमिलनाडु की विजयी सभा’. विजय की पार्टी का उद्देश्य 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करना और राज्य में मौलिक राजनीतिक बदलाव लाना है. टीवीके को चुनाव आयोग ने सितंबर 2024 में आधिकारिक रूप से पंजीकृत कर लिया. विजय ने 22 अगस्त, 2024 को अपनी पार्टी का ध्वज लॉन्च किया, जो समानता, विकास और न्याय के सिद्धांतों को दर्शाता है. टीवीके का पहला बड़ा सम्मेलन अक्टूबर 2024 में विक्रावंडी में हुआ, जिसमें 8 लाख से ज्यादा लोग जुटे थे.
टीवीके की राजनीतिक विचारधारा क्या है?
विजय अपनी राजनीतिक विचारधारा धर्मनिरपेक्ष सामाजिक न्याय (सेकुलर सोशल जस्टिस) पर आधारित बताते हैं. वह समानता, धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र और दो-भाषा नीति (तमिल और अंग्रेजी) का समर्थन करते हैं. विजय अपनी पार्टी के वैचारिक स्तंभ पेरियार, डॉ. बीआर अम्बेडकर, के. कामराज, वेलु नाचियार जैसे तमिल नेताओं को मानते हैं. लेकिन वह पेरियार के ‘नास्तिकता’ (भगवान में आस्था नहीं रखना) वाले रुख को अपनाने से इनकार करते हैं. विजय BJP को अपना ‘वैचारिक विरोधी’ बताते हैं और इसे फासीवादी और विभाजनकारी मानते हैं. डीएमके को वह अपना ‘राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी’ कहते हैं और उस पर भ्रष्टाचार को बढ़ाना देने वाली और वंशवादी राजनीति पार्टी होने का आरोप लगाते हैं. टीवीके जाति और भ्रष्टाचार मुक्त, पारदर्शी और कुशल प्रशासन का वादा करती है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विजय की पार्टी टीवीके द्रविड़ विचारधारा और तमिल राष्ट्रवाद का मिश्रण है.
तमिलनाडु के चुनाव में TVK की संभावनाएं
तमिलनाडु में 2026 की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं. विजय की टीवीके ने राज्य की सभी 234 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. विजय खुद मदुरई ईस्ट से चुनाव लड़ेंगे. टीवीके ने उन्हें अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया है. पार्टी का दावा है कि वह डीएमके को टक्कर देगी. टीवीके ने 70,000 से ज्यादा बूथ-लेवल एजेंट तैनात करने का लक्ष्य रखा है और कई पूर्व विधायकों, प्रशासनिक अधिकारियों को अपने साथ जोड़ा है.
विजय का विशाल फैन बेस (85,000 से ज्यादा फैन क्लब) उनकी पार्टी का मजबूत पक्ष है. वह युवाओं और पहली बार के वोटरों के बीच काफी लोकप्रिय है. 2021 के स्थानीय चुनावों में उनके फैन क्लब ‘विजय मक्कल इयाक्कम’ ने 169 में से 115 सीटें जीतीं. वह युवाओं के समर्थन और डीएमके सरकार के खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी वेव का फायदा उठा सकते हैं. तमिलनाडु की राजनीति DMK-AIADMK के द्विध्रुवीय दबदबे वाली है.
टीवीके नई पार्टी है, संगठनात्मक ढांचा अभी कमजोर है. कुछ राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि विजय की पार्टी का वोट शेयर 10-15% से ज्यादा नहीं होगा. लेकिन यह DMK और AIADMK के वोट जरूर काटेगी. साथ ही बीजेपी के साथ वैचारिक टकराव के कारण दक्षिणपंथी और राष्ट्रवादी विचारधारा की ओर झुकाव रखने वाले मतदाताओं के बीच पैठ बनाने में विजय की पार्टी को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. हाल के रैलियों (जैसे मदुरई में) में भारी भीड़ जुटी है, लेकिन इस भीड़ को वोट में तब्दील करना टीवीके के लिए एक बड़ी चुनौती है.
क्या एमजीआर की तरह सफल होंगे विजय?
हालांकि, तमिलनाडु का राजनीतिक इतिहास देखते हुए अगर टीवीके राज्य में डीएमके और एआईएडीएमके बाद तीसरी बड़ी पार्टी बन जाए तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी. अगर विजय की पार्टी ने अपना संगठन मजबूत कर लिया, तो उसके लिए 20-30% के बीच वोट शेयर हासिल करना संभव है. लेकिन इतने वोट शेयर से वह अकेले दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाएगी और गठबंधन की गुंजाइश बनी रहेगी. आगामी विधानसभा चुनाव तमिलनाडु की राजनीति को नया मोड़ दे सकता है. क्या विजय, एमजीआर की तरह चुनावी राजनीति में सफल होंगे या कमल हासन बनकर रह जाएंगे, यह 2026 के नतीजे ही बताएंगे.
तमिलनाडु की राजनीति और फिल्मी सितारे
सीएन अन्नादुरै
तमिलनाडु की राजनीति में फिल्म सितारों का प्रभाव एक अनूठा और गहरा इतिहास रखता है. तमिल सिनेमा और राजनीति का गठजोड़ दशकों पुराना है, जो द्रविड़ आंदोलन और तमिल पहचान से गहराई से जुड़ा है. इसकी शुरुआत सी. एन. अन्नादुरै (कोंजीवरम नटराजन अन्नादुरै) से होती है, जिन्होंने 1949 में द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK) की स्थापना की और 1967 में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने. यह पहली बार था जब सिनेमा से जुड़े व्यक्ति ने इतना बड़ा राजनीतिक प्रभाव बनाया.
एमजी रामचंद्रन
अन्नादुरै के बाद एम. जी. रामचंद्रन आए, जिन्हें MGR के नाम से जाना जाता है. वह तमिल सिनेमा के पहले सुपरस्टार थे. MGR की फिल्मों में उनकी छवि गरीबों, किसानों और मजदूरों के लिए लड़ने वाले नायक की थी. उन्होंने 1972 में डीएमके से अलग होकर अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (ADMK, बाद में AIADMK) बनाई. 1977 में वह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने और 1977-1987 तक सत्ता में रहे. उनकी कल्याणकारी योजनाएं, जैसे मिड-डे मील स्कीम और करिश्माई छवि ने उन्हें जनता का मसीहा बनाया. एमजीआर ने साबित किया कि सिनेमा की लोकप्रियता को वोट में बदला जा सकता है.
जे. जयललिता
जे. जयललिता, MGR की को-स्टार और तमिल सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री थीं. उन्होंने 1960-70 के दशक में कई हिट फिल्में दीं. उनकी सशक्त और करिश्माई स्क्रीन छवि थी. MGR की मृत्यु (1987) के बाद जयललिता ने AIADMK का नेतृत्व संभाला. वह 1991-2016 तक छह बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं. उनकी योजनाएं, जैसे अम्मा कैंटीन और अम्मा स्वास्थ्य योजना, ने गरीबों और महिलाओं में उनकी लोकप्रियता बढ़ाई. जयललिता ने सिनेमा की अपनी ग्लैमरस छवि को सशक्त प्रशासक की छवि में बदला. वह तमिलनाडु की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं.
एम. करुणानिधि
डीएमके के दिग्गज नेता और मौजूदा मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के पिता एम. करुणानिधि एक मशहूर पटकथा लेखक थे. उनकी फिल्में जैसे पारासक्ति (1952) ने तमिल राष्ट्रवाद और सामाजिक सुधार को बढ़ावा दिया. करुणानिधि 1969-2011 तक पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे. सिनेमा में उनकी लेखनी ने DMK की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाया. वह तमिल साहित्य और संस्कृति के बड़े समर्थक थे. करुणानिधि ने सिनेमा को डीएमके की विचारधारा के प्रचार का हथियार बनाया.
—- समाप्त —-