इस हफ्ते सूरज ने धरती की ओर एक बड़ा सा दिल दिखाया. यह सूरज के वायुमंडल में एक विशाल कोरोनल होल था, जो रोमांटिक हार्ट जैसा दिख रहा था. यह होल धरती से कई गुना बड़ा था. यह सोलर सिस्टम में सूर्य कणों की तेज धारा भेज रहा था.
यह दिल जैसा आकार धीरे-धीरे सूरज के घूमने से धरती से दूर हो रहा है. लेकिन कुछ दिन पहले यह सूरज के बीच में था. धरती बिल्कुल इसके सूर्य हवा के रास्ते पर थी.
कोरोनल होल क्या होता है?
कोरोनल होल सूरज में असली छेद नहीं है. यह वो जगहें हैं जहां सूरज का चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो जाता है. वहां से सूर्य कणों की हवा आसानी से बाहर निकल जाती है. यह हवा तेज गति से सोलर सिस्टम में फैलती है.
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इन्हें सामान्य रोशनी में नहीं देखा जा सकता. लेकिन एक्सट्रीम अल्ट्रावायलेट और सॉफ्ट एक्स-रे तरंगों में ये सूरज पर काले धब्बे की तरह दिखते हैं. क्योंकि वहां का प्लाज्मा ठंडा और पतला होता है, आसपास के प्लाज्मा से अलग.
धरती पर क्या असर?
जब ये सूर्य कण धरती के चुंबकीय क्षेत्र से टकराते हैं, तो कुछ कण चुंबकीय लाइनों पर तेज हो जाते हैं. ये ऊपरी वायुमंडल में ऊंचाई पर पहुंचते हैं. वायुमंडल की गैसों से टकराकर ये ध्रुवों पर आकाशीय लाइट्स – यानी ऑरोरा – बनाते हैं.
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सूरज की अन्य गतिविधियां भी ऐसा कर सकती हैं. जैसे कोरोनल मास इजेक्शन, जिसमें सूरज से प्लाज्मा का बड़ा गोला फूटता है. ये सबसे शानदार ऑरोरा बनाते हैं. लेकिन कोरोनल होल की हवा भी कमजोर नहीं. इस होल ने सितंबर के बीच में मजबूत जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म पैदा किया, जिससे ध्रुवों पर सुंदर ऑरोरा दिखा.
सूरज की गतिविधि का भविष्य
सूरज की गतिविधियां अगले कुछ सालों में कम हो सकती हैं. क्योंकि हम 11 साल के चक्र के पीक – सोलर मैक्सिमम – से निकल रहे हैं. लेकिन कोरोनल होल सूरज का एक हिस्सा हैं. नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी की हालिया रिपोर्ट कहती है कि 2008 से सूर्य हवा की ताकत धीरे-धीरे बढ़ रही है. तो सोलर साइकल 26 में अपेक्षा से ज्यादा गतिविधि हो सकती है.
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