पाकिस्तान की सियासत में हलचल देखी जा रही है. जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (फजल) (JUI-F) के प्रमुख मौलाना फजल-उर-रहमान ने सार्वजनिक मंच से सेना और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) को खुलकर घेरा. उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान में लोगों को जबरन उठाया जा रहा है और उन्हें गायब किया जा रहा है.
यह बयान खैबर पख्तूनख्वा में एक जनसभा के दौरान आया, जहां फजल-उर-रहमान ने पाकिस्तान की शक्तिशाली सैन्य व्यवस्था पर सीधा आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि बलूच समुदाय के युवा और एक्टिविस्ट्स लगातार लापता हो रहे हैं और परिवार अपने लापता प्रियजनों की वापसी के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं.
फजल-उर-रहमान ने कहा, बलूचिस्तान में जाएं, जहां पर बदअमली का राज है. लोगों को उठाकर लापता कर दिया जाता है. जब ये सिलसिला शुरू हुआ तो 20-25 साल पहले क्वेटा के मीजान चौक पर अगर इस बारे में किसी ने आवाज बुलंद की तो वो जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम की आवाज थी.
बलूचिस्तान में दशकों से संकट…
बलूचिस्तान लंबे समय से पाकिस्तान के सबसे संवेदनशील प्रांतों में से एक रहा है. मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि हजारों की संख्या में बलूच कार्यकर्ताओं और युवाओं को जबरन उठाया गया है. कई परिवार सालों से अपने गुमशुदा परिजनों के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. ‘फोर्स्ड डिसअपियरेंस’ पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति और मानवाधिकार की सबसे बड़ी चुनौतियों में गिने जाते हैं.
पाकिस्तान के किसी बड़े राजनीतिक नेता की ओर से इस तरह का खुला बयान देना बेहद दुर्लभ माना जा रहा है. आमतौर पर सेना और ISI के खिलाफ आलोचना सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आती, क्योंकि पाकिस्तानी राजनीति में सेना का प्रभाव बेहद मजबूत है. फजल-उर-रहमान का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान पहले ही आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ती आतंरिक अशांति से जूझ रहा है.
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