Shukra Pradosh Vrat 2025 Date: सितंबर माह का शुक्र प्रदोष व्रत आश्विन शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को यानी कल रखा जाएगा. इस दिन का महत्व इसलिए और बढ़ गया है, क्योंकि इस दिन शुभ सिद्ध योग का संयोग भी बन रहा है. हालांकि, सिंह राशि में चंद्रमा होने की वजह से रात के समय भद्रा का साया भी रहेगा. भद्रा काल रात 11 बजकर 36 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 06 बजकर 08 मिनट तक रहेगी. इस वक्त कोई शुभ या नया काम न करें.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शुक्र प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. इसे सौंदर्य, ऐश्वर्य, समृद्धि और वैवाहिक सुख की प्राप्ति के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है. विशेषकर महिलाओं के लिए यह व्रत कल्याणकारी माना गया है. ऐसा विश्वास है कि इस व्रत को श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से जीवन में सुख-शांति आती है. परिवार में लक्ष्मी का वास होता है.
शुक्र प्रदोष व्रत की तारीख
द्रिक पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी तिथि की शुरुआत गुरुवार, 18 सितंबर को रात 11 बजकर 24 मिनट से होगी. इसका समापन शुक्रवार, 19 सितंबर को रात 11 बजकर 36 मिनट पर होगा. प्रदोष पूजा मुहूर्त और उदया तिथि को देखते हुए, शुक्र प्रदोष व्रत 19 सितंबर को रखा जाएगा. खास बात यह है कि इस बार व्रत के दिन दो शुभ योग सिद्ध योग और साध्य योग का संयोग भी बन रहा है, जिससे इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है.
शुक्र प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व माना गया है. इस बार शिव पूजा के लिए 2 घंटे 21 मिनट का शुभ मुहूर्त होगा. जो शाम 6 बजकर 21 मिनट से आरंभ होकर रात 8 बजकर 43 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा, ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:34 बजे से 05:21 बजे तक रहेगा. और फिर अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:50 बजे से दोपहर 12:39 बजे तक रहेगा, जिसमें किए गए कार्य विशेष रूप से सफल माने जाते हैं.
शुक्र प्रदोष पर भद्रा का प्रभाव
प्रदोष व्रत की रात 11 बजकर 36 मिनट से भद्रा आरंभ होगी, जो अगले दिन यानी 20 सितंबर की सुबह 06 बजकर 08 मिनट तक रहेगी. चूंकि यह भद्रा पृथ्वी लोक पर रहेगी, इसलिए इस अवधि में किसी भी शुभ कार्य को करने से परहेज करना चाहिए.
शुक्र प्रदोष पर राहुकाल
इस बार प्रदोष के दिन राहु काल सुबह 10 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट तक रहेगा. मान्यता है कि इस समय काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए विशेष उपाय किए जा सकते हैं. हालांकि इस दौरान शुभ कार्य करने से बचें.
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