Disha Patani house shootout Bareilly: बरेली में बॉलीवुड एक्ट्रेस दिशा पाटनी के घर के बाहर हुई फायरिंग ने पूरे शहर को दहला दिया था. पहले इसे एक मामूली डराने वाली वारदात समझा गया, लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, मामला सीधा कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ गैंग तक जा पहुंचा. इस कहानी की शुरूआत अनिरुद्धाचार्य के विवादित बयान से शुरू हुई, यह साजिश न सिर्फ सोशल मीडिया पर फैली, बल्कि देखते ही देखते गोलीबारी, एनकाउंटर और पुलिस बनाम गैंगस्टर की जंग में बदल गई. जानें बरेली शूटआउट और गाजियाबाद एनकाउंटर की पूरी कहानी.
कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के प्रवचन के दौरान एक भक्त ने महाराज से एक सवाल पूछा था. सवाल शादी को लेकर था. सवाल पूछने वाले का सवाल ये था कि घर वाले उसे शादी के लिए कह रहे हैं, लेकिन शादी से उसे अब डर लगता है. इसके जवाब में तब महाराज ने जो कहा था उसे लेकर खास तौर पर महिलाएं नाराज हो गई थीं. हालांकि बाद में महाराज ने एक वीडियो जारी कर अपनी उस बात के लिए माफी भी मांग ली थी.
उनका वीडियो आगे चल कर एक शूटआउट की वजह बनेगा और एक एनकाउंटर में दो लोग मारे जाएंगे, तब किसी ने नहीं सोचा था. पर हुआ ये कि इस वीडियो के सामने आने के बाद देश की बहुत सारी महिलाओं की तरह फिल्म एक्ट्रैस दिशा पाटनी की बहन खुशबू पाटनी ने 30 जुलाई को एक वीडियो जारी कर अनिरुद्धाचार्य के खिलाफ बयान दिया था. उसका वीडियो वायरल हो गया था.
उस वीडियो के जारी करने के बाद 12 दिन बीत जाते हैं. 12 दिन बाद 12 सितंबर को तड़के करीब साढ़े 3 बजे बरेली में खुशबू पाटनी और दिशा पाटनी के घर के बाहर एक अजीब हादसा होता है. दिशा पाटनी के घर के बाहर दो लोग मोटरसाइकिल पर आते हैं, घर की दीवार की तरफ हवा में गोलियां चलाते हैं और भाग जाते हैं. गोली की आवाज घर के अंदर तक जाती है, जब घर वाले बाहर आते हैं, तो देखते हैं कि घर के बाहर दो खाली कारतूस पड़े हुए हैं. वो फौरन पुलिस को खबर देते हैं. पर अब तक ये पता नहीं था कि दिशा पाटनी के घर गोली चलाने वाले कौन थे और गोली चलाने का मकसद क्या था?
शूटआउट के 24 घंटे बीतते बीतते सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए शूटआउट की सच्चाई सामने आ जाती है. इस पोस्ट से पता चलता है कि दिशा पाटनी के घर शूटर को इसलिए भेजा गया था क्योंकि लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़े गोल्डी बराड़ और रोहित गोदारा अनिरुद्धाचार्य के खिलाफ खुशबू पाटनी के उस बयान से नाराज थे. जिसकी जिक्र हमने खबर के शुरू में किया था.
जैसे ही वो पोस्ट सामने आई और शूटआउट के पीछे लॉरेंस गैंग के हाथ का पता चला, फौरन यूपी पुलिस हरकत में आ गई. दरअसल, दिशा पाटनी के पिता जगदीश पाटनी यूपी पुलिस के डीएसपी पद से रिटायर हुए हैं. दिशा की बड़ी बहन खुशबू पाटनी आर्मी में अफसर रह चुकी हैं. जिस वक्त गोली चली, तब दिशा पाटनी मुंबई में थी. लेकिन उनकी बहन मां और पिता घर में ही थे. अब यूपी पुलिस ने शूटरों की तलाश में एक मुहिम शुरू की.
सलमान खान के घर मुंबई में गैलेक्सी अपार्टमेंट से लेकर सलमान के दोस्त बाबा सिद्दिकी के कत्ल के अलावा लॉरेंस गैंग इसी तरह गोलियां चला कर कई लोगों को पहले भी धमका चुका है. लेकिन ये पहली बार था, जब लॉरेंस गैंग के शूटर यूपी में किसी के घर के बाहर गोली चला रहे थे. शूटरों को पकड़ने के लिए यूपी पुलिस के अलावा एसटीएफ भी टीम भी अब एक्टिव हो चुकी थी. सीसीटीवी कैमरे की फुटेज उनके पास थी. जिसमें शूटर नजर आ रहे थे.
शूटरों तक पहुंचने के लिए यूपी पुलिस और एसटीएफ ने 12 और 13 सितंबर की रात और सुबह के 1320 सीसीटीवी कैमरों को खंगाल डाला. इनमें से ज्यादातर कैमरे ट्रैफिक पुलिस के थे. इन्हीं सीसीटीवी कैमरों की मदद से पुलिस को शूटरों के बारे में कई अहम जानकारी मिली. पता चला कि जिन दो शूटरों ने दिशा पाटनी के घर 12 सिंतबर को तड़के गोली चलाई थी, उनके नाम रविंद्र और अरुण हैं. रविंद्र रोहतक का, जबकि अरुण सोनीपत का रहने वाला था. ये दोनों रोहित गोदारा और गोल्डी बराड़ गैंग के मेंबर थे और पेशेवर शूटर भी.
पुलिस के मुताबिक, रविंद्र 9 सितंबर को ही बरेली पहुंच गया था. वो बरेली में रोडवेज बस स्टैंड के पास प्रीत पैलेस होटल में रुका था. रविंद्र के अलावा दूसरा शूटर अरुण रेलवे स्टेशन के पास एक गेस्ट हाउस में रुका था. यहां से दिशा पाटनी का घर सिर्फ दो किलोमीटर की दूरी पर है. शूटर और उनकी लोकेशन पता चलते ही अब यूपी पुलिस और यूपी एसटीएफ की टीम उनके पीछे लग गई. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और हरियाणा पुलिस भी शूटरों का पता लगाने में उनकी मदद कर रही थी.
17 सितंबर 2025 यानी बुधवार की शाम गाजियाबाद के ट्रॉनिका सिटी इलाके में रुटीन चेकिंग चल रही थी. तभी दो लड़के बाइक पर वहां से गुजरने लगे. लेकिन पुलिस और बैरिकेड को देखकर वो फौरन वापस मुड़ कर भागने लगे. शक होने पर पुलिस ने दोनों का पीछा किया. पीछा करने के दौरान बकौल पुलिस मोटरसाइकिल सवार लड़कों ने पुलिस पर गोली चला दी. पुलिस अपनी जीप से उनका पीछा कर रही थी.
पुलिस का दावा है कि बदमाशों की चलाई चार गोलियां जीप पर भी लगीं. करीब 15 मिनट तक पुलिस बदमाशों का पीछा करती रही. इस दौरान 25 से 30 राउंड गोलियां चलीं. इस शूटआउट में चार पुलिस वाले भी घायल हो गए और आखिर में मोटरसाइकिल सवार दोनों बदमाश भी पुलिस की गोली लगने से ढेर हो गए. बाद में दोनों की शिनाख्त रविंद्र और अरुण के तौर पर हुई.
पुलिस ने मौके से ग्लॉक और जिगाना पिस्टल के साथ-साथ कई राउंड कारतूस भी बरामद किया है. दोनों बदमाश जिस सफेद अपाचे मोटरसाइकिल पर भाग रहे थे, पुलिस का कहना है कि ये वही मोटरसाइकिल है. जिस पर बैठ कर 12 सितंबर की दोनों शूटर दिशा पाटनी के घर गए थे.
हालांकि, दूसरी तरफ अरुण के भाई ने इस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए ये दावा किया है कि दिशा पाटनी के घर जिन दो लोगों को गोली चलाई थी और सीसीटीवी कैमरे में कैद हुए हैं, उनमें से कोई भी उसका भाई नहीं है. अरुण के भाई अंकुर का दावा है कि उसका भाई शुगर की बीमारी के चलते बेहद कमजोर हो चुका था और उसका रंग पीला पड़ चुका था. जबकि तस्वीर में शूटर वैसा दिखाई नहीं दे रहा है.
अंकुर का ये भी दावा है कि एनकाउंटर के बाद भी उसके भाई का शरीर साफ तौर पर पीला दिखाई दे रहा है. अंकुर के मां-बाप ने भी इस एनकाउंटर पर सवाल खड़े किए हैं. उनका कहना है कि उनके बेटे के खिलाफ मारपीट तक का भी कोई केस दर्ज नहीं है और अब अचानक उस पर एक लाख का इनाम दिखा दिया गया है.
इस बीच इस एनकाउंटर के बाद रोहित गोदारा की तरफ से फिर एक पोस्ट सोशल मीडिया पर डाली गई है. इस पोस्ट के जरिए रोहित गोदारा ने धमकी दी है कि इस एनकाउंटर के पीछे जिसका भी हाथ है, उसे माफ नहीं किया जाएगा.
इस बीच ये भी खबर आ रही है कि 12 सितंबर से पहले 11 सितंबर की रात भी दिशा पाटनी के घर फायरिंग की गई थी. इस फायरिंग को अंजाम देने वाले दोनों शूटर अलग थे. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, उन दोनों की पहचान भी कर ली गई है. इनके नाम नकुल और विजय हैं. वे दोनों बागपत के रहने वाले हैं.
11 सितंबर के बाद अगले दिन यानी 12 सितंबर की रात दूसरी बार दिशा पाटनी के घर गोली चली थी. दूसरी बार इस शूटआउट को अंजाम अरुण ने रविंद्र ने दिया था. पुलिस नकुल और विजय की तलाश में भी जगह-जगह छापे मार रही है.
यूपी में बीते आठ सालों में 14 हजार से भी ज्यादा एनकाउंटर हो चुके हैं. इन एनकाउंटर में अब तक 239 क्रिमिनल मारे गए, जबकि इन्हीं एनकाउंटर के दौरान लगभग 21 हजार अपराधियों को गिरफ्तार किया गया. सबसे खास बात ये है कि इन एनकाउंटर के दौरान करीब साढ़े 9 हजार अपराधियों के पैरों में गोली लगी और वो भी काफ मसल यानी पिंडलियों में.
हाल के वक्त में जिस तरह लॉरेंस गैंग पंजाब से हरियाणा से बाहर निकल कर अब देश के अलग-अलग राज्यों में अपने पांव पसारने की कोशिश कर रहा है, वो कानून व्यवस्था पुलिस और एजेंसियां पर भी सवाल उठाता है. लॉरेंस पिछले कई सालों से अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद है. लेकिन उसके जेल बंद होने के बावजूद जिस तरह उसके शूटर अलग-अलग शहरों में अलग-अलग लोगों को निशाना बना रहे हैं, उससे साफ जाहिर होता है शूटर और लॉरेंस के बीच का कनेक्शन पुलिस या जेल स्टाफ मिल कर भी तोड़ नहीं पाए हैं.
इसी तरह गोल्डी बराड़ के देश के बाहर होने की खबर है. शायद कनाडा में. लेकिन इसके बावजूद लॉरेंस गैंग की जितनी भी वारदातें होती हैं. वो सोशल मीडिया के जरिए सीधे सीधे हरेक को धमका जाता है. लॉरेंस बिश्नोई के बारे में ये भी बड़ा अजीब है कि खुद केंद्र सरकार ने एक खास ऑर्डर पास कर उसे अहमदाबाद के साबरमती जेल से बाहर निकालने, किसी और जेल में ले जाने या फिर पूछताछ के लिए किसी भी राज्य की पुलिस को सौंपने पर रोक लगा रखी है, लेकिन इन सबके बावजूद वो जेल में बैठे-बैठे बड़े आराम से अपना पूरा गैंग ऑपरेट कर रहा है.
‘आज तक’ के पास इस मामले में फरार दो शूटरों की तस्वीरें भी सामने आईं थीं, जो इस मामले में फरार चल रहे थे. पुलिस टीम उनकी तलाश कर रही थी. लेकिन अब पुलिस ने उन दोनों फरार बदमाशों को भी गिरफ्तार कर लिया है. जिनकी शिनाख्त नकुल और विजय के तौर पर हुई है. वे दोनों नाबालिग बताए जा रहे हैं, इन दोनों ने 11 सितंबर की अलसुबह दिशा पाटनी के घर पर गोली चलाने के मामले में रेकी का जिम्मा संभाला था. यही नहीं, शुक्रवार को पुलिस ने इस मामले के एक पांचवे आरोपी का भी हाफ एनकाउंटर कर दिया.
(गाजियाबाद से मयंक गौड़ और लखनऊ से संतोष शर्मा के साथ अरविंद ओझा का इनपुट)
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