बिहार चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान अभी होना बाकी है, लेकिन राजनीतिक दल और गठबंधन चुनावी मोड में आ चुके हैं. राहुल गांधी के साथ वोटर अधिकार यात्रा निकालने के बाद बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव अब बिहार अधिकार यात्रा पर निकल गए हैं. वहीं, सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से भी केंद्रीय नेता सक्रिय हो गए हैं.
वोट चोरी के विपक्षी शोर के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां एक के बाद एक योजनाओं का ऐलान कर अपने वोटबैंक को इंटैक्ट रखने के प्रयास में जुटे हैं, वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने भी अपने दो सबसे बड़े चेहरों- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को आगे कर दिया है.
पीएम मोदी अभी तीन दिन पहले ही (15 सितंबर को) पूर्णिया में थे. वहीं, गृह मंत्री अमित शाह भी विश्वकर्मा पूजा के दिन 10 दिन में अपने दूसरे बिहार दौरे पर पहुंचे. अमित शाह ने पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जनता दल (यूनाइटेड) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा के साथ बंद कमरे में बैठक की.
पटना में बैठक के बाद गृह मंत्री शाह रोहतास के डेहरी पहुंचे और शाहाबाद क्षेत्र के जिलों के साथ ही कुल 11 जिलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र दिया. रोहतास के बाद गृह मंत्री बेगूसराय के बरौनी रिफाइनरी टाउनशिप पहुंचे, जहा उन्होंने मुंगेर और पटना प्रखंड के करीब 2500 कार्यकर्ताओं के साथ संवाद किया.
गृह मंत्री अमित शाह के रोहतास और बेगूसराय दौरे के सियासी मायने भी निकाले जाने लगे हैं. अमित शाह का पहला कार्यक्रम जिस रोहतास जिले में हुआ, 2020 के बिहार चुनाव में उस जिले में एनडीए खाता तक नहीं खोल सका था. लेकिन सबसे अधिक चर्चा उनके बेगूसराय दौरे की हो रही है.
शाह के बेगूसराय दौरे की चर्चा क्यों?
गृह मंत्री अमित शाह के बेगूसराय दौरे को लेकर हो रही चर्चाएं अकारण भी नहीं हैं. बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह केंद्र सरकार में मंत्री हैं. इस जिले में कुल मिलाकर सात सीटें हैं और इन सात में से तीन सीटों पर एनडीए के उम्मीदवार जीते थे. एनडीए की माहौल बनाने वाली रणनीति में केंद्रीय मंत्रियों की भूमिका अहम आती रही है और जब स्थानीय सांसद ही केंद्र सरकार में मंत्री हो. फिर ऐसा क्या है कि बेगूसराय में किला दुरुस्त करने खुद बीजेपी के चुनावी चाणक्य माने जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह को उतरना पड़ा?
बेगूसराय में शाह को क्यों उतरना पड़ा?
बेगूसराय में गृह मंत्री अमित शाह का उतरना यह बताता है कि भूमिहार बेल्ट की चुनावी फाइट को बीजेपी और एनडीए कितनी गंभीरता से ले रहा है. अमित शाह के नेताओं और कार्यकर्ताओं से संवाद के पीछे संगठन के भीतर की गुटबाजी पर लगाने और जनता तक एकजुटता का संदेश पहुंचाने की कोशिश तो है ही, कई और पहलू भी हैं.
बेगूसराय बीजेपी में कई गुट
बेगूसराय बीजेपी में कई गुट हो गए हैं. केंद्रीय मंत्री और स्थानीय सांसद गिरिराज सिंह का अपना गुट है, तो वहीं एक गुट पूर्व राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा का भी है. राकेश सिन्हा भी बेगूसराय में एक्टिव हो गए हैं. पूर्व एमएलसी रजनीश राय का गुट भी सक्रिय नजर आ रहा है. नेताओं की गुटबाजी से कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति न उत्पन्न हो और पार्टी को चुनावों में नुकसान उठाना पड़ा, इसलिए भी बिहार बीजेपी ने अमित शाह के कार्यक्रम के लिए बेगूसराय को चुना जिससे गुटीय भावना से ऊपर उठकर एकजुटता का संदेश जनता तक पहुंचाया जा सके.
कोर वोटर की नाराजगी
बेगूसराय की पहचान भूमिहार बेल्ट के रूप में है. यहां ब्राह्मण, राजपूत मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं. यह तीनों ही जातियां बीजेपी और एनडीए का कोर वोटर मानी जाती हैं, लेकिन इन कोर वोटर्स में नाराजगी के चर्चे हैं. लोकसभा चुनाव में जहानाबाद सीट से जेडीयू उम्मीदवार की हार के लिए सीएम नीतीश कुमार के करीबी अशोक चौधरी ने भूमिहार मतदाताओं को ही जिम्मेदार बता दिया था.
इसे लेकर बेगूसराय के भूमिहारों में नाराजगी है. वहीं, प्रशांत किशोर की अगुवाई में जन सुराज के रूप में नए विकल्प के उभार ने भी बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है. बेगूसराय में ही गृह मंत्री के कार्यकर्ता संवाद के पीछे कोर वोट सहेजने की कोशिश भी एक वजह हो सकती है.
बेगूसराय में पिछले चुनाव नतीजे
बेगूसराय जिले में कुल सात विधानसभा सीटें हैं. बिहार विधानसभा के पिछले चुनाव में बीजेपी और उसके गठबंधन सहयोगी तीन ही विधानसभा सीटें जीत सके थे. चार सीटों पर एनडीए को मात मिली थी. बेगूसराय जिले की बेगूसराय, बछवाड़ा और मटिहानी सीट पर एनडीए उम्मीदवारों को जीत मिली थी. वहीं, तेघड़ा और बखरी सीट पर सीपीआई ने एनडीए को पटखनी दे दी थी. चेरिया बरियारपुर और साहेबपुर कमाल विधानसभा सीटों पर महागठबंधन की अगुवाई कर रही आरजेडी ने विजयश्री पाई थी.
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बेगूसराय का संदेश बड़ा
बेगूसराय का संदेश बड़ा होगा. यहां की चुनावी हवा आसपास के मुंगेर, लखीसराय, खगड़िया जैसे जिलों के नतीजे भी प्रभावित कर सकती है. बीजेपी ने मध्य प्रदेश से राजस्थान तक, विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्रियों को उम्मीदवार ब,नाया तो उसके पीछे संदेश की पॉलिटिक्स ही थी.
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बेगूसराय के सांसद खुद केंद्र में मंत्री हैं, ऐसे में यहां सत्ताधारी गठबंधन के प्रदर्शन पर सबकी नजरें होंगी. पार्टी इस बार पिछले चुनाव की कसर दूर करने के लिए कमर कस चुकी है और पीएम मोदी के बाद अमित शाह का बेगूसराय दौरा इसी बात का संकेत माना जा रहा है.
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