दुनियाभर में करोड़ों लोग नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) से जूझ रहे हैं. ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें लिवर में अतिरिक्त चर्बी जमा हो जाती है. ये आगे चलकर तमाम तरह की सीरियस हेल्थ प्रॉब्लम्स खड़ी कर देती है. अब एक नई रिसर्च ने इस बीमारी से लड़ने के लिए एक सस्ता और सुरक्षित उपाय सुझाया है. वैज्ञानिकों ने पाया कि ये इलाज असल में विटामिन B3 में छुपा है. जानिए कैसे और क्यों ये विटामिन होगी फायदेमंंद.
रिसर्च में क्या मिला?
साइंस डेली में प्रकाशित 12 सितंबर को प्रकाशित स्टडी में वैज्ञानिकों ने पाया कि माइक्रोआरएनए-93 नामक जीन असल में फैटी लिवर डिजीज को ट्रिगर करती है. इसे विटामिन B3 (नियासिन) प्रभावी ढंग से दबा सकता है. इस जीन को नियंत्रित करने से लिवर में चर्बी का जमा होना रुक सकता है जिससे NAFLD की रोकथाम और इलाज में मदद मिल सकती है. ये खोज लाखों लोगों के लिए नई उम्मीद लेकर आई है क्योंकि विटामिन B3 न केवल आसानी से उपलब्ध है, बल्कि यह किफायती और सेफ भी है.
क्यों है ये बीमारी खतरनाक?
नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज तब होती है जब लिवर में जरूरत से ज्यादा फैट जमा हो जाता है. ये मोटापा, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल और गतिहीन जीवनशैली से जुड़ा हुआ है. अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह लिवर सिरोसिस या लिवर फेल्योर जैसी गंभीर स्थिति में बदल सकता है. दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहा NAFLD महामारी का रूप ले रहा है.
विटामिन B3 कैसे करता है काम?
विटामिन B3 जिसे नियासिन भी कहा जाता है, शरीर में मेटाबॉलिज्म को बेहतर करने में मदद करता है. ये लिवर में फैट का बनना रोकती है और जमा चर्बी को कम करने में भी कारगर हो सकता है. रिसर्च के अनुसार, विटामिन B3 माइक्रोआरएनए-93 जीन की गतिविधि को कम करता है जो लिवर में फैट बिल्ड-अप का मुख्य कारण है. इससे न केवल बीमारी की प्रगति रुकती है, बल्कि लिवर के स्वास्थ्य में भी सुधार होता है.
ये सस्ता और सेफ दोनों है
विटामिन B3 की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये मार्केट में आसानी से उपलब्ध है और इसका कोई खास साइड इफेक्ट भी नहीं है,. हां इसे डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लिया जाना चाहिए. ये उन महंगे इलाजों और दवाओं के मुकाबले एक किफायती विकल्प हो सकता है, जो आमतौर पर फैटी लिवर के इलाज में इस्तेमाल होते हैं.
इनमें से कुछ खाते हैं तो आपकी डाइट में भी है ये विटामिन बी-3
मांस और मछली
चिकन (खासकर ब्रेस्ट): 100 ग्राम में लगभग 10-15 मिलीग्राम नियासिन.
टूना मछली: 100 ग्राम में 10-20 मिलीग्राम.
साल्मन: 100 ग्राम में 8-12 मिलीग्राम.
टर्की: 100 ग्राम में 7-12 मिलीग्राम.
पोर्क: 100 ग्राम में 6-10 मिलीग्राम.
1 बड़े अंडे में लगभग 0.5-1 मिलीग्राम.
अनाज और साबुत अनाज
ब्राउन राइस: 1 कप पके हुए चावल में लगभग 2-3 मिलीग्राम.
साबुत गेहूं (होल वीट प्रोडक्ट्स): रोटी या पास्ता में 2-5 मिलीग्राम प्रति सर्विंग.
फोर्टिफाइड अनाज (जैसे कॉर्नफ्लेक्स): 1 सर्विंग में 5-7 मिलीग्राम.
दालें और बीज
मूंगफली (पीनट्स): 1 औंस (28 ग्राम) में 3-4 मिलीग्राम.
सूरजमुखी के बीज: 1 औंस में 2-3 मिलीग्राम.
दाल (जैसे मसूर): 1 कप पकी हुई दाल में 2-3 मिलीग्राम.
सब्जियां
मशरूम: 1 कप में 3-5 मिलीग्राम.
हरी मटर: 1 कप में 2-3 मिलीग्राम.
आलू: 1 मध्यम आलू में 2-3 मिलीग्राम.
फल और अन्य स्रोत
एवोकाडो: 1 मध्यम फल में 2-3 मिलीग्राम.
खजूर: 100 ग्राम में 1-2 मिलीग्राम.
टमाटर: 1 कप में 1-2 मिलीग्राम.
डेयरी उत्पाद
दूध और दही: 1 कप में 0.5-1 मिलीग्राम (कम मात्रा, लेकिन नियमित सेवन से योगदान).
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह खोज फैटी लिवर डिजीज के इलाज में एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है. हालांकि, वे ये सलाह देते हैं कि विटामिन B3 का उपयोग शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें, क्योंकि हर व्यक्ति की शारीरिक स्थिति अलग होती है. इसके अलावा, स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और वजन नियंत्रण भी इस बीमारी को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
बता दें कि ये रिसर्च अभी शुरुआती चरण में है और वैज्ञानिक इसे और गहराई से समझने के लिए आगे के अध्ययन कर रहे हैं. लेकिन इस खोज ने एक बात तो साफ कर दी है कि विटामिन B3 जैसे साधारण उपाय भविष्य में फैटी लिवर डिजीज के खिलाफ जंग में बड़ा हथियार बन सकते हैं.
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