सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में अधूरे पड़े हाउसिंग प्रोजेक्ट्स से पीड़ित लाखों मध्यम-वर्गीय घर खरीदारों के लिए उम्मीद की एक नई किरण जगाई है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक ‘रिवाइवल फंड’ बनाने का सुझाव दिया है, ताकि इन अटके हुए प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए ज़रूरी आर्थिक मदद दी जा सके. इस कदम का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि लोगों की जीवन भर की गाढ़ी कमाई अधूरे पड़े मकानों में फंसी न रहे और उन्हें जल्द से जल्द उनका ‘सपनों का घर’ मिल सके.
जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और आर. महादेवन की एक बेंच ने एक सख्त फैसले में केंद्र सरकार से एक ‘रिवाइवल फंड’ बनाने के लिए कहा है. इस फंड का मकसद उन अटके हुए प्रोजेक्ट्स को ब्रिज फाइनेंसिंग देना है, ताकि खरीदारों की जीवन भर की कमाई अधूरे भवनों में फंसी न रह जाए.
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घर खरीदारों के लिए इसका क्या मतलब है?
अगर ‘रिवाइवल फंड’ लागू होता है, तो यह अटके हुए प्रोजेक्ट्स में फंसे हज़ारों परिवारों को बचाया सकता है. ‘ब्रिज फाइनेंसिंग’ से यह सुनिश्चित होगा कि निर्माण कार्य फिर से शुरू हो, जिससे खरीदारों को घर मिलने की समय-सीमा के बारे में स्पष्टता मिलेगी. खरीदार डेवलपर्स के खिलाफ अपनी शिकायतों पर तेज़ी से कार्रवाई देख सकते हैं. बिना बिके फ्लैटों को प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) जैसी योजनाओं में बदला जा सकता है, जिससे ज़्यादा लोगों के लिए घर उपलब्ध हो सकेंगे.
बेंच ने कहा कि घर खरीदारों को, जिनमें से कई को घर मिलने का इंतजार करते हुए ईएमआई और किराया दोनों चुकाना पड़ता है, लापरवाह बिल्डरों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता. अदालत ने टिप्पणी की, “अपना घर पाने की चाहत में अपनी जीवन भर की जमा पूंजी लगाने के बाद, कई लोग दोहरे बोझ को उठाने के लिए मजबूर हैं. और उनका ‘सपनों का घर’ एक अधूरे भवन में बदल जाता है.”
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SC के आदेश की खास बातें
रिवाइवल फंड का प्रस्ताव
कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (NARCL) की तरह ही एक बॉडी कॉर्पोरेट बनाने पर विचार करे, या फिर मौजूदा SWAMIH फंड का विस्तार करें. इसका मकसद अटके हुए प्रोजेक्ट्स को अंतिम चरण का फाइनेंस (लास्ट-माइल फाइनेंसिंग) देना है.
अटके हुए प्रोजेक्ट्स के लिए ब्रिज फाइनेंसिंग
इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत, जो प्रोजेक्ट्स पूरे होने लायक हैं, उन्हें पूरा करने के लिए इन फंड्स का इस्तेमाल किया जाएगा, इससे प्रोजेक्ट्स को बिकने से रोका जा सकेगा और खरीदारों के हितों की रक्षा होगी.
बिना बिके फ्लैट्स का उपयोग
ऐसे प्रोजेक्ट्स में जो फ्लैट्स बिके नहीं हैं, उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) जैसी सस्ती आवास योजनाओं के लिए या सरकारी आवासों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
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रेरा को मज़बूत करना
बेंच ने चेतावनी दी कि अगर रेरा (RERA) अधिकारियों को ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर, संसाधन और लागू करने की क्षमता नहीं दी गई, तो वे “बिना दांत वाले बाघ” बनकर रह जाएंगे.
एनसीएलटी/एनसीएलएटी में सुधार
ट्रिब्यूनलों में खाली पड़े पदों को तुरंत भरा जाना चाहिए, ज़रूरत पड़ने पर सेवानिवृत्त जजों की नियुक्तियां भी की जाएं. रियल एस्टेट के मामलों को तेज़ी से निपटाने के लिए आईबीसी (IBC) की समर्पित बेंचें बनाई जानी चाहिए.
एस्क्रो खाते और एसओपी
नए प्रोजेक्ट्स के लिए, खरीदारों द्वारा किए गए भुगतान को एस्क्रो खातों में डाला जाना चाहिए और निर्माण की प्रगति के हिसाब से ही उसे जारी किया जाना चाहिए, ताकि जवाबदेही बनी रहे.
ऑडिट और पारदर्शिता
कोर्ट ने सीएजी (CAG) को SWAMIH जैसे फंड्स का प्रदर्शन ऑडिट करने का आदेश दिया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हर एक पैसा पूरी तरह से अंतिम चरण की फंडिंग के लिए ही इस्तेमाल हो.
एक मौलिक अधिकार के रूप में आवास का अधिकार
कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि आवास केवल एक कानूनी हक नहीं है, बल्कि अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा है.
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