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    अस्पताल की दूरी, बदलते बयान और आरोपी गगनप्रीत को जेल… आखिर कब सुलझेगी BMW कांड की गुत्थी?

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    दिल्ली के बीएमडब्ल्यू कांड की मुख्य आरोपी गगनप्रीत कौर को दो दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. सोमवार को गिरफ्तारी के बाद उसको न्यायाधीश के सामने पेश किया गया. उसे पहले पटियाला हाउस कोर्ट ले जाया गया, लेकिन न्यायाधीश तब तक चले गए थे. देर रात उसको उनके घर ले जाया गया. आरोपी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा पैरवी कर रहे हैं.

    आरोपी गगनप्रीत की तरफ से विकास पाहवा ने जमानत याचिका दायर की है. इस याचिका में एफआईआर में 10 घंटे की देरी, डीसीपी की प्रेस कॉन्फ्रेंस, सीसीटीवी रिकॉर्डिंग, घायलों और गवाहों के बयान को जमानत का आधार बनाया गया है. इस पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. इस पर 17 सितंबर को सुनाई होगी. इसी दिन गगनप्रीत की न्यायिक हिरासत भी खत्म हो रही है.

    इससे पहले एडिशनल डीसीपी अभिमन्यु पोसवाल ने बताया कि पुलिस को संदेह था कि दुर्घटनास्थल से अस्पताल की दूरी के कारण इलाज में देरी हुई है. लेकिन आरोपी गगनप्रीत ने सफाई दी है कि वो हादसे के बाद से घबराई हुई थी. कोरोना के दौरान अपने बच्चों का इलाज उसी अस्पताल में कराया था, इसलिए नवजोत सिंह को वहां ले गई. उनका कहना था कि उनको अस्पताल पर पूरा भरोसा था.

    इसी बीच अस्पताल प्रबंधन का बयान भी आ गया. उनकी तरफ से कहा गया कि 14 सितंबर की रात को एक सड़क दुर्घटना का मेडिको-लीगल केस दर्ज हुआ था. 50 वर्षीय व्यक्ति को मृत लाया गया, उसकी पत्नी को प्राथमिक उपचार दिया गया और परिवार के अनुरोध पर रेफर कर दिया गया. दो अन्य मरीजों का भी इलाज किया गया. उनके लिए हर मरीज एक समान होता है. 

    BMW कार हादसे की आरोपी गगनप्रीत कौर को दो दिन की न्यायिक हिरासत. (Photo: ITG)

    हालांकि, नवजोत सिंह के पिता ने इन दावों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, ”मैं वायुसेना में था. मुझे पता है कि किस अस्पताल में किस स्तर का इलाज मिलता है. यह सब जानबूझकर किया गया ताकि आरोपी बच सके. उन्होंने मेरे बेटे को मार डाला. मैने अपने परिवार की रीढ़ खो दी है. वो बेहद होशियार थे. संयुक्त राष्ट्र में भाषण दिया था. कई बार वित्त मंत्री के साथ विदेश दौरों पर गए थे.”

    आरोपी गगनप्रीत के लिए पुलिस हिरासत की मांग नहीं करने के सवाल पर एडीसीपी ने कहा कि चश्मदीदों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं. सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित कर लिया गया है. स्वतंत्र साक्ष्यों से आरोपी का बयान भी वेरिफाई किया जा चुका है. अब केवल आरोपी के पति परीक्षित मक्कड़ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई बाकी है. वो अस्पताल में भर्ती हैं. डिस्चार्ज होने के बाद कार्रवाई होगी.

    Delhi BMW Accident Case
    अपनी पत्नी संदीप कौर के साथ नवजोत सिंह. (File Photo: ITG)

    पुलिस सूत्रों के मुताबिक, हादसे के समय बीएमडब्ल्यू कार में पांच लोग सवार थे. गाड़ी गगनप्रीत चला रही थी. आगे की सीट पर उसकी 6 साल की बेटी थी. पीछे पति परीक्षित, 4 साल का बेटा और मेड बैठी थी. कार डिवाइडर से टकरा कर पलट गई. पीछे से आ रहे वित्त मंत्रालय के उप सचिव नवजोत सिंह की बाइक उसकी चपेट में आ गई. वो पास से गुजर रही बस से टकरा गए.

    गगनप्रीत ने पुलिस को बताया कि हादसे के बाद उसने अपनी घायल बेटी को छोड़ नवजोत और उनकी पत्नी को बचाने की कोशिश की थी. उसने मुखर्जी नगर का वही अस्पताल चुना क्योंकि कोविड के दौरान उसके बच्चे वहां एडमिट हुए थे. उसने दावा किया कि लोग उसे कार से बाहर निकाल लाए और वो सदमे में थी. पूछताछ में वो बार-बार यही कह रही है कि उसे हादसे का कारण याद नहीं है.

    Delhi BMW Accident Case

    इस हादसे के प्रत्यक्षदर्शी टेंपो ड्राइवर गुलफाम ने बताया कि राहगीरों ने नवजोत और उनकी पत्नी को उसकी वैन में बैठाया. उसी वक्त गगनप्रीत भी पहुंची. उसे जीटीबी नगर अस्पताल चलने को कहा था. यह दूरी करीब 19 किलोमीटर थी. नवजोत की पत्नी संदीप कौर ने बयान दिया कि उन्होंने बार-बार कहा था कि उन्हें नजदीकी अस्पताल ले चलो, क्योंकि पति बेहोश थे. लेकिन वो दूर के अस्पताल ले गई.

    हादसे के बाद घटनास्थल पर मौजूद 18 वर्षीय मजदूर अंकित ने इंसानियत की मिसाल पेश की थी. उसने बताया कि जब कई लोग वीडियो बना रहे थे, तब उसने बीएमडब्ल्यू में फंसे बच्चों की चीख सुनी. उसने 6 साल की लड़की को बाहर निकाला. उसकी नाक से खून बह रहा था, फिर छोटे बेटे और मेड को भी कार से बाहर निकाला. उन सबकी हालत खराब थी. लेकिन लोग तमाशबीन बने हुए थे.

    हरि नगर निवासी नवजोत सिंह के निधन से परिवार बुरी तरह टूट गया है. उनकी मां ने कहा, ”जब डॉक्टर ने नवजोत के फोन से हमें कॉल किया, तो हमने सोचा कि वह खुद बात कर रहे होंगे. लेकिन पता चला कि वो अब हमारे बीच नहीं हैं. हम पूरी तरह से टूट गए. हमें कुछ नहीं समझ आ रहा था कि क्या करें. यदि बेटे को एम्स ट्रामा सेंटर या आर्मी अस्पताल ले गए होते तो वो जिंदा होता.”

    —- समाप्त —-



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