राष्ट्रपति ट्रंप को भारत की इकोनॉमी को डेड इकोनॉमी कहे ज्यादा दिन नहीं गुजरे हैं. ट्रंप लगातार भारत के लिए धमकी भरे शब्द का इस्तेमाल कर रहे थे और रूस से कच्चे तेल की खरीदारी बंद करने कह रहे थे. लेकिन भारत ने तवज्जो नहीं दी. 31 जुलाई को फ्रस्ट्रेट ट्रंप ने भारत और रूस की अर्थव्यवस्था को डेड इकोनॉमी करार दिया. लेकिन अगस्त गुजरते गुजरते ट्रंप लाइन पर आ गए. SCO समिट में पीएम मोदी, राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात की तस्वीरों से ट्रंप का कॉन्फिडेंस डोल गया. उन्होंने कहा कि लगता है अमेरिका ने भारत और रूस को खो दिया है.
अब भारत में अमेरिका के नए राजदूत नियुक्त हुए सर्जियो गोर ने कहा है कि अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ को लेकर बहुत ज्यादा मतभेद नहीं हैं. आने वाले हफ्तों में दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधी समस्याओं का हल निकल सकता है.
सर्जियो गोर ने कहा कि टैरिफ और भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद पर हाल की असहमतियों के बावजूद अमेरिका-भारत संबंध “गर्मजोशी भरे और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण” बने हुए हैं.
दरअसल इस बीच अंतरराष्ट्रीय मंच पर कई ऐसे घटनाक्रम हुए, भारत की इकोनॉमी से जुड़े मजबूत आंकड़े जिसकी वजह से ट्रंप और अमेरिकी प्रशासन को अपनी सोच बदलने पर मजबूर होना पड़ा. भारत को लेकर ट्रंप का पॉजिटिव बयान. इसके बाद सर्जियो गोर का बयान इसी बदलते सोच की पुष्टि करते हैं. आइए समझते हैं कि ऐसा कैसे हुआ?
SCO समिट का मैसेज
चीन के तियानजिन में हुए SCO शिखर सम्मेलन ने वैश्विक भू-राजनीति को नया मोड़ दिया. समिट का मुख्य मैसेज था: “बहुपक्षीयता, आर्थिक सहयोग और ऊर्जा सुरक्षा.” भारत ने साफ कर दिया वो अपनी ऊर्जा सुरक्षा के साथ किसी तरह का समझौता नहीं करने वाला है. इसके बाद SCO समिट से आई ताकतवप तस्वीरों ने स्थिति बदलने का काम किया. पीएम मोदी, राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति शी जनपिंग इन तीनों नेताओं ने कायदे-कानून पर चलने वाली विश्व व्यवस्था और मल्टी पोलर वर्ल्ड की पैरवी की. इससे ट्रंप और यूरोप समेत दुनिया को संदेश गया कि विश्व व्यवस्था में मनमानी नहीं की जा सकती है.
इन्हीं तस्वीरों को देखकर ट्रंप ने कहा था, “लगता है हमने भारत और रूस को गहरे अंधकारमय चीन के हाथों खो दिया है. ईश्वर करे कि उनका भविष्य दीर्घायु और समृद्ध हो!”
इकोनॉमी पर गुड़ न्यूज
31 जुलाई को ट्रंप ने भारत और रूस की अर्थव्यवस्था को को डेड इकोनॉमी कहा. लेकिन इसके बाद भारत की इकोनॉमी से जुड़े सभी आंकड़े ट्रंप के दावे को झुठला रहे थे.
पिछली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत की GDP विकास दर 7.8% रही. यह पिछले वर्ष की समान तिमाही के 6.5% से अधिक है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय से जारी आंकड़ों के अनुसार सेवाओं और विनिर्माण क्षेत्रों ने मजबूत योगदान दिया. कृषि में भी सुधार देखा गया. यह विकास दर अनुमानों से ऊपर रही, जो अर्थव्यवस्था की मजबूती दर्शाती है. इस बार देश में मॉनसून भी अच्छा रहा है. इससे अच्छी उपज की संभावना है.
इससे पहले की तिमाही (जनवरी-मार्च) के बीच की अवधि में भारत की अर्थव्यवस्था 7.4% की दर से बढ़ी – जो पिछली तिमाही के 6.2% से अधिक थी और विश्लेषकों की अपेक्षाओं से काफी अधिक थी.
यही नहीं पिछले बुधवार को रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत की विकास दर को 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 6.9 परसेंट कर दिया. ये अनुमान वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए है. फिच का मानना है कि भारत में घरेलू मांग बढ़ने से अर्थव्यवस्था को फायदा होगा. लोगों की आमदनी बढ़ रही है. इससे वे ज्यादा खर्च कर रहे हैं.
इन आंकड़ों ने साबित किया कि इकोनॉमी “डेड” नहीं बल्कि वाइब्रेंट है. इससे ट्रंप को लगा कि टैरिफ से भारत नहीं झुकेगा बल्कि अमेरिकी निर्यातकों को नुकसान होगा. इसके बाद ट्रंप ने अपना टोन बदलना शुरू कर दिया.
GST में भारी कटौती
भारत में सितंबर 2025 में GST दरों में कटौती ने अमेरिका को भारत की आर्थिक नीतियों पर गहराई से सोचने पर मजबूर किया. 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ से भारतीय निर्यात पर दबाव बढ़ रहा था. इस बीच जीएसटी में कटौती के इस कदम को घरेलू खपत को बढ़ावा देने वाला माना गया. इससे भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी.
US-India Business Council ने भी इस कदम को सराहा और कहा कि यह वैश्विक निवेशकों को भारत की वृद्धि-केंद्रित नीतियों का संकेत देता है. अमेरिकी विश्लेषकों जैसे Citi, Morgan Stanley का मानना है कि इससे GDP में 0.7-1% का बूस्ट मिलेगा. जो ट्रंप के टैरिफ के प्रभाव को कम करेगा. इन कदमों से अमेरिका में ये संदेश गया कि इंडियन इकोनॉमी में लचीलापन है जो इसे विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की ताकत देती है.
ट्रंप पर घरेलू दबाव
भारत पर 50% टैरिफ लगाने के बाद ट्रंप को घरेलू स्तर पर भारी दबाव झेलना पड़ा. अमेरिकी उपभोक्ताओं को कपड़ों, आभूषणों, फर्नीचर और समुद्री भोजन जैसे भारतीय आयातों पर कीमतें बढ़ने से मुद्रास्फीति का खतरा बढ़ा है.
अमेरिका में महंगाई दर के ताजा आंकड़े बताते हैं कि यहां महंगाई बढ़ी है. अमेरिका में वर्तमान महंगाई दर अगस्त 2025 के लिए 2.9% है, जो जुलाई के 2.7% से बढ़ी है. ट्रंप की टैरिफ नीतियों से कीमतें बढ़ने का असर दिख रहा है.
US Chamber of Commerce और मेगा रिटेलर्स जैसे Walmart ने ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी का विरोध किया और कहा कि यह लागत बढ़ाएगा और नौकरियां प्रभावित करेगा.
पूर्व उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने इसे अमेरिका-भारत संबंधों के लिए हानिकारक बताया. पूर्व राजदूत केनेथ जस्टर ने इसे रणनीतिक गलती कहा जो चीन-विरोधी प्रयासों को कमजोर करेगा. निक्की हेली ने चेतावनी दी कि इससे भारत को चीन की ओर धकेला जाएगा. डेमोक्रेट्स जैसे रो खन्ना ने कहा कि ट्रंप का अहंकार भारत-अमेरिका रिश्तों को नुकसान पहुंचाएगा. जॉन बोल्टन ने भी ट्रंप के इस फैसले की आलोचना की. अर्थशास्त्री जेफरी सैक्स ने इसे “सबसे मूर्खतापूर्ण कदम” कहा, जो विश्वास नष्ट करता है.
इस बयानों से ट्रंप को महसूस हुआ कि भारत के साथ टकराव की नीति पर नहीं चला जा सकता है.
ट्रंप के भारत संबंधी बयानों में पहली नरमी 3 सितंबर 2025 को दिखी. इससे पहले, उन्होंने भारत को ‘चीन की गोद में’ खो दिया बताते हुए कठोर आलोचना की थी.
इसके बाद 9 सिंतबर को ट्रंप ने एक आश्चर्यजनक ट्वीट करते हुए कहा कि उन्हें बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि भारत और अमेरिका व्यापार बाधाओं को दूर करने के लिए बातचीत शुरू कर रहे हैं. ट्रंप ने पीएम मोदी को अपना बढ़िया दोस्त बताते हुए कहा कि वे आने दिनों में उनसे बात करेंगे. ट्रंप ने साफ कहा कि उन्हें महसूस होता है कि आने वाले दिनों में ट्रेड वार्ता सफल होगी.
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