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    सुशीला कार्की के पति ने किया था नेपाल का पहला प्लेन हाइजैक, बॉलीवुड अभिनेत्री माला सिन्हा भी थीं सवार

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    नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार वह नेपाल के अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में केपी शर्मा ओली के संभावित विकल्प के रूप में उभर रही हैं. यह एक विडंबना ही है कि जिस सुशीला कार्की को 11 जुलाई 2016 को नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था, उनकी नियुक्ति का समर्थन स्वयं केपी शर्मा ओली ने किया था, जिन्हें अब हटाया गया है. 

    अपने एक साल के कार्यकाल के दौरान, कार्की ने नेपाल के कुछ मंत्रियों और प्रभावशाली नौकरशाहों के खिलाफ निर्णायक फैसले सुनाकर एक निडर न्यायाधीश के रूप में अपनी पहचान बनाई. लेकिन उनके जीवन का एक रोचक पहलू उनके पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी का विवादास्पद अतीत है, जो नेपाल के पहले विमान अपहरण में शामिल थे, जिसमें मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री माला सिन्हा भी सवार थीं.

    सुशीला कार्की: निडरता और सुधारों की प्रतीक
    सुशीला कार्की का जन्म नेपाल के बिराटनगर में हुआ था. उनके परिवार का नेपाल कांग्रेस के संस्थापक बीपी कोइराला से निकट का संबंध था. उनके पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बनें, लेकिन कार्की ने कानून के क्षेत्र को चुना. उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की, जहां उनकी मुलाकात उनके पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई. इसके बाद उन्होंने काठमांडू के त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की. कार्की ने अपने करियर में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया और न्यायिक सुधारों के लिए काम किया. उनकी निडरता और स्वतंत्रता ने उन्हें नेपाल के न्यायिक इतिहास में एक अलग पहचान दी.

    पति का विवादास्पद अतीत: नेपाल का पहला विमान अपहरण
    सुशीला कार्की के पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी का नाम नेपाल के इतिहास में एक विवादास्पद घटना से जुड़ा है. 1973 में, राजा महेंद्र के शासनकाल के दौरान, नेपाल का पहला विमान अपहरण हुआ. 10 जून 1973 को, रॉयल नेपाल एयरलाइंस का एक विमान, जो बिराटनगर से काठमांडू जा रहा था, उसका अपहरण कर लिया गया. इस विमान में 19 यात्री सवार थे, जिनमें बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री माला सिन्हा भी शामिल थीं. 

    इस अपहरण का मुख्य उद्देश्य विमान में मौजूद यात्रियों से अधिक, बिराटनगर के बैंकों से लाए जा रहे 30 लाख रुपये की नकदी थी. इस अपहरण की योजना तत्कालीन नेपाली कांग्रेस के नेता और बाद में पीएम बने प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला ने बनाई थी. इसका मकसद राजशाही के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष के लिए धन जुटाना था.

    दुर्गा प्रसाद सुबेदी, जो उस समय हाल ही में जेल से रिहा हुए थे, कोइराला के करीबी सहयोगी थे. हाइजैक किया गए प्लेन को भारत के बिहार के फोर्ब्सगंज में उतारा गया, और लूटी गई राशि को बाद में कार से दार्जिलिंग ले जाया गया. सुबेदी और अन्य अपहरणकर्ताओं को बाद में मुंबई में गिरफ्तार कर लिया गया और दो साल तक जेल में रखा गया. 1975 में भारत में आपातकाल के दौरान उन्हें रिहा कर दिया गया.

    सुशीला कार्की ने बनाई स्वतंत्र पहचान
    सुशीला कार्की ने अपने पति के विवादास्पद अतीत के बावजूद अपनी स्वतंत्र पहचान बनाई. उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई को कभी कमजोर नहीं होने दिया. मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए. उनकी सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि थी तत्कालीन सूचना और संचार मंत्री जयप्रकाश गुप्ता को पद पर रहते हुए जेल की सजा सुनाना.

    यह नेपाल के इतिहास में पहली बार था जब किसी सिटिंग मंत्री को इस तरह की सजा दी गई. इसके अलावा, उन्होंने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के प्रमुख लोकमान सिंह कार्की को पद से हटाने का आदेश दिया, जिसके बाद उन्हें कनाडा में निर्वासन में जाना पड़ा. कार्की ने अपने फैसलों से न केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता दिखाई, बल्कि न्यायिक सुधारों को भी बढ़ावा दिया. उनकी निडरता ने उन्हें जनता के बीच एक सम्मानित व्यक्तित्व बनाया, विशेष रूप से युवा पीढ़ी के बीच, जो भ्रष्टाचार और सत्तावाद के खिलाफ आवाज उठा रही है.

    चुनौतियों भरा रहा है कार्यकाल
    हालांकि, सुशीला कार्की का कार्यकाल चुनौतियों से खाली नहीं था. उनके साहसिक फैसलों ने राजनीतिक हलकों में विवाद पैदा किया. नेपाली संसद ने उनके खिलाफ कार्यकारी कार्यों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाते हुए महाभियोग प्रस्ताव पेश किया, जिसके कारण उन्हें अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया. हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने बाद में उन्हें मुख्य न्यायाधीश के पद पर बहाल कर दिया. इस घटना ने नेपाल के संवैधानिक ढांचे में बदलाव लाने का मौका दिया. सर्वोच्च न्यायालय ने नियम में संशोधन किया, जिसके तहत अब महाभियोग प्रस्ताव दाखिल होने मात्र से मुख्य न्यायाधीश को निलंबित नहीं किया जा सकता.

    वर्तमान में नेपाल भ्रष्टाचार और सत्तावाद के खिलाफ Gen- Z के नेतृत्व में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौर से गुजर रहा है. इन प्रदर्शनकारियों ने सुशीला कार्की के नाम को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में प्रस्तावित किया है. कार्की की निडरता और भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी सिद्ध लड़ाई उन्हें इस भूमिका के लिए एक मजबूत दावेदार बनाती है. यदि वह इस पद को स्वीकार करती हैं, तो उन्हें एक बार फिर अपनी उस निडरता का प्रदर्शन करना होगा, जिसने उन्हें नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में प्रसिद्ध किया.

    जटिल और प्रेरक दोनों है सुशीला कार्की का जीवन
    सुशीला कार्की का जीवन प्रेरणादायक और जटिल दोनों है. उनके परिवार का नेपाली कांग्रेस के साथ गहरा नाता रहा है, और उनके पति का अपहरण जैसे विवादास्पद घटना में शामिल होना उनके जीवन का एक ऐसा पहलू है, जिसे वह कभी नहीं छिपातीं. फिर भी, उन्होंने अपनी मेहनत और निष्ठा से एक स्वतंत्र और सम्मानित पहचान बनाई. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई, जो उस समय कोइराला के करीबी सहयोगी थे. इस मुलाकात ने उनके निजी जीवन को आकार दिया, लेकिन पेशेवर रूप से वह हमेशा अपनी योग्यता के दम पर आगे बढ़ीं.

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