भारत के अलग-अलग शहरों से आई चार खौफनाक खूनी कहानियां किसी का भी दिल दहला सकती हैं. कानपुर हो या शहडोल. धनबाद हो या फिर लातूर. इन चारों जगहों पर पुलिस एक ही सच की तलाश में जुटी थी, वो था कत्ल का सच और कातिल का चेहरा. और जब इन वारदातों की सच सामने आया तो सबके रोंगटे खड़े हो गए. कमोबेश एक जैसी इन मर्डर मिस्ट्रीज़ का सबसे डरावना पहलू यह था कि हर हत्या के पीछे कातिल कोई और नहीं बल्कि मरने वाले का सबसे नज़दीकी शख्स निकला. इन चारों मामलों के पीछे है धोखा, शक और अवैध रिश्तों की कहानी.
- कानपुर में एक पेड़ के नीचे मौजूद एक बरसाती गड्ढा है और उस गड्ढे से पानी उलीचते लोग किसी चीज की तलाश में लगे हैं.
- कानपुर से 496 किलोमीटर दूर है शहडोल. वहां भी करीब 25 फीट गहरे एक अंधे कुएं में सीढ़ियों की मदद से किसी चीज की तलाश चल रही है.
- जबकि ये शहडोल से 664 किलोमीटर दूर धनबाद से भी एक तस्वीर सामने आई है. जहां एक घर के अंदर मिट्टी का ढेर लगा है और इसी ढेर के नीचे से एक ऐसी चीज बाहर निकली है, जिसे देख कर पूरा इलाका सकते में है.
- और धनबाद से 1601 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र के लातूर में पुलिस कार्रवाई में जुटी है. रात के अंधेरे में पुलिस एक नदी से बरामद संदिग्ध सूटकेस की तलाशी ले रही है, क्योंकि उसे शक है कि इस सूटकेस में एक ख़ौफ़नाक सच बंद है.
करीब 2 हजार किलोमीटर के दायरे में फैली इन सारी की सारी कहानियों का वैसे तो एक दूसरे से कोई भी सीधा कनेक्शन नहीं, लेकिन इन सभी की सभी मामलों में दो बातें ऐसी हैं, जो बहुत ही ज्यादा चौंकाने वाली और बिल्कुल कॉमन हैं. पहली बात तो ये कि इन सभी की सभी कहानियों में किसी ना किसी लाश की तलाश चल रही है. और दूसरी ये कि इन मौतों के पीछे वजह कत्ल है और क़ातिल के तौर पर मरने वाले या मरने वाली के पति या पत्नियों का नाम ही सामने आया है.
यानी करीब 2 हजार किलोमीटर के दायरे में बिखरी इन मर्डर मिस्ट्रीज़ के पीछे कमोबेश वही कहानी है, जो मेरठ की मुस्कान से शुरू होकर इंदौर की सोनम रघुवंशी से होती हुई यहां तक पहुंची है. लेकिन चूंकि हर कहानी दूसरी कहानी से जुदा है, इसलिए हर कहानी में कोई ना कोई ऐसी बात जरूर है, जो बिल्कुल ही अलहदा और हैरत में डालने वाली है. तो आइए इस नए सिलसिले की शुरुआत कानपुर से करते हैं.
कानपुर – गड्ढे के नीचे दफ्न राज
कानपुर के सचेंडी थाना इलाके का गांव लालूपुर, जहां इस वक्त पुलिस एक ऐसे शख्स की तलाश में पहुंची है, जो पिछले 10 महीने से भी ज्यादा समय से गायब है. और पुलिस को मिली जानकारी के मुताबिक दुनिया की नजरों में गायब वो शख्स अपने घर से बमुश्किल 400 मीटर के फासले पर एक बगीचे में इसी पानी से भरे गड्ढे के नीचे दफ्न है.
आखिरकार सर्च ऑपरेशन पूरा होता है और वही बात सच साबित होती है, जिसका डर हर किसी को था. उस गड्ढे के नीचे से इसी गांव के रहने वाले शिवबीर सिंह की लाश बरामद होती है. बल्कि अगर ये कहें कि लाश के नाम पर चंद हड्डियां, एक लॉकेट और कुछ कपड़े हाथ लगते हैं, तो ये ज्यादा सही होगा.
लेकिन आखिर शिवबीर की ये हालत कैसे हुई? जिसे लोग अब तक गायब समझ रहे थे वो एक लाश की शक्ल में इस गड्ढे में कैसे पहुंच गया? तो इस कहानी का सच जानने के लिए आपको चंद रोज़ पीछे चलना होगा.
पिछले महीने की 19 तारीख को यानी 19 अगस्त को शिवबीर की बहन कांति देवी और उसकी बुजुर्ग मां ने कानपुर के इसी सचेंडी थाने में अपने बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. दोनों महिलाओं ने बताया था कि शिवबीर से पिछले करीब 10 महीनों से उनका कोई संपर्क नहीं हो पाया है, जबकि उसकी पत्नी लक्ष्मी बताती है कि शिवबीर काम के सिलसिले में गुजरात में है और बीच-बीच में उसे फोन करता है.
ये शिकायत अपने-आप में अजीब थी. क्योंकि अगर कोई शख्स अपनी पत्नी को फोन कर सकता है, तो फिर वो अपनी मां ये बहन से बात क्यों नहीं कर सकता? क्यों उसकी मां और बहन जब भी उसे फोन करते हैं, तो उसका फोन स्विच्ड ऑफ मिलता है? तो इसका जवाब तफ्तीश से ही सामने आ सकता था.
अब पुलिस दस महीने से गायब शिवबीर की तलाश में तफ्तीश शुरू कर चुकी थी. इस सिलसिले में पुलिस ने सबसे पहले उसके मोबाइल फोन की सीडीआर निकलवाई, लेकिन सीडीआर हाथ लगते ही वो ये देख कर हैरत में पड़ गई कि उसकी लास्ट लोकेशन गुजरात में नहीं, बल्कि उसी सचेंडी है, जहां का वो रहने वाला है और जहां से वो गायब हुआ है. ये बात अपने आप में उसकी पत्नी लक्ष्मी के उस दावे को काटने वाली थी, जिसमें वो बता रही थी कि पति काम के लिए गुजरात गया है.
अब पुलिस ने लक्ष्मी के मोबाइल फोन की सीडीआर की जांच की और यहां भी उसे एक चौंकाने वाली बात पता चली. पुलिस ने देखा कि लक्ष्मी की अपने घर वालों से ज्यादा एक खास नंबर पर कुछ ज्यादा ही बातचीत होती है. पता चला कि ये नंबर शिवबीर और लक्ष्मी के भांजे अमित का था. ये बातचीत इशारा कर रही थी कि मामी-भांजे के बीच कुछ ना कुछ तो जरूर चल रहा है.
इसके बाद पुलिस ने जब लक्ष्मी और अमित को हिरासत में लेकर पूछताछ की, तो उन्होंने ना सिर्फ आपस में रिलेशन होने की बात कबूल कर ली, बल्कि ये भी बताया कि शिवबीर गायब नहीं है, बल्कि उन दोनों ने मिल कर उसे गायब कर दिया है. असल में दोनों ने मिल कर पिछली दिवाली की रात यानी 1 नवंबर 2024 को ही शिवबीर की हत्या कर दी थी और उसकी लाश को घर के पीछे मौजूद बगीचे में दफ्ना दिया था.
अब सवाल ये था कि आखिर लक्ष्मी ने अपने भांजे अमित के साथ मिलकर अपने पति शिवबीर की जान कैसे ली? तो इसका जवाब कत्ल के इल्जाम में गिरफ्तार इन दोनों ने तो पुलिस को दिया ही, लक्ष्मी के 10 साल के एक नाबालिग बेटे ने भी खुद अपनी जुबान से पुलिस को उस रात की सारी कहानी बताई, जिस रात शिवबीर की हत्या हुई थी. इस मासूम ने खुद अपनी आंखों से कत्ल के बाद अपनी मां और भैया को अपने पिता को ठिकाने लगाते हुए देखा था.
दरअसल, लक्ष्मी और अमित के रिश्तों का पता चलने के बाद पति-पत्नी के बीच अक्सर तीखी लड़ाइयां होती थी और शिवबीर अक्सर शराब पीता था. दिवाली की रात वो शराब पीकर घर लौटा. लक्ष्मी ने धोखे से उसके साथ-साथ अपने तीनों बच्चों को नशीली चाय पिला दी. मगर इत्तेफाक से 10 साल के उस बच्चे ने वो चाय नहीं पी. इसके बाद रात को जब शिवबीर गहरी नींद में सो गया कि लक्ष्मी ने बच्चों को दूसरे कमरे में छोड़ कर शिवबीर के कमरे में उसकी अमित के साथ मिलकर सब्बल से वार कर उसकी जान ले ली और रातों-रात उसकी लाश को घर पीछे बगीचे में दफ्ना दिया.
और तो और इसके बाद करीब 10 से 12 बोरी नमक डाल कर लाश को गलाने की भी कोशिश की. इत्तेफाक से दस साल के बच्चे ने कत्ल के बाद अपनी मां और भैया को लाश ठिकाने लगाते हुए देख लिया था, लेकिन लक्ष्मी ने उसे इतनी बुरी तरह से डराया कि उसने 10 महीने तक मुंह खोलने की हिम्मत नहीं जुटाई. 10 महीने तक ही लक्ष्मी अपनी सास, ननद और घर के बाकी रिश्तेदारों को ये कह कर अंधेरे में रखती रही कि उसकी अपने पति से बात होती है, जो काम के सिलसिले में गुजरात चला गया है.
लेकिन जब घरवालों के लिए अपने बेटे से बात करने का इंतजार कुछ ज्यादा ही लंबा हो गया, तो फिर शिवबीर की मां और बहन ने थाने का रुख किया. ये साजिश कितनी गहरी थी, ये तो आपने देख ली. लेकिन को जानकर हैरानी होगी पकड़े जाने से कुछ समय पहले तक दोनों सबूत मिटाने की कोशिश करते रहे.
इधर, रिपोर्ट दर्ज हुई उधर कातिलों कब्र से हड्डियां निकाल कर उन्हें एक नाले में बहा दिया… हालांकि इतना होने के बावजूद गड्ढे में कुछ हड्डियां और कपड़े बाकी रह गए, जिनसे वहां लाश दफनाए जाने की पुष्टि हो गई.
शहडोल – मौत का कुआं
अब आइए आपको शहडोल के अंधे कुएं से बाहर निकली ऐसी ही एक और कहानी बताते हैं. उसी अंधे कुएं से 31 अगस्त को 60 साल के शख्स भैयालाल रजक की लाश बरामद हुई. असल में महज एक रोज पहले एकाएक गायब हो गए भैयालाल की तलाश करते हुए जब घरवालों ने गांव के इस कुएं में झांका, तो अंदर बोरी में लिपटी एक संदिग्ध चीज देख कर सोच में पड़ गए.
चूंकि उन्हें भैयालाल के साथ अनहोनी का शक हो रहा था, तो उन्होंने इसकी जानकारी पुलिस को और जब पुलिस ने मजदूरों की मदद से उस संदिग्ध चीज को बाहर निकाला, तो घरवालों का शक सही निकला. ये भैयालाल की लाश ही थी, जिसकी हत्या के बाद उसे कुएं में फेंक दिया गया था. लेकिन फिर सवाल ये था कि आखिर भैयालाल का ये हाल कैसे हुआ?
तो जवाब पुलिस की तफ्तीश में मिला. पता चला कि भैयालाल ने तीन शादियां की थीं. उसकी पहली शादी के कुछ दिन बाद ही पत्नी घर छोड़ कर चली गई थी. इस पर उसने अपनी साली गुड्डी बाई से शादी कर ली. लेकिन जब इस शादी से उसे कोई बच्चा नहीं हुआ, तो उसने गुड्डी की बहन यानी दूसरी शादी मुन्नी बाई से शादी कर ली.
इस बीच कहानी में नारायण दास कुशवाहा नाम के एक शख्स की एंट्री हुई, जिसका भैयालाल के घर आना-जाना था. असल में भैयालाल अपनी पुश्तैनी जमीन बेचना चाहता था और नारायण दास एक बिचौलिये के तौर पर इसी जमीन के सौदे को लेकर भैयालाल के घर आता-जाता रहता था. और इसी दौरान नारायण दास और भैयालाल की पत्नी मुन्नी का अफेयर चालू हो गया.
इसके बाद अपने पति से पीछा छुड़ाने के लिए मुन्नी ने प्रेमी नारायण दास के साथ मिलकर भैयालाल का कत्ल कर दिया. 30 की रात दोनों ने एक शख्स धीरज के साथ मिलकर पहले सिर में रॉ़ड मार कर भैयालाल की हत्या की और फिर उसकी लाश को बोरी लपेट कर घर के पीछे कुएं में फेंक दिया. कातिलों को उम्मीद थी कि वो कभी पकड़े नहीं जाएंगे, लेकिन पुलिस ने मोबाइल फोन की सीडीआर ने मुन्नी और उसके प्रेमी का राज पता कर लिया और पूछताछ करने पर पूरी कहानी सामने आ गई.
लातूर – सूटकेस में लाश
अब बात करते हैं महाराष्ट्र के लातूर की. 25 अगस्त की रात अंधेरे में पुलिस एक ऑपरेशन में जुटी थी. असल में वहां तिरु नदी के किनारे पुलिस को एक ऐसा संदिग्ध सूटकेस मिला है, जिसमें किसी की लाश होने की खबर थी. लिहाजा, पुलिस इस वक्त सूटकेस को खोल कर सच जानने की कोशिश में कर रही थी. पुलिस का शक सही निकला और सूटकेस से वाकई एक महिला की लाश बरामद हुई. एक ऐसी लाश जिसे बुरी तरह से तोड़ मरोड़ कर सूटकेस के अंदर पैक किया गया था.
इधर, लाश बरामद होती है और उधर पुलिस अलग-अलग थाना इलाकों से गायब इसी एज ग्रुप की महिलाओं के बारे में जानकारी जुटाने की शुरुआत करती है. जल्द ही पुलिस ये पता लगा लेती है कि सूटकेस वाली जगह से करीब 40 किलोमीटर दूर उदगीर पुलिस स्टेशन में एक शख्स ने 8 दिन दिन पहले यानी 18 अगस्त को अपनी पत्नी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई है.
रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के रहने वाले जिया उल हक नाम के एक आदमी ने दर्ज करवाई थी, जिसने बताया था कि उसकी पत्नी फरीदा खातून पिछले 15 अगस्त से ही अपने घर से लापता है. अब पुलिस इस मिसिंग रिपोर्ट में मौजूद फरीदा की तस्वीरों के साथ लाश का मिलान करती है और उसका शक सही निकलता है. वो लाश फरीदा की ही थी.
अब पुलिस लाश को बरामद करने के बाद जिया उल हक से पूछताछ शुरू करती है. खास बात ये है कि इस मामले में पुलिस को जिया उल हक की बॉडी लैंग्वेज देख कर उस पर शक पहले ही दिन से था, लेकिन जब लाश मिलने के बाद पुलिस ने उसे पूछताछ के लिए बुलाया, तो पुलिस को कन्फर्म हो गया कि फरीदा की गुमशुदगी से जिया उल हक का कोई ना कोई लेना-देना जरूरी है. वो बुरी तरह घबराया हुआ था.
पुलिस ने बगैर देर किए जिला उल के मोबाइल फोन की लोकेशन और दूसरे तमाम डिटेल्स की जांच की और उसे गिरफ्तार कर लिया. ये जिया उल हक ही था, जिसने फरीदा की हत्या कर उसकी लाश अपने दोस्तों की मदद से 15 और 16 अगस्त को तिरु नदी में फेंका था. असल में जिया उल हक को शक था कि उसकी पत्नी फरीदा का किसी और से अफेयर है और इसी शक में उसने तकिए से मुंह दबा कर फरीदा की जान ली थी. फिलहाल, पुलिस ने जिया उल हक और उसके दोस्त को कत्ल और कत्ल के बाद लाश ठिकाने लगाने के जुर्म में अरेस्ट कर लिया.
धनबाद – घर में बना दी कब्र
अब कहानी झारखंड के धनबाद से. धनबाद की ये कहानी अब तक की सारी कहानियों से हट कर और ज्यादा चौंकाने वाली है. क्योंकि धनबाद में जिस शख्स की गुमशुगदी के बाद पिछले दस दिनों से उसकी तलाश चल रही थी, वो शख्स कहीं और नहीं बल्कि खुद अपने घर के अंदर ही दफ्न मिला. जी हां, उसी घर के अंदर जिसमें पति की लाश दफ्ना कर पत्नी बड़े इत्मीनान से रह रही थी.
टुंडी थाना इलाके इस मर्डर मिस्ट्री की शुरुआत तब हुई, जब सुरेश हांसदा एकाएक घर से कहीं गायब हो गया. सुरेश के गायब होने पर नाते रिश्तेदार और आस-पास के लोग उसकी पत्नी सुरजी देवी से सवाल जवाब करते थे, लेकिन सुरजी हर बार ये कह कर लोगों को टरका देती थी कि उसका पति मनसा पूजा में भाग लेने कहीं बाहर गया है.
लेकिन इसी बीच कहानी में एक ट्विस्ट आ गया. हुआ यूं कि सुरेश की बुजुर्ग चाची की अचानक एक रोज मौत हो गई. गमी के इस मौके पर पूरा हांसदा परिवार इकट्ठा हुआ सिवाय सुरेश के. इसके बाद नाते-रिश्तेदारों और पड़ोसियों का शक सुरेश की पत्नी सुरजी पर गहरा गया. लोग तलाशी के लिए सुरेश के घर के अंदर दाखिल हुए और वहां मिट्टी का ढेर देख कर हैरत में पड़ गए. साफ लग रहा था कि इस मिट्टी के नीचे किसी ना किसी को दफनाया गया है. अब खबर पुलिस को दी गई. और जैसे ही पुलिस ने इस सिलसिले में सुरेश की पत्नी से पूछताछ की, असली कहानी सामने आ गई.
असल में सुरेश की पत्नी सुरजी का अपने ही देवर के साथ अफेयर चल रहा था. दो बच्चों की मां सुरजी के इस अफेयर के चलते उसकी अपने पति से लड़ाई भी होती थी. सुरजी ने माना उसने 24 अगस्त की रात को पहले सुरेश को धोखे से जहरीला खाना खिला दिया और फिर अपने देवर बासो तुरी के साथ मिलकर कुल्हाड़ी से वार कर उसकी जान ले ली. हत्या के बाद सबूत मिटाने के इरादे से दोनों ने घर में ही उसकी कब्र खोद डाली और उसे दफ्ना कर ऊपर चबूतरा तक बना दिया, ताकि किसी को शक ना हो. फिलहाल, पुलिस ने कत्ल का खुलासा करते हुए लाश को बरामद कर लिया है. लेकिन इस वाकये में एक बीवी की साजिश देख कर लोग हैरान हैं.
(लातूर से अनिकेत जाधव, धनबाद से सिथुन मोदक, शहडोल से रवींद्र शुक्ला, कानपुर से रंजय सिंह और सिमर चावला का इनपुट)
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