More
    HomeHomeषष्ठी पूर्ति पूजा क्या है? जानें- 60 साल होने पर क्यों किया...

    षष्ठी पूर्ति पूजा क्या है? जानें- 60 साल होने पर क्यों किया जाता है ये धार्मिक अनुष्ठान

    Published on

    spot_img


    षष्ठी पूर्ति पूजा हिंदू परंपरा का एक विशेष हिस्सा है. ये पूजा उन लोगों के लिए कराई जाती है, जिन्होंने 60वां जन्मदिवस या इतने ही साल का वैवाहिक जीवन सफलतापूर्वक बिता लिया हो. मान्यता है कि षष्ठी पूर्ति पूजा करने से परिवार को भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है. माना जाता है कि इस पूजा से दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है. ईश्वर की कृपा से इंसान एक खुशहाल जीवन बिताता है. इसे षष्ठी अब्दा पूर्ति के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें ‘षष्ठी’ का अर्थ 60 और ‘अब्दा’ का अर्थ वर्ष और ‘पूर्ति’ का अर्थ पूरा होना है.

    शादीशुदा लोगों के लिए षष्ठी पूर्ती पूजा एक तरह की सिल्वर वेडिंग एनिवर्सरी सेरेमनी जैसी ही होती है, जो किसी जोड़े के 60 वर्ष तक सफलतापूर्वक शादी के बंधन में बंधे रहने के उपलक्ष्य में मनाई जाती है. यह पूजा बताती है कि व्यक्ति ने अपने परिवार और घर के प्रति सभी जिम्मेदारियों को सालों तक अच्छे से निभाया है. अब उम्र के एक पड़ाव पर व्यक्ति या दंपत्ति अपना ध्यान आध्यात्म की ओर मोड़ सकते हैं.

    षष्ठी पूर्ति पूजा का महत्व

    इस अवसर पर घर या मंदिर में पूजा का आयोजन होता है. हिंदू रीति-रिवाज में की जाने वाले अन्य पूजा की तरह ही इस पूजा में भी कलश स्थापना और हवन कराया जाता है. भगवान को धूप, दीप, फल, फूल और भोग अर्पित किया जाता है. फिर भगवान से आशीर्वाद बनाए रखने की प्रार्थना होती है.

    षष्ठी पूर्ति पूजा में विभिन्न प्रकार के अग्नि अनुष्ठान भी किए जाते हैं. जैसे- नवग्रह अग्नि अनुष्ठान, मृत्युंजय अग्नि अनुष्ठान और आयुष अग्नि अनुष्ठान. समारोह की शुरुआत यमुना और गंगा पूजा से होती है, जिसके बाद नंदी पूजा, कलश स्थापना कराई जाती है. इस दिन गणपति, नवग्रह और अन्य देवी-देवतओं की पूजा का विधान है.

    षष्ठी पूर्ति पूजा कैसे होती है?

    षष्ठी पूर्ति पूजा की शुरुआत यमुना और गंगा पूजा से होती है. फिर ईष्ट देवता को याद किया जाता है. पुण्य स्नान किया जाता है. नंदी पूजा और ऋत्विकवर्ण (ब्राह्मणों का चुनाव) होता है. इसके बाद कलश स्थापना होती है और गणपति जी का आवाहन किया जाता है. फिर नवग्रह और अन्य देवी-देवताओं का नाम लेकर षोडशोपचार पूजा की जाती है. महा मंगलारती होती है. भगवान को फल, फूल, धूप, दीप और भोग अर्पित किया जाता है.

    इसके बाद हवन होता है. गरीब ब्राह्मणों को घर पर आमंत्रित किया जाता है. उन्हें भोजन कराया जाता है. और सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा दी जाती है. आखिर में सभी रिश्तेदारों और करीबी लोगों को भोजन कराया जाता है. इस अवसर पर परोसे गए व्यंजनों में प्याज और लहसुन का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए. अंत में भगवान को प्रणाम करें और बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें.

    —- समाप्त —-



    Source link

    Latest articles

    Nepal government lifts social media ban after protests kill 20 people

    The Nepal government has withdrawn its decision to ban social media sites following...

    Akshay Kumar dedicates 58th birthday post to fans who still believe

    Actor Akshay Kumar, who turned 58 on September 9, shared a heartfelt post...

    Exclusive: Salman Khan to shoot Battle of Galwan climax scenes in first schedule

    Salman Khan is gearing up for one of the most crucial shooting schedules...

    More like this

    Nepal government lifts social media ban after protests kill 20 people

    The Nepal government has withdrawn its decision to ban social media sites following...

    Akshay Kumar dedicates 58th birthday post to fans who still believe

    Actor Akshay Kumar, who turned 58 on September 9, shared a heartfelt post...