चीन ने बुधवार को बीजिंग में अपने अब तक के सबसे बड़े सैन्य परेड का आयोजन किया है. यह आयोजन द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के 80 वर्ष पूरे होने पर किया गया. परेड सुबह 9 बजे (भारतीय समय 6:45 AM) शुरू हुआ और इसे चीन की सैन्य ताकत और भविष्य का प्रदर्शन माना जा रहा है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन सहित कई विदेशी नेताओं का स्वागत किया. ये नेता आमतौर पर अमेरिका के विरोधी देशों के माने जाते हैं.
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने इस परेड में अपनी आधुनिक सैन्य क्षमता का संगठित प्रदर्शन किया. इसमें ड्रोन, हाइपरसोनिक मिसाइल और फाइटर जेट जैसे हथियार शामिल थे.
सैकड़ों PLA विमान भी इस परेड का हिस्सा बने. 45 सैनिक टुकड़ियां तियानमेन स्क्वायर पर उतरीं और राष्ट्रपति शी जिनपिंग को सलामी दी. परेड लगभग 70 मिनट तक चलना है और शी जिनपिंग के संबोधन की भी संभावना है.
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बीजिंग में पुतिन, किम और शी का एक साथ मौजूद होना अमेरिका और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सीधा संदेश माना जा रहा है. ट्रंप पहले पुतिन और किम को अपने पाले में लाने की कोशिश कर चुके हैं. वहीं जापान ने विश्व नेताओं से आयोजन में शामिल न होने की अपील की थी, जिस पर चीन ने कड़ा राजनयिक विरोध दर्ज कराया है.
परेड में वो नेता भी शामिल जो माने जाते हैं अमेरिका के दुश्मन
इससे पहले चीन ने विक्ट्री डे परेड 10 साल पहले आयोजित किया था. इस बार 80वीं वर्षगांठ पर इसे और भव्य रूप दिया गया है. परेड में कुल 26 विदेशी नेता मौजूद रहे.
इनमें रूस के पुतिन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन, म्यांमार के सैन्य प्रमुख मिन आंग हलाइंग, उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव, मंगोलिया के राष्ट्रपति खुरेलसुख उखना और बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको शामिल रहे.
बख्तरबंद ट्रेन से पहुंचे किम जोंग उन
यूरोप से स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिको और सर्बिया के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर वुचिच भी शामिल हुए. उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन विशेष ट्रेन से चीन पहुंचे और इस परेड का हिस्सा बने.
यह ऐतिहासिक क्षण था क्योंकि 66 साल बाद कोई उत्तर कोरियाई नेता चीन की सैन्य परेड में शामिल हुआ है. आखिरी बार किम जोंग उन के दादा किम इल सुंग ने 1959 में हिस्सा लिया था.
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तियानमेन स्क्वायर को भव्य तरीके से सजाया गया है. PLA ने पहली बार अपने हाई-प्रोफाइल आधुनिक हथियारों का प्रदर्शन किया और दावा किया कि उनकी क्षमता अमेरिकी सेना के बराबर है. इस आयोजन को चीन की वैश्विक ताकत दिखाने और शी जिनपिंग की साख बढ़ाने की एक कोशिश मानी जा रही है.
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