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    तेजस्वी ने यूं ही नहीं नीतीश को नैतिक भ्रष्टाचार का भीष्म पितामह बताया, बहुत गहरे हैं मायने

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    बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ बहुत कुछ कहा जाता है पर उनके ऊपर आज तक किसी ने भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगाया. वोटर अधिकार यात्रा के समाप्त होते ही तेजस्वी यादव ने जिस तरह मुख्य मंत्री कुमार के खिलाफ बयानबाजी शुरू की है वह हैरान करने वाली है. तेजस्वी द्वारा नीतीश कुमार को नैतिक भ्रष्टाचार का भीष्म पितामह कहा जाना एक अप्रत्याशित हमला था. 

     17 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक चली वोटर अधिकार यात्रा महागठबंधन की एक महत्वपूर्ण पहल थी. इसका उद्देश्य मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं और वोट चोरी के मुद्दे को उजागर करना था. यात्रा में राहुल गांधी की प्रमुखता और कांग्रेस की बढ़ती सक्रियता ने RJD कार्यकर्ताओं में असंतोष पैदा किया, क्योंकि यह बिहार में RJD की पारंपरिक वर्चस्व को चुनौती मिलता दिखा. मुजफ्फरपुर में एक RJD विधायक को राहुल द्वारा मिलने से इनकार और सुरक्षा कर्मियों द्वारा धकेले जाने की घटना, साथ ही मोतिहारी में पोस्टर विवाद ने महागठबंधन के भीतर तनाव को उजागर किया. हो सकता है कि तेजस्वी ने यात्रा के समापन के बाद नीतीश कुमार पर आक्रामक हमला बोलकर कांग्रेस से अलग छवि बनाने की कोशिश हो.
     
    1 सितंबर को यात्रा के समापन के बाद ही उन्होंने पटना में दावा किया कि नीतीश सरकार के संरक्षण में संस्थागत भ्रष्टाचार चरम पर है. उन्होंने तीन इंजीनियरों के पास 500 करोड़, 300 करोड़ और 100 करोड़ की संपत्ति पाए जाने का जिक्र किया और नीतीश पर निशाना साधते हुए पूछा कि वह बार-बार एक विशेष मंत्री के घर क्यों जाते हैं, जहां अरबों की काली कमाई हो रही है.सवाल यह है कि जब यात्रा चल रही थी उस समय भी तेजस्वी नीतीश पर यह हमला कर सकते थे. पर उन्होंने यात्रा के समाप्त होने का इंतजार किया. जाहिर है कि तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर यह हमला यूं ही नहीं किया होगा. इसके पीछे जरूर आरजेडी की रणनीति होगी . आइये देखते हैं कि आखिर वो कौन से कारण हैं जिनके चलते तेजस्वी यादव ने बिहार में अपनी रणनीति में बदलाव किया है.

    1-नीतीश की इमानदारी छवि और तेजस्वी का जोखिम भरा दांव

    नीतीश कुमार को लंबे समय तक बिहार में सुशासन का प्रतीक माना गया है. उनके शासन में सड़कें, बिजली और बुनियादी ढांचे में सुधार के साथ ही अपराध पर नियंत्रण ने उनकी इमानदारी और प्रशासनिक क्षमता की छवि को मजबूत किया. यहां तक कि लालू प्रसाद यादव ने भी 2015 के चुनाव में नीतीश की इमानदारी को स्वीकार किया था, जब दोनों महागठबंधन में साथ थे. तेजस्वी का नीतीश को नैतिक भ्रष्टाचार का भीष्म पितामह कहना एक जोखिम भरा कदम है. क्योंकि अब तक नीतीश कुमार को तेजस्वी को चाचा बोलते रहे हैं. बार-बार लालू यादव की तरफ से उन्हें अपने गठबंधन में बुलावा भी भेजते रहे हैं.

    शायद यही कारण है कि नीतीश की इमानदारी की छवि को चुनौती देना तेजस्वी के लिए दोधारी तलवार साबित हो सकता है. क्योंकि नीतीश के समर्थकों, विशेष रूप से गैर-यादव OBC और EBC समुदायों में यह आरोप तेजस्वी से नाराजगी का कारण बन सकता है. 

    2- महागठबंधन पर प्रभाव और कांग्रेस से दूरी

    तेजस्वी की इस आक्रामकता को कांग्रेस से रणनीतिक दूरी का संकेत माना जा रहा है. वोटर अधिकार यात्रा में राहुल गांधी ने मतदाता सूची और लोकतंत्र जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया, जो बिहार के स्थानीय मतदाताओं के लिए कम प्रभावी माना गया. तेजस्वी ने भ्रष्टाचार और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों को उठाकर बिहार-केंद्रित नैरेटिव बनाया, जो RJD के कोर वोट बैंक के लिए अधिक प्रासंगिक है.

    मुजफ्फरपुर की घटना, जहां राहुल ने एक RJD विधायक से मिलने से इनकार कर दिया, और मोतिहारी में पोस्टर विवाद ने पहले से ही दोनों दलों के बीच तनाव को उजागर किया था.वोटर अधिकार यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने एक बार भी तेजस्वी को महागठबंधन की ओर सीएम कैंडिडेट नहीं बताया.

    यही नहीं राहुल का बुलेट अवतार हो या मखाना किसानों के बीच उनका मिलना जुलना रहा हो , तेजस्वी हर जगह फीके ही दिखे. जाहिर है कि जिस शख्स ने पिछले विधानसभा चुनावों में अपने नेतृत्व के बल पर अपनी पार्टी को प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी बनाया हो उसके लिए यह सब अवांछित ही था.जाहिर है कि तेजस्वी अब खुलकर खेल रहे हैं.

    तेजस्वी की यह आक्रामकता उन्हें बिहार में विपक्ष के प्रमुख चेहरे के रूप में स्थापित करने की कोशिश हो सकती है. यात्रा के दौरान राहुल गांधी मतदाता सूची और लोकतंत्र जैसे व्यापक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया, वहीं तेजस्वी ने भ्रष्टाचार और कानून-व्यवस्था जैसे स्थानीय मुद्दों को उठाकर बिहार-केंद्रित नैरेटिव बना सकते हैं. 

    3-BJP-NDA के जंगलराज नैरेटिव का जवाब

    BJP और JDU ने RJD के शासनकाल को जंगलराज बताकर लगातार हमला बोल रही है. तेजस्वी ने नीतीश को भ्रष्टाचार का पितामह कहकर इस नैरेटिव का जवाब देने की कोशिश की है. तेजस्वी का लक्ष्य NDA को रक्षात्मक स्थिति में लाना और यह दिखाना था कि वर्तमान सरकार के तहत भी भ्रष्टाचार और अपराध बेकाबू हैं.
    RJD का पारंपरिक वोट बैंक यादव, मुस्लिम और कुछ पिछड़े वर्ग स्थानीय मुद्दों और आक्रामक नेतृत्व के प्रति संवेदनशील हैं. तेजस्वी की यह आक्रामकता उनके कोर समर्थकों को उत्साहित करने और कार्यकर्ताओं में जोश भरने का प्रयास भी हो सकती है. यह विशेष रूप से तेजस्वी के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गया था क्योंकि यात्रा के दौरान कांग्रेस के बैनर, कांग्रेस के नारों में आरजेडी कहीं खो सी गई थी. 

    4-नीतीश सरकार की कमजोरियों का दोहन

    हाल के वर्षों में नीतीश सरकार में भ्रष्टाचार के कुछ मामले सामने आए हैं जैसे शराबबंदी के बावजूद अवैध शराब तस्करी, नौकरशाही में अनियमितताएं, और कुछ मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप. जाहिर है कि सीएम नीतीश कुमार को भ्रष्ट बताए बिना संभव नहीं है कि इन मुद्दों को आम जनता तक ले जा कर भुनाया जा सके.

    विशेष रूप से तेजस्वी ने एक मंत्री के घर नीतीश के बार-बार जाने का जिक्र कर काली कमाई का आरोप लगाया, जो जनता में संदेह पैदा करने का प्रयास है. यह रणनीति नीतीश की इमानदारी की छवि को धूमिल करने और उनके शासन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के लिए काफी हो सकती है.

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