इंसाफ़ की चौखट कहीं कचहरी होती है, कहीं पुलिस थाने. लेकिन क्या हो जब वही फैसला एक भीड़ अपने तालिबानी अंदाज़ में करने लगे? सोचिए… सैकड़ों मर्दों से घिरी एक अकेली औरत, सिर से पल्लू खींच लिया जाए, वो हाथ जोड़कर रहम की भीख मांगे और चारों तरफ से सवालों की बौछार हो रही हो- क्या तुमने अपने पति का कत्ल किया?
ये मामला है मध्य प्रदेश के गुना जिले के एक छोटे से गांव बंजारी बर्री का. जहां पंचायत हुई, लेकिन इंसाफ़ के नाम पर जो हुआ, उसने सबको हिला दिया. एक महिला संपो देवी, जिस पर अपने ही पति कैलाश बंजारा की हत्या का आरोप है, वो पंचायत के कटघरे में खड़ी थी. वहां वो अकेली औरत थी, उसके खिलाफ पूरा गांव था. ये कहानी सवाल, इल्ज़ाम, कबूलनामे और रहस्य से भरी है. जिसमें एक कत्ल, एक प्रेमी और एक साज़िश छुपी है.
इस खूनी कहानी की शुरूआत मध्य प्रदेश के गुना जिले के एक सुदूर ग्रामीण इलाके से होती है. थाना मधुसूदनगढ़ का इलाका और गांव का नाम बंजारी बर्री. उस गांव में तालिबानी अंदाज में एक पंचायत लगी. तालिबानी अंदाज इसलिए क्योंकि पंचायत में सैकड़ों लोगों के बीच एक अकेली महिला घिरी बैठी थी. इतने सारे मर्दों से घिरी वो महिला हाथ जोड़ कर कुछ फरियाद कर रही थी. उन्हें कुछ समझाने-बताने की कोशिश कर रही थी. इस बीच लोग उस पर चिल्ला रहे थे और किसी ने पीछे से उसके सिर से पल्लू भी खींच दिया था.
पंचायत में बातचीत के दौरान लोग उसे पूछ रहे थे- बताओ.. क्या तुमने ही अपने पति की हत्या की? क्यों मारा उसे? इस पर वो महिला जवाब देती है. हां, मैंने ही अपने पति को मारा है. फिर सवाल दागा जाता है- ये बताओ, क्या प्रदीप भार्गव भी साथ था, जब तुमने पति को मारा? महिला धीमी आवाज़ में कहती है- नहीं, मुझे माफ़ कर दीजिए.
अगर आपको माजरा पूरी तरह समझ में नहीं आया, तो चलिए हम बताते हैं. पंचायत इस वक्त महिला से ये पूछ रही है कि क्या तुमने अपने पति की हत्या की है और क्या हत्या में प्रदीप भार्गव ने भी तुम्हारा साथ दिया है? और जवाब में महिला अपने पति की हत्या की बात तो कबूल करती है, लेकिन प्रदीप के इसमें शामिल होने और ना होने के सवाल पर वो चुप्पी साध जाती है और माफी मांगने लगती है.
अब पूरी कहानी सुनिए. उस संपो देवी नाम की इस महिला पर अपने ही पति कैलाश बंजारा के कत्ल का इल्जाम है. और पंचायत उसी कैलाश बंजारा के कत्ल की आरोपी पत्नी संपो देवी के गुनाहों का हिसाब किताब करने की कोशिश कर रही थी.
मगर, दिक्कत ये है कि अव्वल तो पंचायत को ऐसा करने का कोई हक नहीं है और दूसरा पंचायत में सवालों के घेरे में आई इस महिला के अलावा दूसरी कोई भी महिला मौजूद नहीं है. ऐसे में महिला पर की जा रही छींटाकशी और डराए धमकाए जाने की ये तस्वीरें वाकई हैरान करती हैं.
इस कहानी की शुरुआत 21 अगस्त को तब हुई, जब गांव के रहने वाले कैलाश बंजारा की संदिग्ध हालत में मौत हो गई. वैसे तो मौत संदिग्ध हालत में हुई थी, लेकिन कैलाश की की पत्नी संपो देवी ने रो-पिट कर उसका पोस्टमार्टम करवाने से मना कर दिया. नाते रिश्तेदार और गांव वालों ने उसकी बात मान ली और उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया. लेकिन इसी दौरान उन्होंने कैलाश के गले में रस्सी जैसी किसी चीज के दाग़ नोटिस किए.
और बस इसी के बाद गांव वालों का शक संपो पर गहरा गया. उन्होंने बाकायदा पंचायत बुलाई. संपो को घेरे में लिया और कत्ल का जुर्म कबूलने के लिए दबाव बनाने लगे. इससे पहले पंचायत ने उसका मोबाइल फोन भी चेक किया था, जिसमें गांव के ही प्रदीप भार्गव नाम के एक आदमी से उसकी सैकड़ों बार बातचीत की पुष्टि हुई. जिससे लोगों को शक हुआ कि संपो के प्रदीप से संबंध हैं और उसने इसी वजह से अपने पति की जान ली है.
बाद में पंचायत ने संपो देवी को पुलिस के हवाले कर दिया. पति का जुर्म कबूलने के बाद पुलिस ने संपो को गिरफ्तार कर लिया, इसके बाद जब उससे पूछताछ की गई तो कत्ल की असली कहानी सामने आई. पता चला कि वारदात वाले दिन कैलाश बीमार होने के बावजूद अपनी पत्नी के करीब आना चाहता था. जबकि संपो उसे ऐसा करने से रोक रही थी. इस बीच कैलाश ने रस्सी के सहारे उसे मारने की कोशिश की. संपो ने तब खुद को तो किसी तरह बचा लिया, लेकिन बाद में उसने कैलाश की उसी रस्सी से गला घोंट कर जान ले ली.
इससे पहले उसने अपने बीमार पति के लिए अपने उसी प्रेमी प्रदीप भार्गव से दवा भी मंगवाई थी. और ये दवा उसे खिलाई भी थी. ऐसे में प्रदीप भी शक के घेरे में आ चुका था. लेकिन तफ्तीश में पुलिस को पता चला कि प्रदीप कत्ल के वक्त तो वहां नहीं था, लेकिन कत्ल के बाद उसने सबूत मिटाने में संपो का जरूर साथ दिया और कहा कि वो किसी भी कीमत पर अपने पति के शव का पोस्टमार्टम ना होने दे. संपो ने ऐसा ही किया.
लेकिन कैलाश के गले पर मौजूद रस्सी के निशान ने आखिरकार सारा राज फाश कर दिया. ये और बात है कि अब कैलाश की लाश जलाई जा चुकी है और देखा जाए तो सिवाय कबूलनामे के कैलाश की हत्या के कोई भी सबूत मौजूद नहीं हैं.
(गुना से विकास दीक्षित का इनपुट)
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