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    मनोज जरांगे की बड़ी जीत, मराठा आरक्षण देने पर राजी हुई महाराष्ट्र सरकार, कुनबी प्रमाण पत्र के लिए बनेगी कमेटी

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    महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन करने आए लोगों और मनोज जरांगे की बड़ी जीत हुई है. सरकार ने “हैदराबाद गजट” को जारी कर दिया है. यानि कि मराठा समाज के लोगों को ‘कुनबी’ जाति का दर्ज प्राप्त होगा. कुनबी जाति को पहले ही प्रदेश में ओबीसी में शामिल हैं. सरकार के इस फैसले से मराठाओं को आरक्षण मिलने का रास्ता साफ हो गया है. सरकार की इस पहल से न केवल मराठा समाज के लिए कई अवसरों के रास्ते खोलेगी, बल्कि इस फैसले से सामाजिक न्याय की दिशा भी मजबूत होगी.

    सरकार की ओर से गजट जारी करने के पहले मनोज जरांगे ने आमरण अनशन खत्म करने को लेकर कुछ शर्तें रखीं थीं. इसमें मराठा समाज को कुनबी जाति में शामिल करने की मांग सबसे प्रमुख था. अब सरकार की ओर से गजट जारी हो गई है. ऐसे में रात नौ बजे वह मुंबई छोड़कर चले जाएं. जरांगे ने आमरण अनशन को खत्म कर आंदोलन की समाप्ति की घोषणा की है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी बुधवार सुबह तक आजाद मैदान खाली करने की सख्त चेतावनी दी है.

    मराठा आरक्षण की जंग: मनोज जरांगे का लंबा संघर्ष

    मराठा आरक्षण को लेकर फडणवीस सरकार ने जो हामी भरी है, उसके लिए मनोज जरांगे ने महीनों आंदोलन किए हैं. आरक्षण का रास्ता इतना आसान भी नहीं था. 

    मनोज जरांगे ने 2021 में मराठा आरक्षण को लेकर पिंपलगांव में 90 दिनों तक आंदोलन किया था. 2023 में अगस्त के महीने में जालना में जरांगे ने आरक्षण की मांग को लेकर बड़े स्तर का आंदोलन किया था. उन्होंने कई दिनों तक आमरण अनशन किया और पुलिस की कार्रवाई के बाद यह आंदोलन प्रदेश भर में सुर्खियों में चर्चा में आई थी. 

    यह भी पढ़ें: मराठा आरक्षण आंदोलन: मनोज जरांगे आमरण अनशन खत्म करने को तैयार, रखी ये शर्त, आजाद मैदान में ‘जीत का जश्न’ मना रहे समर्थक

    इसके अलावा, 2023 से लेकर 2025 के बीच जरांगे ने कई बार अलग-अलग क्षेत्रों में भूख हड़ताल की, जिसमें प्रमुख तौर पर मराठवाड़ा क्षेत्र और मुंबई में, सात बार आमरण अनशन किया. 

    महाराष्ट्र में किसे मिलता है कितना आरक्षण?

    महाराष्ट्र में जनरल कैटेगरी के लोगों को कई आरक्षण नहीं मिलता है. सबसे ज्यादा आरक्षण अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को मिलता है, 19 फीसदी. इसके बाद अनुसूचित जाति (SC/SC-Buddhist) को मिलता है. इन्हें 13 फीसदी आरक्षण मिलता है. इनके अलावा, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को 10 फीसदी, सामाजिक/शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग (SEBC) को 10 फीसदी, अनुसूचित जनजाति (ST) को 7 फीसदी, घुमंतू जनजाति 2 (NT-C) को 3.5 फीसदी, विमुक्त जाति (VJNT-A) को तीन फीसदी और घुमंतू जनजाति 3 (NT-D) को दो फीसदी मिलती है.

    जरांगे की क्या रही प्रमुख मांगें?

    मनोज जरांगे की सरकार से मांग है कि मराठा आरक्षण की मांग को लेकर जिन आंदोलनकारियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं, उन्हें वापस लिया जाए. आंदोलन के दौरान जिन पुलिसकर्मियों ने कार्रवाई की, उनके खिलाफ सरकार एक्शन ले. आंदोलनकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और उनका दमन न किया जाए. जरांगे की जो प्रमुख मांग थी, ‘मराठा समाज को कुनबी दर्जा’ उसपर तो सरकार ने हामी भर दी है. 

    —- समाप्त —-



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