बिहार विधानसभा चुनाव की औपचारिक घोषणा भले ही ना हुई हो, लेकिन सियासी सरगर्मी पूरी तरह बढ़ गई है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की जोड़ी ने बिहार में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ निकालकर चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने का दांव चला है तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी रणक्षेत्र में उतरकर तेजस्वी यादव के लिए सियासी बैटिंग कर दी है.
17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई इंडिया ब्लॉक की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ अब 23 जिलों और 1300 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद पटना में समाप्त हो रही है. राहुल-तेजस्वी की यात्रा के आखिरी पड़ाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने शिरकत की. अपनी केवल डेढ़ दिन की बिहार यात्रा के दौरान अखिलेश यादव ने तेजस्वी यादव का नाम आगे करके पटना से यूपी की सियासत का एजेंडा तय करते हुए नज़र आए.
बिहार में कांग्रेस का आरजेडी के साथ चुनाव लड़ना तय है, लेकिन वह तेजस्वी यादव को सीएम का चेहरा बनाने के लिए तैयार नहीं है. ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान पत्रकारों ने कई बार राहुल गांधी से यह सवाल पूछा और हर बार उन्होंने खामोशी बनाए रखी. इतना ही नहीं, तेजस्वी ने राहुल को पीएम पद का उम्मीदवार तक बता दिया, उसके बाद भी कांग्रेस टस से मस नहीं हुई. ऐसे में अखिलेश ने बिहार में सियासी दस्तक देने के साथ ही तेजस्वी यादव के चेहरे पर अपनी रजामंदी देकर एक बड़ा सियासी दांव चला.
तेजस्वी के नाम पर अखिलेश रजामंद
तेजस्वी यादव ने कहा कि 400 पार का नारा लगाने वालों को उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव ने आधे पर रोक दिया. अखिलेश के अनुभव का लाभ हमें बिहार में भी मिलेगा, उनके आने से हमें बहुत मजबूती मिली है. उन्होंने कहा कि हम लोगों को साथ मिलकर लड़ना है. बिहार की जनता जागरूक है. बीजेपी को चुनाव में मुंहतोड़ जवाब देगी. इसके बाद अखिलेश यादव ने भी तेजस्वी यादव की खूब तारीफ की और कहा कि महागठबंधन की तरफ से तेजस्वी यादव ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे.
अखिलेश ने कहा कि तेजस्वी यादव से बेहतर बिहार में कोई मुख्यमंत्री नहीं हो सकता. मैं हमेशा तेजस्वी यादव का साथ दूंगा और हर मदद करूंगा, क्योंकि उन्होंने बिहार के विकास के लिए काम किया है और नौकरी दी है. ऐसे में बिहार के लोग अपना भविष्य बनाने के लिए मतदान करें. अखिलेश ने यह बात राहुल गांधी और तेजस्वी की मौजूदगी में कही, क्योंकि कांग्रेस और राहुल गांधी ने बिहार में सीएम चेहरे के नाम पर चुप्पी साध रखी है.
तेजस्वी के बहाने अखिलेश का दांव
बिहार में जिस तरह से कांग्रेस और आरजेडी साथ हैं, उसी तरह से यूपी में सपा और कांग्रेस का गठबंधन है. अखिलेश यादव इस बात को जानते हैं कि बिहार में कांग्रेस ने सीएम चेहरे पर जिस तरह सियासी सस्पेंस बना रखा है, उसी तरह अगर कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के 2027 के विधानसभा चुनाव में सियासी स्टैंड अपनाया, तो उससे सपा के लिए नई सियासी टेंशन पैदा हो जाएगी. यही वजह है कि अखिलेश यादव ने राहुल की मौजूदगी में तेजस्वी यादव के नाम पर अपनी मुहर लगाकर कांग्रेस पर सियासी दबाव बनाने के साथ-साथ अपने मन की बात भी कह दी है.
बिहार के डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने कहा कि तेजस्वी यादव खुद को भले ही मुख्यमंत्री बता रहे हैं, लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी चुप्पी साधे हुए हैं. तेजस्वी ने अखिलेश यादव को यात्रा में इसीलिए बुलाया ताकि राहुल गांधी पर राजनीतिक दबाव बनाया जा सके, लेकिन राहुल ने तेजस्वी को लेकर कोई ऐलान नहीं किया. महागठबंधन को पता है कि तेजस्वी को सीएम उम्मीदवार घोषित करते ही बिहार में महागठबंधन खत्म हो जाएगा, क्योंकि तेजस्वी भ्रष्टाचार के आरोपी हैं और जाँच एजेंसियाँ जाँच कर रही हैं.
बिहार से सेट किया यूपी का एजेंडा
अखिलेश यादव ने 2024 में राहुल गांधी के साथ मिलकर यूपी में बीजेपी को तगड़ा झटका दिया था. राहुल यूपी के रायबरेली से सांसद हैं और कांग्रेस के 6 सांसद जीते हैं, जिसके बाद से पार्टी को यूपी में अपनी सियासी उम्मीदें दिखने लगी हैं. कांग्रेस लगातार यूपी में खुद को मजबूत करने की कोशिश में जुटी है. इसी का नतीजा है कि कांग्रेस और सपा के बीच कई बार जुबानी जंग भी देखने को मिली है. कांग्रेस के सांसद इमरान मसूद लगातार सपा के खिलाफ आक्रामक तेवर अपनाए हुए हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय तो यह तक कह चुके हैं कि यूपी पंचायत और एमएलसी चुनाव पार्टी अकेले लड़ेगी.
कांग्रेस के सियासी तेवर को देखते हुए सपा भी अलर्ट है. इसीलिए अखिलेश यादव ने बिहार से यूपी के सियासी समीकरण साधने का दांव चला. बिहार में सीएम पद के लिए तेजस्वी के चेहरे पर मुहर लगाकर अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में अपनी दावेदारी को मजबूत किया है, क्योंकि 2027 में सपा अपनी वापसी की उम्मीद लगाए हुए है. ऐसे में कांग्रेस बिहार की तरह ही अखिलेश के चेहरे को लेकर सस्पेंस न बना सके, इसीलिए उन्होंने कांग्रेस पर ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ का सियासी दांव चल दिया है.
कांग्रेस की जमीन पर खड़े क्षत्रप
उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार और पश्चिम बंगाल तक कांग्रेस की सियासी ज़मीन पर ही क्षेत्रीय दल (क्षत्रप) खड़े हैं. दिल्ली में कांग्रेस की सियासी ज़मीन पर ही आम आदमी पार्टी ने अपनी राजनीतिक इमारत खड़ी की है. इसी तरह, यूपी में सपा और बिहार में आरजेडी ने भी कांग्रेस के सियासी आधार पर अपनी जड़ें मज़बूत की हैं, तो पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के वोट बैंक पर ही टीएमसी खड़ी है.
कांग्रेस की रणनीति अपनी सियासी ज़मीन को दोबारा हासिल करने की है. बिहार में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ निकालकर कांग्रेस ने सियासी माहौल तो बनाया ही है, साथ ही अपनी ‘बार्गेनिंग पावर’ भी बढ़ा ली है. इसी तरह यूपी में भी कांग्रेस अपने दम पर खड़ा होना चाहती है. इस बात को तेजस्वी यादव से लेकर अखिलेश यादव तक बखूबी समझ रहे हैं. इसीलिए तेजस्वी यादव ने खुद को सीएम का चेहरा घोषित किया और अखिलेश यादव की रजामंदी से कांग्रेस पर दबाव बनाने का दांव चला.
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