राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि राम मंदिर एकमात्र ऐसा आंदोलन था, जिसका संघ ने समर्थन किया था और वह काशी और मथुरा के स्थलों के पुनरुद्धार सहित ऐसे किसी भी अन्य आंदोलन का समर्थन नहीं करेगा.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक दिल्ली के विज्ञान भवन में अपनी तीन दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला के अंतिम दिन सवालों के जवाब में मोहन भागवत ने स्पष्ट किया कि आरएसएस के स्वयंसेवक ऐसे आंदोलनों में शामिल होने के लिए स्वतंत्र हैं. उन्होंने कहा कि राम मंदिर एकमात्र ऐसा आंदोलन था, जिसका आरएसएस ने समर्थन किया, वह किसी अन्य आंदोलन में शामिल नहीं होगा, लेकिन हमारे स्वयंसेवक इसमें शामिल हो सकते हैं. ये व्याख्यान श्रृंखला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित की गई थी.
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व्याख्यान श्रृंखला के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत में इस्लाम का हमेशा एक स्थान रहेगा और उन्होंने हिंदू और मुसलमानों के बीच आपसी विश्वास बनाए रखने की पुरज़ोर वकालत की. भागवत ने कहा कि संघ किसी पर भी, धार्मिक आधार पर हमला करने में विश्वास नहीं रखता है. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि उनका मानना है कि धर्म व्यक्तिगत पसंद का मामला है और इस मामले में किसी भी तरह का प्रलोभन या ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं होनी चाहिए.
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मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू और मुसलमान मूल रूप से एक जैसे हैं, उनमें फर्क सिर्फ पूजा करने के तरीकों का है. इसलिए एकजुट होने की बात ही नहीं उठती, क्योंकि हम पहले से ही एक हैं. उन्होंने कहा कि इस्लाम भारत में प्राचीन समय से मौजूद है, आगे भी रहेगा. भागवत के मुताबिक हिंदू सोच ये नहीं है कि इस्लाम खत्म हो जाएगा. उन्होंने जोर दिया कि हिंदू और मुसलमान दोनों को आपस में भरोसा करना चाहिए.
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सड़कों और कस्बों के नाम बदलने पर क्या बोले भागवत?
मुस्लिम नामों वाली सड़कों और कस्बों के नाम बदलने के मुद्दे पर आरएसएस प्रमुख ने कहा कि उनका एकमात्र आग्रह यह है कि सड़कों या कस्बों का नाम आक्रमणकारियों के नाम पर नहीं रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आक्रमणकारियों के नाम नहीं होने चाहिए. मैंने यह नहीं कहा कि मुस्लिम नाम नहीं होने चाहिए. एपीजे अब्दुल कलाम, अब्दुल हमीद के नाम होने चाहिए.
‘धर्मांतरण और अवैध प्रवासन जनसंख्या असंतुलन की बड़ी वजह’
मोहन भागवत ने कहा कि देश में जनसंख्या असंतुलन की बड़ी वजह धर्मांतरण और अवैध प्रवासन है. उन्होंने बताया कि सरकार घुसपैठ रोकने की कोशिश कर रही है और समाज को भी इसमें योगदान देना चाहिए. भागवत ने कहा कि नौकरियां अवैध प्रवासियों को नहीं, बल्कि अपने देशवासियों को मिलनी चाहिए, जिसमें मुसलमान भी शामिल हैं.
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