तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) की सहयोगी पार्टी विदुथलै चिरुथैगल काची (VCK) के नेता वन्नियारासु ने एक कार्यक्रम में हिंदू महाकाव्यों रामायण और महाभारत को ऑनर किलिंग के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए विवादित बयान दिया. उन्होंने दावा किया कि इन ग्रंथों की कहानियां जाति आधारित हिंसा को वैधता प्रदान करती हैं. उन्होंने विशेष रूप से रामायण को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया.
वन्नियारासु ने रामायण के एक प्रसंग का जिक्र किया, जिसमें एक ब्राह्मण अपने मृत बच्चे को राम के पास ले जाता है और शासन की नाकामी का आरोप लगाता है. राम यह देखकर पूछते हैं कि क्या हुआ? ब्राह्मण जवाब कहता है कि उनका शासन बिगड़ गया है और धर्म बदल गया है, जिससे बुरी घटनाएं हो रही हैं. जब राम ने फिर पूछा कि क्या हुआ, तो ब्राह्मण ने उनसे वन में जाकर स्वयं देखने को कहा.
वन्नियारासु ने कहानी का जिक्र करते हुए आगे कहा, ‘राम जंगल में जाते हैं और वहां एक आदिवासी व्यक्ति संपुहन को उल्टा लटककर तपस्या करते पाते हैं. राम उससे पूछते हैं कि नीची जाति का होने के बावजूद वह तप कैसे कर सकता है? फिर राम अपनी तलवार से उसका सिर काट देते हैं. संपुहन का खून ब्राह्मण के मृत बच्चे के शरीर पर छिड़कने से वह जीवित हो जाता है.’
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वीसीके नेता ने तर्क दिया कि ऐसी कहानियां अंतरजातीय विवाहों में हिंसा को जायज ठहराती हैं और इसे सनातन और वर्णाश्रम विचारधारा का हिस्सा बताया. वन्नियारासु ने कहा, ‘ऑनर किलिंग के पीछे एक विचारधारा है, और वह है सनातन और वर्णाश्रम.अंबेडकर इस विचारधारा को खत्म करना चाहते थे.’
बीजेपी का तीखा पलटवार
वन्नियारासु के बयान पर तमिलनाडु बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने कड़ा ऐतराज जताया. उन्होंने डीएमके और उसके सहयोगियों पर सनातन धर्म के खिलाफ नफरत फैलाने का आरोप लगाया. अन्नामलाई ने कहा, ‘रामायण का ऑनर किलिंग से क्या संबंध? क्या इंडी गठबंधन के लोग अपना विवेक खो चुके हैं? वीसीके नेता ने उत्तर कांड का जिक्र किया, जो वाल्मीकि रामायण का हिस्सा नहीं है और न ही तमिल कवि कंबन की रामायण में शामिल है. फिर भी, हमारी सभ्यता को बदनाम करने के लिए ऐसी विकृतियां बेशर्मी से पेश की जा रही हैं.’
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अन्नामलाई ने इसे डीएमके और उसके सहयोगियों की घटिया राजनीतिक बयानबाजी करार देते हुए कहा, ‘सनातन धर्म हजारों वर्षों से हमलों का सामना करता रहा है और इन राजनीति प्रेरित हमलों को भी सहन करेगा.’ वन्नियारासु ने जिस कहानी का जिक्र करते हुए यह विवादित बयानबाजी की, उसका संबंध उत्तर कांड में शंबूक प्रसंग से है. उत्तर कांड को रामायण का बाद में जोड़ा गया हिस्सा माना जाता है और इसकी प्रामाणिकता पर विद्वानों में मतभेद है. कुछ इसे जातिगत व्यवस्था को दर्शाने वाली रचना मानते हैं, जबकि अन्य इसे मूल रामायण का हिस्सा नहीं मानते.
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