दिल्ली का मॉनसून इस साल बिल्कुल बदला-बदला नज़र आया. जून-जुलाई तक बारिश की कमी थी, लेकिन अगस्त में इतनी बारिश हुई कि ये महीना रिकॉर्ड बुक में दर्ज हो गया. अगस्त 2025 अब तक पिछले दस साल से ज्यादा समय में दूसरा सबसे बारिश भरा अगस्त बन चुका है.
इस अगस्त अकेले ही दिल्ली में 11 दिन बारिश हुई और कुल 311.8 मिमी बारिश दर्ज हुई. यह आंकड़ा पिछले साल की 390.3 मिमी (17 दिन) से थोड़ा कम है. मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक 2018 से 2021 के बीच अगस्त की बारिश सामान्य उतार-चढ़ाव वाली रही.
इसके बाद 2022 और 2023 बेहद सूखे रहे. साल 2022 में सिर्फ 41.6 मिमी और 2023 में 91.8 मिमी बारिश हुई. लेकिन 2024 और 2025 में बारिश ने ज़बरदस्त वापसी की, और घाटे से सीधे अधिशेष (surplus) तक पहुंच गई.
दिल्ली में मॉनसून का हाल
अगर पूरे भारत में मॉनसून के प्रदर्शन को देखें तो इस साल दिल्ली में बारिश सामान्य से कहीं ज़्यादा हुई. बारिश के मामले में दिल्ली सिर्फ लद्दाख और राजस्थान से पीछे रही. राजधानी में इस सीजन में अब तक 553.8 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य से 36% ज्यादा है.
सीजन की शुरुआत कमजोर रही.
11 जून तक बारिश सामान्य से 56% कम थी.
18 जून तक हल्की सुधार के साथ 12% सरप्लस हो गया.
25 जून को फिर से 28% घाटा दर्ज हुआ.
जुलाई में भी हालात बहुत बेहतर नहीं रहे.
जुलाई की शुरुआत में बारिश हल्के रुख के साथ आई लेकिन जुलाई के आखिर में अचानक पलटवार हुआ. 30 जुलाई को खत्म हुए हफ्ते में बारिश 13% सरप्लस रही. अगस्त के पहले हफ्ते में ये सरप्लस 26% तक पहुंच गया. 12 अगस्त तक बारिश 35% ज्यादा हो गई. फिर 20 अगस्त तक ये बढ़कर 37% सरप्लस हो गया. यानी अगस्त की लगातार दो हफ्तों की जोरदार बारिश ने जून-जुलाई की सारी कमी को पलट दिया और दिल्ली को एक दशक से ज्यादा वक्त के सबसे बारिश भरे मॉनसून में बदल दिया.
AQI में बदलाव
आम तौर पर ज्यादा बारिश का मतलब साफ हवा होता है. लेकिन इस बार तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं है. साल 2020 में जब दिल्ली में अगस्त में 237 मिमी बारिश हुई, तब औसत AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) गिरकर 64 हो गया. हाल के सबसे साफ सालों में से एक. साल 2024 में जब अगस्त में 390.3 मिमी बारिश हुई, तब भी AQI सुधरकर 72 पर आ गया लेकिन सूखे सालों में हालात उल्टे रहे.
2022 (41.6 मिमी) और 2023 (91.8 मिमी) में AQI 90 से 116 के बीच रहा, यानी हवा ज्यादा गंदी रही. इस साल (2025) अगस्त में AQI करीब 91 रहा – सूखे सालों से बेहतर, लेकिन गीले सालों जितना साफ भी नहीं. यानी, इस बार की बारिश ने रिकॉर्ड तोड़ दिए, लेकिन हवा को उतना साफ नहीं कर पाई, जितनी उम्मीद थी.
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