ऑपरेशन सिंदूर पर सोशल मीडिया पोस्ट के बाद एफआईआर का सामना कर रहे अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उनके खिलाफ दर्ज केस में ट्रायल पर रोक लगा दी. कोर्ट ने साफ कहा कि निचली अदालत फिलहाल चार्जशीट पर कोई संज्ञान न ले और न ही आरोप तय किए जाएं.
सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि पुलिस ने केवल सोशल मीडिया पोस्ट की जांच नहीं की, बल्कि उससे आगे जाकर अन्य मामलों की जांच शुरू कर दी है. उन्होंने यह भी आपत्ति जताई कि प्रोफेसर पर BNS (भारतीय न्याय संहिता) की धारा 152 यानी राजद्रोह लगाई गई है, जबकि इस कानून की संवैधानिक वैधता खुद सुप्रीम कोर्ट में चुनौती के अधीन है.
क्या कहा पुलिस और SIT ने?
हरियाणा पुलिस और SIT ने कोर्ट को बताया कि अली खान के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गई थीं. इनमें से एफआईआर 146/2025 में पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है, जबकि एफआईआर 147/2025 (राई पुलिस स्टेशन) में चार्जशीट तैयार की गई है. SIT ने दावा किया कि कई शिकायतों पर विश्वास नहीं किया गया, लेकिन एक केस में चार्जशीट दाखिल करनी पड़ी.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि चार्जशीट पर फिलहाल कोई संज्ञान नहीं लिया जाएगा. कोर्ट ने प्रोफेसर महमूदाबाद के वकीलों को SIT की रिपोर्ट पर जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया. साथ ही सिब्बल को कहा कि वे चार्जशीट में लगाए गए आरोपों की पूरी चार्ट बनाकर कोर्ट के सामने पेश करें.
दूसरा मामला भी निपटा
इसी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक और अहम याचिका खारिज कर दी. यह याचिका ए. पॉल ने दायर की थी, जिसमें उन्होंने यमन में हत्या के आरोप में फांसी की सजा झेल रही भारतीय महिला निमिषा प्रिया के मामले की मीडिया कवरेज पर रोक लगाने की मांग की थी. लेकिन याचिकाकर्ता ने इसे वापस ले लिया, जिसके बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.
—- समाप्त —-