विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को साफ कहा कि भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते पर बातचीत में भारत की कुछ रेड लाइन्स हैं और सरकार किसानों तथा छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगी. जयशंकर ने यह बयान ऐसे समय दिया है जब कुछ दिनों बाद अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ लागू होने जा रहा है.
एक कार्यक्रम में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत-अमेरिका रिश्तों में इस समय तीन बड़ी समस्याएं हैं- व्यापार और टैरिफ, रूस से कच्चे तेल की खरीद और पाकिस्तान मामले पर वॉशिंगटन का हस्तक्षेप.
उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत से बार-बार यह सवाल करता है कि रूस से तेल क्यों खरीदा जा रहा है, जबकि यूरोपीय संघ और चीन रूस के सबसे बड़े आयातक हैं. जयशंकर ने तंज कसते हुए कहा, “अगर आपको भारत से तेल या रिफाइंड प्रोडक्ट खरीदने में दिक्कत है तो मत खरीदिए. लेकिन अमेरिका और यूरोप दोनों खरीद रहे हैं.”
उन्होंने साफ कहा कि रूस से कच्चे तेल की खरीद भारत के राष्ट्रीय हित और वैश्विक तेल बाजार की स्थिरता के लिए की जा रही है. यह हमारा अधिकार है और यही रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy) है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बार-बार पाकिस्तान से संघर्ष में मध्यस्थता का दावा करने पर जयशंकर ने करारा जवाब दिया. उन्होंने कहा कि 1970 के दशक से भारत में इस पर राष्ट्रीय सर्वसम्मति है कि हम किसी भी तरह की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेंगे. विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि ट्रंप का दुनिया से निपटने का तरीका पारंपरिक अमेरिकी राष्ट्रपति की तुलना में बिल्कुल अलग है और पूरी दुनिया इससे जूझ रही है.
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