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    ‘दलितों-पिछड़ों के लिए मोदी सरकार ने सरकारी क्षेत्र के दरवाजे बंद किए’, कटिहार पहुंचे राहुल गांधी का केंद्र पर हमला

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    Rahul Gandhi vote adhikar yatra in Katihar: बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर प्रदेश में राजनीति सरगर्मियां बढ़ गई हैं. आज (शनिवार) को विपक्षी इंडिया महागठबंधन की वोटर अधिकार यात्रा कटिहार पहुंची. इस यात्रा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के नेता दीपांकर भट्टाचार्य और विकासशील इंसान पार्टी के नेता मुकेश सहनी शामिल हुए.

    कटिहार के कदवा में एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि बीजेपी संविधान को नष्ट करना चाहती है और दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के अधिकारों पर हमला कर रही है. 

    सेना और सरकारी क्षेत्र के दरवाजे बंद

    राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की नीतियों की वजह से दलितों और पिछड़ों को सेना और सार्वजनिक क्षेत्र में दरवाजे बंद होते जा रहे हैं. पहले ऐसा नहीं हुआ करता था. 

    वोटिंग अधिकारों की चोरी

    राहुल ने चेताया कि लाखों बिहारी लोगों के वोटिंग अधिकार छीने जा रहे हैं और बीजेपी महाराष्ट्र और हरियाणा की तरह बिहार में चुनाव चोरी की कोशिश कर रही है. उन्होंने जनता से अपील की, “एक भी वोट कटने मत दो.”

    यह भी पढ़ें: राहुल से मेनका तक… आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ‘एकजुट’ दिखा गांधी पर‍िवार

    राहुल गांधी ने अपने भाषण में लोकतंत्र और संविधान की रक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया और जनता को सतर्क रहने का संदेश दिया.

    यात्रा के दौरान राहुल ने मखाने की खेती करने वाले किसानों से भी मुलाकात की. राहुल ने खेत में मखाने का बीज उठाते हुए मोहम्मद सुल्तान और उनके साथियों से लगभग 20–25 मिनट बातचीत की. उन्होंने किसानों की मुश्किलें और मेहनत को समझा और उनके सवालों पर चर्चा की.

    सुल्तान ने बताया कि इसमें खर्चा जो है लगभग 70-80,000 में खर्चा होता है और जो है मखाना जब रेट मिलता है 4000-5000 तब तो लगभग 1,50,000-1,70,000 हो जाता है. एक में अगर रेट नहीं है तो पूंजी से भी घटा लग जाता है. मजदूर के तौर पर एक किलो मखाना उठाने के 40 रुपये मिलते हैं. दिनभर में 5-7 घंटे पानी में काम करने से हाथों की हालत खराब हो जाती है. मजदूरों का कहना है कि बिहार में कोई कंपनी या काम का साधन नहीं है, इसलिए वे यह कठिन काम करते हैं.

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