इन दिनों भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है. सरकार भी ईवी को प्रोत्साहित कर रही है. इसको लेकर कई नई नीतियां भी बनाई गई हैं. ऐसे में गली-मोहल्लों में इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज के लिए ईवी चार्जिंग स्टेशन खुल रहे हैं. जानते हैं इन EV चार्जिंग स्टेशनों की कमाई का अंकगणित क्या है? कैसे कोई चार्जिंग स्टेशन खोल सकता है और इससे कितना प्रॉफिट कमा सकता है?
पेट्रोल पंप, रेस्टोरेंट, होटल या ऑफिस कॉम्प्लेक्स के पास इन दिनों हमें चार्जिंग स्टेशन देखने को मिल जाते हैं. यहां लोग अपने इलेक्ट्रिक कार या दूसरी गाड़ियां चार्ज करते हैं. जैसे पेट्रोल पंप या गैस स्टेशन पर लोग प्रति लीटर के हिसाब से पेट्रोल, डीजल और गैस लेते हैं. ठीक उसी तरह इन चार्जिंग स्टेशनों पर भी गाड़ी मालिकों से प्रति यूनिट की दर से पैसा लिया जाता है.
कितने तरह के होते हैं चार्जिंग स्टेशन
ईवी चार्जिंग स्टेशन भी अलग-अलग तरह के होते हैं. इसमें DC और AC चार्जिंग प्वाइंट होते हैं. कुछ जगहों पर दोनों तरह के चार्जिंग प्वाइंट उपलब्ध होते हैं. वहीं कुछ जगहों पर सिर्फ AC चार्जिंग स्टेशन होता है, तो कहीं सिर्फ डीसी चार्जिंग प्वाइंट की सुविधा होती है. अब ये एसी और डीसी चार्जिंग क्या होती है? यह समझना जरूरी है.
क्या होता है AC और DC चार्जर
ईवी चार्जिंग की सुविधा उपलब्ध कराने वाली एक कंपनी के स्टाफ के अनुसार डीसी चार्जिंग का मतलब होता है- फास्ट चार्जिंग. हम सिर्फ डीसी चार्जर में डील करते हैं. हमारे सभी चार्जिंग स्टेशनों डीसी चार्जर होते हैं. इस चार्जर से गाड़ियां एक से डेढ़ घंटे में चार्ज हो जाती है. डीसी चार्जर का इस्तेमाल अक्सर इलेक्ट्रिक कार, एसयूवी और बड़ी गाड़ियों में होता है. वहीं ई-रिक्शा और टू व्हीलरों को चार्ज करने में एसी चार्जर का इस्तेमाल होता है. ये स्लो चार्जिंग होती है. एसी चार्जिंग में एक गाड़ी को चार्ज होने में 5 से 6 घंटे लग जाते हैं.
एसी और डीसी चार्जिंग का क्या रेट है?
एसी स्लो चार्जर है और डीसी फास्ट चार्जर होता है. डीसी चार्जर से गाड़ी तुरंत चार्ज हो जाती है. इसलिए इसका चार्जिंग रेट ज्यादा होता है. डीसी चार्जिंग के लिए 15 से 25 रुपये प्रति यूनिट चार्ज करते हैं. वहीं ई-रिक्शा और टू व्हीलर के लिए एसी चार्जर होता है और इसके चार्जिंग का रेट भी कम होता है. यह प्रति यूनिट 8 से 12 रुपये या इससे भी कम हो सकता है.
क्या है चार्जिंग और कमाई का अंकगणित
चार्जिंग स्टेशन की सुविधा प्रदान करने वाली कई कंपनियां हैं. जहां निवेश कर उनकी फ्रेंचाइजी लेकर कोई भी अपना चार्जिंग स्टेशन खोल सकता है. चार्जिंग स्टेशन फ्रैंचाइजी की सुविधा देने वाली कंपनी के कर्मी के अनुसार, एक चार्जिंग स्टेशन खोलने में कम से कम 10 लाख रुपये लगते हैं. 10 लाख रुपये में 30 किलोवाट का सिंगल गन चार्जर मशीन लग जाता है. वहीं 18 लाख रुपये में डबल गन चार्जर मिलता है. ये डीसी चार्जिंग स्टेशन शुरू करने की लागत है. एसी चार्जिंग स्टेशन का कोस्ट थोड़ा कम हो सकता है.
कर्मी ने बताया कि चार्जिंग स्टेशन ऑपरेट करने का काम का कंपनी ही करती है. स्टेशन के लिए जगह और पूरा सेटअप भी कंपनी ही उपलब्ध कराती है. बिजली का मीटर पर कंपनी के नाम पर होता है. स्टेशन पर कोई मैन पावर नहीं होता है. गाड़ी मालिक को पता होता है कि वो कैसे गाड़ी चार्ज करेंगे. डीसी चार्जिंग स्टेशन में एक गाड़ी को चार्ज होने में आमूमन 1 से डेढ़ घंटा लगता है और 25 से 30 यूनिट बिजली खपत होती है.
प्रति यूनिट कितना होता है फायदा
चार्जिंग स्टेशन को 7 रुपये प्रति यूनिट के दर से सरकार को बिजली का बिल देना होता है. वहीं ग्राहक से हम डीसी चार्जिंग के लिए 15 से 25 रुपये प्रति यूनिट के दर से लेते हैं. ऐसे में चार्जिंग स्टेशन चलाने वाले शख्स को 7 रुपये प्रति यूनिट और ऑपरेटिंग कॉस्ट काटकर जो बचता है, प्रोफिट दे दिया जाता है. जैसे अगर किसी के चार्जिंग स्टेशन पर 20 रुपये प्रति यूनिट ग्राहकों से लिया जा रहा है तो 7 रुपये प्रति यूनिट बिजली का बिल और 2 रुपये प्रति यूनिट मेंटेनेंस काटकर 11 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से प्रोफिट दिया जाएगा.
क्या अलग-अलग जगहों पर चार्जिंग रेट बदल जाता है
चार्जिंग स्टेशन ऑपरेट करने वाली कंपनी के कर्मी ने बताया कि हमलोग 15 से 25 रुपये चार्ज यूनिट तक चार्ज करते हैं. यह लोकेशन टू लोकेशन वेरी करता है. एक ही शहर में अगर कहीं ज्यादा रिक्वायरमेंट है तो वहां 20 से 22 रुपये यूनिट तक लेते हैं. या फिर वैसी जगह जहां दूर-दूर तक कोई चार्जिंग स्टेशन नहीं है वहां भी पर यूनिट चार्जिंग का ज्यादा लेते हैं.
जहां कंपटीशन ज्यादा है यानी कम दूरी पर ही दूसरी कंपनी के भी चार्जिंग स्टेशन होते हैं या जहां चार्जिंग की जरूरत ज्यादा नहीं होती है, वहां प्रति यूनिट कम लेते हैं. यह आमूमन 12 से 15 रुपये यूनिट होता है. इसलिए एक ही शहर में अलग-अलग जगह एक ही कंपनी के अलग-अलग रेट हो सकते हैं.
चार्जिंग स्टेशन शुरू करने से पहले जगह और चार्जर का चुनाव है जरूरी
ऐसे में ईवी चार्जिंग स्टेशन शुरू करने के लिए सबसे पहले चार्जर का प्रकार चुनना चाहिए. आखिर आप किस तरह का चार्जर अपनी चार्जिंग स्टेशन में उपलब्ध कराना चाहते हैं. यह फास्ट चार्जर, रैपिड चार्जर या स्लो चार्जर हो सकता है. चार्जिंग स्टेशन का स्थान चार्जर चुनने में अहम भूमिका निभाता है.
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अगर इलेक्ट्रिक वाहन यूजर आमतौर पर हाईवे पर या रेस्टोरेंट के पास स्थित ईवी चार्जिंग स्टेशनों पर फास्ट चार्जिंग का विकल्प चुनते हैं. क्योंकि लोग वहां लंबे समय तक इंतजार करना नहीं चाहते. दूसरी ओर, होटलों या लॉजों के पास ईवी चार्जिंग स्टेशन पर अक्सर स्लो चार्जर यानी डीसी चार्जिंग होती है. क्योंकि यहां लोग रात भर रुकते हैं.
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