हर साल मॉनसून मुंबई वालों के लिए राहत की जगह आफत लेकर आता है. कुछ ही दिन की बारिश में पूरा शहर जलमग्न हो जाता है. लोकल ट्रेनें ठप्प हो जाती हैं, हवाई यात्राएं प्रभावित होती हैं, स्कूल-कॉलेज बंद हो जाते हैं और सड़कें पानी से भर जाती हैं. इस साल भी वसई के मधुबन स्मार्ट सिटी इलाके में इतनी बारिश हुई कि सड़कें और पार्किंग पूरी तरह पानी में डूब गईं. लोग घरों में फंसे रहे और संपर्क टूट गया. पानी की ऊंचाई 5 से साढ़े 5 फीट तक थी. वसई की मीठागर बस्ती में करीब 200-400 लोग पानी में फंस गए. उन्हें बचाने के लिए एनडीआरएफ को बुलाया गया. अब तक महाराष्ट्र में बाढ़ की वजह से 10 लोगों की मौत हो गई है. 8 नांदेड़ में, एक भामरागढ़ तालुका और एक चंद्रपुर में.
मुंबई के अन्य इलाकों की स्थिति भी बेहतर नहीं थी. सायन के सबवे में पानी भर गया, अंडरपास कमर से ऊपर पानी में डूबे, स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए और दफ्तरों में पहुंचना मुश्किल हो गया. कई कंपनियों को वर्क फ्रॉम होम का आदेश देना पड़ा.
अंधेरी, माटुंगा, दहिसर, विक्रोली ब्रिज और मुंबई-सेंट्रल जैसे इलाके भी जलमग्न हुए. हाईवे पर भी गाड़ियां पानी में फंसी नजर आईं. ठाणे में नारिवली और उत्तरशिव गांव के आसपास सड़कें पूरी तरह जलमग्न हो गईं. मुंबई की नाकामी हर साल दोहराई जा रही है, जबकि BMC का बजट कई राज्यों से ज्यादा है.
मुंबई में मोनोरेल तकनीकी खराबी के कारण फंसी
मुंबई के चेंबूर-भक्ति पार्क एरिया में मोनोरेल तकनीकी खराबी और बारिश की वजह से फंस गई थी. अंदर फंसे यात्रियों को दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद डब्बे से निकाला गया.
मोनोरेल की इलेक्ट्रिसिटी बंद होने के कारण एयर कंडीशनिंग और लाइट काम नहीं कर रही थी. यात्रियों को सफोकेशन और असुविधा महसूस हो रही थी. फायर ब्रिगेड और NDRF की तीन क्रेन लगाई गई और 582 यात्रियों को सुरक्षित निकाला गया. 12 यात्रियों को अस्पताल ले जाया गया.
बारिश की वजह से लोकल रेल ट्रैफिक के ठप्प हो गया, जिसकी वजह से मोनोरेल के यात्रियों की संख्या में इजाफा देखा गया. जबकि यह रूट सामान्य रूप से कम ही उपयोग में आता है.
अधिकारियों ने कहा कि यात्रियों को निकालने के दौरान कोई जोखिम नहीं लिया गया. जिन यात्रियों को थोड़ी तकलीफ हुई, उन्हें नजदीकी अस्पताल में भेजा गया.
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24 घंटे में रिकॉर्ड बारिश
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, पश्चिमी उपनगरों में सबसे ज्यादा बारिश बोरीवली फायर स्टेशन पर 322 मिमी दर्ज की गई. चिंचोली में 294 मिमी और कांदिवली में 276 मिमी पानी गिरा. सेंट्रल और ईस्टर्न उपनगर भी पीछे नहीं रहे—विक्रोली में 232 मिमी, कुर्ला में 163 मिमी और मुलुंड में 94 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई. दक्षिण मुंबई में बरसात तुलनात्मक रूप से कम रही. कोलाबा में 124 मिमी, मालाबार हिल में 97 मिमी और नरीमन प्वाइंट पर 117 मिमी बारिश दर्ज की गई.
मुंबई एयरपोर्ट प्रभावित
बारिश की वजह से मुंबई में हवाई यातायात भी प्रभावित हुई है. छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर भी ऑपरेशन प्रभावित हुए हैं. कई फ्लाइट्स देर से चल रही हैं और कई फ्लाइट्स को पास के दूसरे राज्यों में स्थित हवाईअड्डों पर डायवर्ट किया गया है.
विमानन कंपनी इंडिगो ने एडवाइजरी की है. यात्रियों से घर से निकलने से पहले अपने फ्लाइट का शेड्यूल चेक करने की सलाह दी है.
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आपदा प्रबंधन विभाग के साथ बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि मुंबई, ठाणे, रायगड़, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जिलों के लिए अगले 48 घंटे बेहद महत्वपूर्ण होंगे, जो हाई अलर्ट पर हैं.
लोकल ठप, लोग बेघर
कई इलाकों में 200 मिमी से अधिक बारिश हुई, जिससे ड्रेनेज सिस्टम ओवरफ्लो हो गया और रेलवे ट्रैक डूब गए. मिटी नदी का जलस्तर 3.9 मीटर तक पहुंच गया, जिसके कारण कुर्ला इलाके से 350 लोगों को सुरक्षित निकाला गया. हार्बर और मेन लाइन पर लोकल ट्रेन सेवाएं रोकनी पड़ीं.
हालात बिगड़ते देख बीएमसी ने रेड अलर्ट जारी किया और मुंबई के साथ ठाणे, पालघर और रायगढ़ में सरकारी दफ्तर, स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए.
अगस्त की बारिश का अनिश्चित मिजाज
पिछले दशक में अगस्त की बारिश बेहद अनियमित रही है.
- 6 अगस्त 2015: 22.3 मिमी
- 30 अगस्त 2017: 331.4 मिमी
- 4 अगस्त 2019: 216.4 मिमी
- 4 अगस्त 2020: 268.6 मिमी
नांदेड़ में जान-माल की हानि
नांदेड़ में 2,500 से ज्यादा मुर्गियां बह गईं, मवेशी डूब गए और कई घर, दुकानें और बाजार जलमग्न हो गए. बाढ़ की वजह से लोगों की ज़िंदगी बुरी तरह प्रभावित हुई और जनजीवन चरमरा गया. स्थानीय लोगों ने बताया कि गाड़ियां तैर रही हैं और नावें ही अब सहारा बनी हैं. बैलगाड़ियों के जरिए गरीब और किसान अपने ज़रूरी सामान लेकर सुरक्षित स्थानों की ओर जा रहे हैं. नांदेड़ में अब तक बाढ़ से 8 लोगों की मौत हो गई है.
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में मॉनसून का कहर
देश के अन्य हिस्सों में भी मॉनसून तबाही लेकर आया है. हिमाचल प्रदेश में कुल्लू और मंडी सबसे ज्यादा प्रभावित हुए. कुल्लू में बादल फटने और भूस्खलन से मकान, दुकानें, सड़कें और पुल बह गए.
दोहरा नाला इलाके में भारी बारिश ने एक घर पूरी तरह ढहा दिया, वहीं तीन फिश फार्म भी तबाह हो गए. हजारों मछलियां मर गईं. जिला प्रशासन ने अब तक करीब 209 करोड़ रुपये का नुकसान आंका है.
कुल्लू में पहले भी पिछले हफ्ते बादल फटे थे. लोग अभी भी उबर नहीं पाए थे कि नई तबाही आ गई.
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में मोरी ब्लॉक में उफनती नदियों के कारण सड़कें बह गईं. चारों गांवों को जोड़ने वाले रास्ते बंद हो गए. ग्रामीणों को पैदल 28 किलोमीटर का खतरनाक सफर तय करना पड़ रहा है. बुजुर्ग और महिलाएं, जिनके साथ छोटे बच्चे हैं, सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.
स्थानीय प्रशासन ने जेसीबी मशीन की मदद से लोगों को नदी पार कराया, लेकिन मॉनसून का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है.
यमुना और अन्य नदियों की बाढ़ ने उत्तर भारत में मचाई तबाही
उत्तर भारत के कई हिस्सों में मानसून की बारिश और नदियों का उफान जनजीवन को प्रभावित कर रहा है. यमुना का पानी मथुरा और आगरा तक पहुंच गया है और कई इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है.
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मथुरा- वृंदावन में यमुना का उफान
मथुरा में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से केवल छह सेंटीमीटर नीचे बह रहा है. यमुना के किनारे बसे 20 कॉलोनियों में बाढ़ का पानी घुस गया है. घाटों के पास बने मंदिर और आरती स्थल भी पानी में डूब चुके हैं. श्रद्धालु अब पानी में खड़े होकर पूजा कर रहे हैं.
प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए 23 बाढ़ नियंत्रण चौकियां और 20 बाढ़ शिविर बनाये हैं. इसके बावजूद कई एकड़ जमीन जलमग्न हो गई है और यमुना का पानी सड़कों पर भी पहुंच चुका है. जिला प्रशासन लगातार लोगों को अलर्ट कर रहा है और मुनादी करवा रहा है कि कोई नदी के किनारे न जाए.
आगरा में ताजमहल तक यमुना का पानी
आगरा में यमुना का जलस्तर बढ़ने से ताजमहल के किनारे तक पानी पहुंच चुका है. शहर के प्रमुख पर्यटन स्थलों और आसपास के इलाकों में बाढ़ की स्थिति बन गई है, जिससे लोगों का दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है.
पंजाब और हरियाणा में भी बाढ़ की स्थिति
पंजाब के होशियारपुर जिले में ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ने से राणामंड, फताकुल और गंधवाल जैसे गांव बाढ़ की चपेट में हैं. प्रभावित इलाकों में सरकारी मदद समय पर नहीं पहुंच पा रही है, जिससे ग्रामीणों को खुद ही बाढ़ से बचाव करना पड़ रहा है.
हरियाणा और चंडीगढ़ में भी हालात भयावह हैं. सुखना झील खतरे के निशान पर पहुँच चुकी है, जिसके कारण फ्लड गेट खोलने पड़े हैं. सेक्टर आठ और आसपास के मेन रोड तथा आंतरिक सड़कें जलमग्न हो गई हैं.
प्रशासन की चुनौती
भारी बारिश और नदियों के उफान ने प्रशासन के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं. कई इलाकों में राहत कार्य और बाढ़ प्रबंधन में देरी लोगों की सुरक्षा को खतरे में डाल रही है.
उत्तर भारत में मानसून की इस तबाही ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि बाढ़ और बारिश की तीव्रता के कारण स्थानीय प्रशासन और नागरिकों दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण हालात बन रहे हैं.
दिल्ली में यमुना उफान पर
दिल्ली के यमुना किनारे रहने वालों के लिए आज की रात चुनौतीपूर्ण साबित हो रही है. यमुना नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, और इसके किनारे बसे कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति बन गई है.
यमुना बाजार, बुराड़ी, संतनगर, जगतपुर और वजीराबाद के इलाके प्रभावित हुए हैं. पानी धीरे-धीरे लोगों के घरों और गलियों तक पहुंच चुका है. यमुना खादर में किसानों की फसलें भी बर्बाद हो गई हैं.
स्थानीय लोगों ने बताया कि जलभराव इतना है कि उन्हें अपने घरों की छतों या बाढ़ राहत शिविरों में शिफ्ट होना पड़ा. कुछ जगहों पर पानी लोगों की दहलीज तक पहुंच चुका है.
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया. उन्होंने स्थानीय लोगों और सरकारी एजेंसियों के अधिकारियों से बातचीत की ताकि राहत और बचाव कार्यों की प्रभावशीलता सुनिश्चित की जा सके.
प्रशासन ने यमुना के किनारे राहत शिविर और फ्लड कंट्रोल प्रबंध तैयार कर रखे हैं. स्थानीय लोगों को पानी निकालने के उपायों में सहयोग भी किया जा रहा है.
पीटीआई के इनपुट के साथ
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