Krishna Janmashtami 2025: हर साल भाद्रपद मास के कृ्ष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है. आज पूरे देश में बड़ी ही धूमधाम से जन्माष्टमी का पर्व मनाया गया. देश में भगवान श्रीकृष्ण के अनगिनत मंदिर हैं, जहां श्रद्धालु जाते हैं और भगवान की विधिवत पूजा करते हैं.
भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को हुआ था, इसलिए जन्माष्टमी के निर्धारण में अष्टमी तिथि का बहुत ज्यादा ध्यान रखते हैं. जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण के लिए छप्पन भोग बनाना चाहिए.
ऐसा करने से श्रीकृष्ण प्रसन्न होंगे और आपको सुख समृद्धि की प्राप्ति होगी. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मना कर हर मनोकामना पूरी की जा सकती है और विशेष पूजा से लाभ पा सकते हैं.
पढ़ें कृष्ण जन्माष्टमी के UPDATES
– नोएडा के इस्कॉन मंदिर से कुछ अन्य तस्वीरें और वीडियो सामने आई हैं जिसमें मंदिर के पुजारी लड्डू गोपाल का पंचामृत स्नान करते नजर आ रहे हैं. देखें वीडियो-
मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि में भक्तों की भीड़
मथुरा से एक ओर वीडियो सामने आ रहा है जिसमें जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि बहुत ही खूबसूरत रूप से सजी दिख रही है और साथ ही भक्तों का श्रीकृष्ण जन्मभूमि में भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन हेतु तांता भी लगा हुआ है. देखें वीडियो-
– अहमदाबाद इस्कॉन मंदिर से आई सुंदर तस्वीर
– इसके अलावा, नोएडा के इस्कॉन मंदिर का वीडियो सामने आ रहा है, जहां श्रीकृष्ण और राधारानी के दर्शन हेतु भक्त पहुंचे हुए हैं.
– मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि से कृष्ण जन्माष्टमी की तस्वीरें सामने आई हैं, जहां लोगों मंदिर के सामने भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई हैं. साथ ही मथुरा का मंदिर कृष्ण जन्माष्टमी पर ऑपरेशन सिंदूर की थीम पर तैयार किया गया है.
जन्माष्टमी पर क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?
इस बार जन्माष्टमी पर रात्रिकाल में लड्डू गोपाल की पूजा का शुभ मुहूर्त 16 अगस्त को रात 12 बजकर 04 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा. यानी श्रीकृष्ण का जन्म कराने और विधिवत पूजा के लिए भक्तों को कुल 43 मिनट का समय मिलेगा.
आज जन्माष्टमी का पावन पर्व पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. सुबह से ही अहमदाबाद के इस्कॉन मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. परिवार के साथ बड़ी संख्या में लोग भगवान कृष्ण के मंदिरों में पहुंच रहे है. बीतें सालों में गृहमंत्री अमित शाह अगर अहमदाबाद में मौजूद होते गई तो इसी मंदिर पर जन्मोत्सव पर पहुंचते है. पिछले साल मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने अहमदाबाद इस्कॉन मंदिर में पहुंचकर जन्मोत्सव मनाया था.
जन्माष्टमी पर नहीं है रोहिणी नक्षत्र का संयोग
इस बार अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं बन रहा है. रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त को सुबह 04.38 बजे प्रारंभ होगा और इसका समापन 18 अगस्त को तड़के 03.17 बजे होगा. इसलिए उत्तम यही होगा कि आप आज रात बन रहे शुभ मुहूर्त में ही भगवान की पूजा-उपासना कर लें.
– लड्डू गोपाल की रोहिणी नक्षत्र में ऐसे करें पूजन
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि में रोहिणी नक्षत्र के संयोग में हुआ था. इस बार रोहिणी नक्षत्र अष्टमी तिथि समाप्त होने के बाद 17 अगस्त को तड़के 04.38 बजे लग जाएगा. इस शुभ घड़ी में भगवान के सामने एक दीपक प्रज्वलित करें. यानी रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त को तड़के 4 बजकर 38 मिनट पर ब्रह्म मुहूर्त में लगेगा. इस दौरान भी भक्त लड्डू गोपाल का पूजन कर सकते हैं.
– कैसे करें श्रीकृष्ण का श्रृंगार?
थोड़ी देर में श्रीकृष्ण का जन्म होने वाला है और फिर लड्डू गोपाल को स्नान कराया जाएगा. फिर, श्रीकृष्ण का श्रृंगार किया जाएगा. श्रीकृष्ण का श्रृंगार प्रेम, श्रद्धा और पूरे भक्ति भाव से करना चाहिए. सबसे पहले भगवान को स्नान करवाकर स्वच्छ करें, फिर एक साफ कपड़े पर बैठाकर श्रृंगार शुरू करें. श्रृंगार में ताजगी और सुंदरता लाने के लिए फूलों का खूब प्रयोग करें. गेंदा, गुलाब, मोगरा या चमेली के फूल भगवान को अति प्रिय हैं. भगवान को पीले रंग के वस्त्र पहनाएं, क्योंकि पीला रंग उनका सबसे पसंदीदा रंग माना जाता है. इसके बाद उनके माथे, गले और हाथों में चंदन का लेप लगाएं. यह न केवल भगवान के श्रृंगार को सुंदर बनाता है, बल्कि पूरे वातावरण में मधुरता और पवित्रता भी घोल देती है.
अंत में उनके सिर पर मोरपंख वाला मुकुट या पगड़ी सजाएं. गले में फूलों की माला पहनाएं और हाथ में बांसुरी रखें. इस तरह आपका श्रृंगार न केवल सुंदर दिखेगा, बल्कि उसमें भक्ति और प्रेम की झलक भी दिखाई देगी. श्रृंगार के बाद लड्डू गोपाल को झूले पर विराजमान करें और झूले को फूलों से सजाएं. साथ ही भजन-कीर्तन के साथ भगवान को धीरे-धीरे झुलाएं.
– ऐसे कराएं खीरे से लड्डू गोपाल का जन्म
जन्माष्टमी की रात खीरे का डंठल काटने की प्रक्रिया बहुत ही महत्वपूर्ण कहलाती है जिसके बिना श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है. खीरे के डंठल काटने की इस प्रक्रिया को ‘नाल छेदन’ कहा जाता है और ठीक इसी तरह बच्चे को भी गर्भनाल काटकर जन्म दिया जाता है.
जन्माष्टमी की रात ठीक 12 बजे या शुभ मुहूर्त के समय इस विधि को संपूर्ण किया जाता है. पूजा में रखे गए खीरे को सबसे पहले स्नान कराएं. फिर एक सिक्के से खीरे का डंठल काटें, जैसे कि नाल काटकर शिशु जन्म ले रहा हो. उसके बाद खीरे को हल्का सा चीरकर उसमें से छोटे कान्हा की मूर्ति निकालें. और फिर जोर जोर से ‘जय कन्हैया लाल की’ जयकारा लगाएं.
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