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    ट्रंप और पुतिन की मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजर… अलास्का मीटिंग से कौन क्या चाहता है?

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    अमेरिका और रूस के राष्ट्रपति, डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन, शुक्रवार को अलास्का में एक अमेरिकी एयरबेस पर यूक्रेन युद्ध को लेकर बातचीत के लिए मिलेंगे. पिछले चार साल से अधिक समय में किसी मौजूदा अमेरिकी और रूसी राष्ट्रपति के बीच होने वाली यह पहली शिखर बैठक है, जिससे उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं. लेकिन मॉस्को और कीव के बीच युद्ध खत्म करने के तरीकों पर अब भी गहरी खाई है.

    यह पुतिन की किसी पश्चिमी देश की पहली यात्रा होगी, जब से उन्होंने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमला किया था. साथ ही यह उनका 10 साल में पहला अमेरिकी दौरा भी होगा. आइए देखते हैं, बातचीत में हर पक्ष क्या हासिल करना चाहता है:

    रूस

    पुतिन के लिए, जो आक्रमण के बाद से पश्चिम से अलग-थलग पड़े हैं, यह बैठक रूस की सख्त शर्तों को आगे बढ़ाने का मौका है. जून में जारी एक मसौदा शांति योजना में रूस ने यूक्रेन से कहा था कि वह खेरसॉन, लुगांस्क, ज़ापोरिज़्ज़िया और डोनेत्स्क क्षेत्रों से अपनी सेना हटा ले- जिन्हें रूस ने 2022 में अपना घोषित किया था. यूक्रेन ने इसे खारिज कर दिया. रूस ने यह भी मांग की है कि यूक्रेन सेना की भर्ती रोके, नाटो में शामिल होने की महत्वाकांक्षा छोड़े, और पश्चिमी देश तुरंत हथियारों की सप्लाई बंद करें. 

    आलोचकों का कहना है कि यह यूक्रेन के आत्मसमर्पण जैसा है. जमीन के साथ-साथ, रूस चाहता है कि यूक्रेन रूसी भाषी आबादी के ‘अधिकार और स्वतंत्रता’ सुनिश्चित करे और जिसे वह ‘नाजीवाद की महिमा’ कहता है, उस पर रोक लगाए. रूस यह भी चाहता है कि पश्चिमी प्रतिबंध हटाए जाएं.

    यूक्रेन

    यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोदिमीर जेलेंस्की इस बैठक में शामिल नहीं होंगे, लेकिन उन्होंने कहा है कि उनकी भागीदारी के बिना कोई शांति समझौता नहीं हो सकता. उन्होंने इस मुलाकात को पुतिन की ‘निजी जीत’ बताया. यूक्रेन ने शांति वार्ता की शर्त के रूप में जमीन, समुद्र और आकाश में बिना शर्त युद्धविराम की मांग की है.

    वह दोनों पक्षों से सभी युद्धबंदियों को रिहा करने और उन यूक्रेनी बच्चों को लौटाने की मांग कर रहा है, जिन्हें वह कहता है कि रूस ने अवैध रूप से अगवा किया है. यूक्रेन का कहना है कि युद्ध शुरू होने के बाद रूस ने हजारों यूक्रेनी बच्चों को अपने कब्जे वाले इलाकों में पहुंचाया, उन्हें रूसी परिवारों में गोद लिया और उन्हें रूसी नागरिकता दी.

    रूस अपहरण के आरोपों को खारिज करता है लेकिन मानता है कि हजारों बच्चे उसके इलाके में हैं. यूक्रेन कहता है कि किसी भी समझौते में भविष्य में रूसी हमले को रोकने के लिए सुरक्षा गारंटी शामिल होनी चाहिए, और उसकी सेना की तैनाती पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए. वह कहता है कि रूस पर से प्रतिबंध धीरे-धीरे हटाए जाने चाहिए और जरूरत पड़ने पर उन्हें फिर से लगाया जा सके.

    अमेरिका

    ट्रंप ने जनवरी में पद संभालते ही ’24 घंटे में’ युद्ध खत्म करने का वादा किया था. लेकिन आठ महीने बीत जाने और पुतिन से कई बार बातचीत तथा अमेरिकी दूत स्टीव विटकॉफ के रूस के कई दौरों के बावजूद, वह क्रेमलिन से कोई बड़ी रियायत नहीं ले पाए हैं. यह बैठक उनके लिए व्यक्तिगत रूप से समझौता कराने का पहला मौका है.

    ट्रंप ने बुधवार को कहा कि अगर रूस ने हमला नहीं रोका तो उसे ‘बहुत गंभीर नतीजे’ भुगतने होंगे. शुरुआत में ट्रंप ने कहा था कि बातचीत में कुछ ‘जमीन की अदला-बदली’ हो सकती है, लेकिन बुधवार को यूरोपीय नेताओं से बात करने के बाद उन्होंने इस बयान को नरम कर दिया.

    ट्रंप ने कहा कि वह ‘बहुत, बहुत जल्दी युद्धविराम’ देखना चाहेंगे. ट्रंप ने कहा, ‘अगर पहली बैठक ठीक रही, तो हम जल्दी ही दूसरी करेंगे’, और इशारा किया कि जेलेंस्की अगली बैठक में शामिल हो सकते हैं.

    यूरोप

    यूक्रेन को सैन्य मदद देने और लाखों यूक्रेनी शरणार्थियों को शरण देने के बावजूद, यूरोपीय नेताओं को उन शांति वार्ताओं से बाहर रखा गया है, जो भविष्य में इस क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था को प्रभावित कर सकती हैं. यूरोपीय प्रतिनिधियों को न तो पिछले तीन इस्तांबुल दौर की रूस-यूक्रेन वार्ता में बुलाया गया और न ही फरवरी में रियाद में हुई रूस-अमेरिका बैठक में.

    पिछले हफ्ते एक बयान में ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी, पोलैंड, फिनलैंड और यूरोपीय आयोग के नेताओं ने चेतावनी दी कि यूक्रेन की भागीदारी के बिना कोई सार्थक शांति संभव नहीं है. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बुधवार को ट्रंप से बात करने के बाद कहा, ‘यूक्रेन से जुड़े क्षेत्रीय मुद्दों पर केवल यूक्रेनी राष्ट्रपति ही बातचीत कर सकते हैं और करेंगे.’

    मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने संकेत दिया है कि वे लड़ाई खत्म होने के बाद यूक्रेन में शांति सैनिक तैनात करने को तैयार हैं, लेकिन रूस ने इस विचार को कड़े शब्दों में खारिज किया है.

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