‘युद्ध तब तक चलता रहेगा जब तक यूक्रेन या रूस, दोनों में से किसी एक का अस्तित्व रहेगा’, यूक्रेन की राजधानी कीव की रहने वाली जीव विज्ञान की शिक्षिका इरीना क्वासनेवस्का के चचेरे भाई की 2023 में पूर्वी यूक्रेन में हत्या कर दी गई थी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन युद्ध सुलझाने को लेकर 15 अगस्त, शुक्रवार को अलास्का में शिखर वार्ता करने वाले हैं. लेकिन यूक्रेन के बहुत से लोगों की तरह इरीना को भी इस मुलाकात से कोई उम्मीद नहीं है. उन्हें नहीं लगता कि ट्रंप-पुतिन की मुलाकात से युद्ध का कोई स्थायी हल निकलेगा.
युद्ध में घायल हुए और अब चोट से उबर रहे अनुभवी यूक्रेनी सैनिक टारस भी मानते हैं कि ट्रंप-पुतिन मिलकर कोई चमत्कार नहीं करने जा रहे हैं. कतर के सरकारी ब्रॉडकास्टर अलजजीरा से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘मुलाकात से कोई चमत्कार नहीं होने वाला है, कोई शांति समझौता नहीं होने वाला है. मुलाकात के दौरान पुतिन ट्रंप को यह विश्वास दिलाने की कोशिश करेंगे कि यूक्रेन ही है जो शांति नहीं चाहता है जिस कारण युद्धविराम नहीं हो पा रहा है.’
टारस ने तीन साल से अधिक समय फ्रंट लाइन पर रूसी सैनिकों से लड़ते हुए बिताया है. वो कहते हैं कि हाल ही में विस्फोटकों से लदे एक रूसी ड्रोन ने उन पर हमला किया और उन्हें घायल कर दिया. हालांकि, घायल होते हुए भी उन्होंने ड्रोन को उन्होंने मार गिराया था.
टारस ने कहा कि पुतिन, ट्रंप को धोखा देने के लिए यह बैठक कर रहे हैं. राष्ट्रपति ट्रंप खुद को शांतिदूत मानते हैं और पुतिन उनकी इस सेल्फ इमेज को खुश करना चाहते हैं ताकि ट्रंप खुश होकर रूस पर और अधिक आर्थिक प्रतिबंध न लगाएं. पुतिन ट्रंप को खुश कर पूर्वी यूक्रेन में बड़ी सैन्य सफलता भी हासिल करने की फिराक में हैं.
टारस कहते हैं, ‘पुतिन को यकीन है कि वो इस सर्दी तक, कुछ बड़ा हासिल कर लेंगे या फिर उनके सैनिक हमारे फ्रंट लाइन को नाकाम कर देंगे और यूक्रेन पर अपनी शर्तें थोपेंगे.’
एक तरफ मीटिंग दूसरी तरफ यूक्रेन में आगे बढ़ता जा रहा रूस
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि आगामी अलास्का शिखर सम्मेलन युद्धविराम सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. लेकिन यूक्रेन के नागरिक, सैनिक और एक्सपर्ट्स अमेरिका और रूसी राष्ट्रपतियों के बीच बैठक के नतीजों को लेकर आशावादी नहीं हैं.
इसकी एक वजह पूर्वी यूक्रेन में जमीनी हकीकत भी है. इस महीने की शुरुआत में, रूस ने दक्षिण-पूर्वी दोनेत्स्क क्षेत्र में प्रमुख ठिकानों पर कब्जा करने की अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं. रूस ने अपने हजारों सैनिकों को यूक्रेनी ठिकानों में घुसपैठ करने के लिए लगभग आत्मघाती मिशन चलाने का आदेश दिया है. रूस ड्रोन से यूक्रेनी ठिकानों की चौबीसों घंटे निगरानी कर रहा है.
पिछले तीन महीनों में रूसी सेना ने यूक्रेन के लगभग 1,500 वर्ग किमी क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है, जिसमें से अधिकांश दोनेत्स्क में है. इसमें से लगभग तीन-चौथाई हिस्से पर रूस का कंट्रोल है. पिछले तीन सालों की तुलना में दोनेत्स्क पर रूसी नियंत्रण की गति थोड़ी तेज हुई है.
फरवरी 2022 में युद्ध शुरू होने के कुछ ही हफ्तों बाद रूस ने यूक्रेनी क्षेत्र के लगभग 27 प्रतिशत हिस्से पर कंट्रोल कर लिया. लेकिन यूक्रेनी सैनिकों ने रूसी कब्जे का जोरदार जवाब दिया और राजधानी कीव के आसपास और देश के उत्तरी क्षेत्र में रूस की कब्जाई जमीन का 9% हिस्सा 2022 के अंत तक अपने कब्जे में ले लिया.
रूस तब से यूक्रेनी क्षेत्र के 1 प्रतिशत से भी कम हिस्से पर फिर से कब्जा कर पाया है. यूक्रेन के उत्तरी सूमी क्षेत्र में एक बफर जोन पर कब्जा करने की रूस की कोशिश नाकाम रही है.
ट्रंप-पुतिन की बातचीत रूस के पक्ष में जा सकती है
इस बीच यूक्रेन ने रूस के पश्चिमी कुर्स्क क्षेत्र में एक छोटे से सीमा क्षेत्र को भी नियंत्रण में ले लिया है जहां उसने अगस्त 2024 में एक सफल आक्रमण शुरू किया था. लेकिन इस साल की शुरुआत में उसे रूस की कब्जाई अधिकांश जमीन से हाथ धोना पड़ा है.
अलास्का बैठक से पहले ऐसी रिपोर्टें हैं कि बातचीत रूस के पक्ष में जा सकती है और वो यूक्रेन के कब्जाए क्षेत्रों पर अपना कब्जा जारी रख सकती है. इस बात को लेकर यूक्रेन के लोग काफी शंकित हैं.
रिपोर्टों का कहना है कि ट्रंप युद्ध खत्म करने के बदले में पुतिन को दोनेत्स्क और उसके पड़ोसी लुहान्स्क क्षेत्र पर पूर्ण नियंत्रण की पेशकश कर सकते हैं. रिपोर्टों के अनुसार, बदले में पुतिन युद्धविराम और अपने सैनिकों को फ्रंट लाइन से हटाने, साथ ही सूमी और उत्तर पूर्वी खार्किव क्षेत्र में छोटे-छोटे ठिकानों से पीछे हटने की पेशकश कर सकते हैं.
लेकिन यूक्रेन के लिए दोनेत्स्क छोड़ना बहुत मुश्किल हो सकता है क्योंकि इसमें यूक्रेन को इसके लिए एक बड़ी पट्टी खाली करनी होगी जो कोस्टियनटिनिव्का और स्लोवियास्क शहरों के बीच एक स्ट्रैटजिक हाईवे के साथ लगभग 50 किमी (31 मील) तक फैली हुई है.
अमेरिकी थिंक टैंक, इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर ने शुक्रवार को कहा कि रूस को अगर दोनेत्सक मिल जाता है तो इससे रूसी सेना अच्छी रणनीतिक स्थिति में पहुंच जाएगी और भविष्य की लड़ाई में उसे आसानी होगी.
वहीं, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भी कह दिया है कि यूक्रेन अपनी जमीन किसी को गिफ्ट में नहीं देगा और उसे पश्चिमी देशों से मजबूत सुरक्षा गारंटी की जरूरत है.
उन्होंने शनिवार को एक टेलीविजन संबोधन में कहा, ‘हमें हत्याओं पर रोक ही नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक शांति चाहिए. हम आने वाले भविष्य में या फिर कुछ महीनों में युद्धविराम नहीं चाहते बल्कि हम इसे अभी चाहते हैं.’
यूक्रेन के लोगों को ट्रंप पर नहीं भरोसा
यूक्रेन के नागरिक इस बात को लेकर आशावादी नहीं हैं कि यूक्रेन में स्थायी शांति आ सकती है. उनका मानना है कि यूक्रेन का लोकतंत्र की तरफ झुकाव, उसके यूरोपीय संघ में संभावित सदस्यता, और रूस की साम्राज्यवादी प्रकृति ने एक ऐसा समीकरण बनाया है जो स्थायी कूटनीतिक समाधान को रोक रही है. यूक्रेनी लोगों को ट्रंप से भी कोई उम्मीद नहीं है.
ओडेसा के रहने वाले ब्लैक सी पोर्ट के एक सेवानिवृत कर्नल लियोनिद चेरकासिन ने 2014-15 में दोनेत्स्क में रूस समर्थक विद्रोहियों के साथ लड़ाई लड़ी थी. वो कहते हैं, ‘ट्रंप ने हमें कई बार निराश किया है और जो लोग मानते हैं कि वो इस बार कुछ अच्छा करके हमें निराश नहीं करेंगे, वो अगर मूर्ख नहीं हैं तो बहुत भोले हैं. उन्होंने हाल के हफ्तों में पुतिन को काफी धमकियां दी हैं, लेकिन बस धमकियां ही दी हैं, उनके खिलाफ कुछ किया नहीं है.’
सैन्य विश्लेषक भी इस बात पर सहमत हैं कि पुतिन ट्रंप और जेलेंस्की की मांगों के आगे नहीं झुकेंगे. उनका कहना है कि ट्रंप के साथ बैठक पुतिन के लिए एक कूटनीतिक जीत का संकेत है, जो पश्चिमी देशों के बीच राजनीतिक रूप से बहिष्कृत हो चुके हैं.
पश्चिमी देशों ने उनपर युद्ध के दौरान यूक्रेन के छोटे बच्चों के अपहरण के आरोप लगाए हैं जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. पुतिन आखिरी बार 2007 में द्विपक्षीय बैठकों के लिए अमेरिका आए थे, उसके बाद केवल संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलनों के लिए ही अमेरिका आए. लेकिन वारंट जारी होने के बाद से उन्होंने अमेरिका का दौरा नहीं किया है.
पुतिन फिर से ट्रंप को मूर्ख बना देंगे
जर्मनी के ब्रेमेन विश्वविद्यालय के शोधकर्ता निकोले मित्रोखिन कहते हैं, ‘पुतिन के लिए सबसे जरूरी बात यह है कि वो ट्रंप के साथ बराबरी के स्तर पर बातचीत करें. मुझे लगता है कि दोनों के बीच समझौता हवाई हमलों को रोकने के समझौते तक सीमित रहेगा, और पुतिन को जमीनी ऑपरेशन को अंतिम रूप देने के लिए तीन महीने का समय मिलेगा- यानी इन तीन महीनों में वो पूरे दोनेस्त्क क्षेत्र पर कब्जा कर लेंगे.’
हवाई युद्धविराम से रूस को फायदा हो सकता है, क्योंकि वो इस दौरान भविष्य के हमलों के लिए हजारों ड्रोन और सैकड़ों मिसाइलें जमा कर सकता है. यह युद्धविराम रूस या यूक्रेन के कब्जे वाले क्षेत्रों में सैन्य ठिकानों, गोला-बारूद डिपो, हवाई अड्डों और तेल रिफाइनरियों पर यूक्रेन के लगातार बढ़ते सफल ड्रोन हमलों को भी रोकेगा.
मित्रोखिन ने कहा, ‘बैठक में पुतिन निश्चित रूप से ट्रंप को मूर्ख बना देंगे और सब कुछ फिर से शुरू हो जाएगा.’
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