जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में आज एक भयानक बादल फटने (cloudburst) की घटना ने तबाही मचा दी. इस घटना में कई लोग मारे गए. सैकड़ों घायल हैं. राहत कार्य तेजी से चल रहे हैं. यह इलाका ऊंचे पहाड़ों और चिनाब नदी से घिरा है, जिसकी भौगोलिक स्थिति इसे खतरनाक बनाती है.
बादल फटने की घटना: क्या हुआ?
14 अगस्त 2025 की दोपहर करीब 12 बजे से 1 बजे के बीच किश्तवाड़ जिले के चशोटी और पड्डर ताशोति क्षेत्र में बादल फटने की घटना हुई. यह इलाका मचैल माता यात्रा के रास्ते पर है, जहां आजकल सैकड़ों तीर्थयात्री जमा थे.
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अचानक भारी बारिश से पानी तेजी से पहाड़ों से नीचे बहा और चिनाब नदी में मिल गया, जिससे बाढ़ आ गई. इस बाढ़ ने एक लंगर (समुदाय रसोई) और कई घरों को बहा दिया. 40 लोगों के शव बरामद हुए हैं. 120 से ज्यादा घायल हैं. कई लोग मलबे में फंसे हैं.
भौगोलिक स्थिति: कहां हुआ यह हादसा?
किश्तवाड़ जम्मू-कश्मीर का एक पहाड़ी जिला है, जो हिमालय की गोद में बसा है. इस घटना की खास भौगोलिक खूबियां हैं…
- स्थान: चशोटी किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर और मचैल माता मंदिर के रास्ते पर पहला मोटर योग्य गांव है. यह जगह पड्डर घाटी में है, जो 14-15 किलोमीटर अंदर की ओर है.
- ऊंचाई: इस इलाके के पहाड़ 1,818 मीटर से लेकर 3,888 मीटर तक ऊंचे हैं. इतनी ऊंचाई पर ग्लेशियर (बर्फ की चादर) और ढलानें हैं, जो पानी के बहाव को तेज करती हैं.
- चिनाब नदी: यह नदी किश्तवाड़ से होकर बहती है और पहाड़ों से आने वाले पानी को समेटती है. बादल फटने से इसका जलस्तर अचानक बढ़ गया.
- दुर्गम इलाका: पहाड़ी रास्ते, गहरी खाइयां और बर्फीले ढलान इस जगह को पहुंचने में मुश्किल बनाते हैं.
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इस जगह को खतरनाक क्यों बनाता है भूगोल?
- ऊंचाई और ग्लेशियर: 1,818 से 3,888 मीटर की ऊंचाई वाले पहाड़ों पर बर्फ जमा होती है. बारिश से यह पिघलकर पानी को और तेज कर देती है.
- चिनाब नदी का बहाव: यह नदी पहले से तेज बहती है. बादल फटने से उसका जलस्तर इतना बढ़ गया कि वह नियंत्रण से बाहर हो गई.
- दुर्गमता: 90 किलोमीटर दूर और पहाड़ी रास्तों की वजह से राहत पहुंचाना मुश्किल है.
- जलवायु परिवर्तन: विशेषज्ञ कहते हैं कि बढ़ते तापमान और अनियमित बारिश की वजह से बादल फटने की घटनाएं बढ़ रही हैं.
नुकसान और प्रभाव
यात्रा रुक गई: मचैल माता यात्रा को तुरंत रोक दिया गया ताकि और खतरा न हो.
राहत की चुनौती: पहाड़ी इलाका होने की वजह से बचाव में देरी हो रही है.
राहत और बचाव कार्य
तुरंत राहत के लिए कई कदम उठाए गए…
- एनडीआरएफ और सेना: नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (NDRF) और सेना की टीमें मौके पर पहुंचीं. वे मलबे से लोगों को निकालने में लगे हैं.
- हेलिकॉप्टर और ड्रोन: हेलिकॉप्टर और ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है ताकि ऊंचाई वाले इलाकों में मदद पहुंचे.
- प्रशासन: किश्तवाड़ के डिप्टी कमिश्नर पंकज शर्मा और पुलिस खुद मौके पर हैं. राहत सामग्री और डॉक्टरों की टीमें भेजी गई हैं.
- नेताओं का समर्थन: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला ने दुख जताया. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी राहत और बचाव का भरोसा दिया.
भविष्य के लिए क्या करना चाहिए?
यह घटना दिखाती है कि हिमालयी इलाकों में सावधानी जरूरी है. सरकार को बेहतर मौसम चेतावनी सिस्टम बनाना चाहिए. पहाड़ी इलाकों में निर्माण पर नजर रखनी चाहिए. स्थानीय लोगों को सुरक्षित जगह शिफ्ट करने की योजना बनानी चाहिए.
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