No Ban on old vehicle in Delhi-NCR: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पुराने वाहन मालिकों को बड़ी राहत दी है. देश के सर्वोच्च न्यायालय ने आज मंगलवार को निर्देश दिया है कि, दिल्ली में 10 साल से पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों के मालिकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी. बता दें कि, दिल्ली सरकार ने पिछले महीने दिल्ली-एनसीआर में चल रहे एंड-ऑफ-लाइफ (EOL) व्हीकल्स पर बैन की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
इस मामले की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति विनोद के. चंद्रन और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने की. मामले की सुनवाई के बाद, राजधानी में डीजल और पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की अर्जी पर नोटिस जारी किया गया. सीजेआई गवई ने कहा, “इस बीच, कार मालिकों के खिलाफ इस आधार पर कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा कि उनके डीजल वाहन 10 साल पुराने और पेट्रोल वाहन 15 साल पुराने हैं.
पुराने वाहनों के बैन मामले पर कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, “पहले, लोग 40-50 साल तक कारों का इस्तेमाल करते थे, अब भी पुरानी कारें मौजूद हैं… नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा गया है. इस बीच, डीजल वाहनों के मामले में 10 वर्ष पुराने और पेट्रोल वाहनों के मामले में 15 वर्ष पुराने होने के आधार पर कार मालिकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.”
जुलाई में, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने पुराने वाहनों के लिए नो-फ्यूल फॉर ओल्ड व्हीकल (No Fuel For Old Vehicle) पॉलिसी को लागू करने का ऐलान किया था. सरकार ने इस नए नियम को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए, स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOPs) भी आधिकारिक रूप से जारी कर दिया था. जिसके बाद दिल्ली के पेट्रोल पंपों पर भारी पुलिस बल, सीसीटीवी कैमरा और बड़े-बडे स्पीकर्स लगा दिए गए थें. हालांकि जनता के विरोध के कारण, घोषणा के दो दिन बाद ही इस नीति को रोक दिया गया.
क्या है नो-फ्यूल फॉर ओल्ड व्हीकल पॉलिसी…
नो-फ्यूल फॉर ओल्ड व्हीकल पॉलिसी के जरिए दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी और उसके आसपास के इलाकों में प्रदूषण को कम करने का लक्ष्य लेकर चल रही थी. इस नई पॉलिसी के तहत बीते 1 जुलाई से 10 साल से पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों फ्यूल न देने का निर्णय लिया गया था. इतना ही नहीं, पेट्रोल पंप पर पुराने वाहनों के पहुंचने पर बाकायदा इस बात का ऐलान किया जाता कि, उक्त वाहन अपनी उम्र पूरी कर चुका है और उसे ईंधन नहीं दिया जाएगा.
इसके लिए पेट्रोप पंपों पर ऑटोमेटेड नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (ANPR) सिस्टम, सीसीटीवी कैमरा, बड़े-बड़े स्पीकर लगाए गए थें. ये सिस्टम कैमरों की मदद से वाहन के नंबर प्लेट पर नज़र रखते और पुराने वाहनों की पहचान करते. जिसके बाद मौके पर मौजूद फ्यूल पंप अटेंडेंड उक्त वाहन मालिक को फ्यूल देने से मना कर देता. इस नियम का सख्ती से पालन कराने के लिए कमिशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM), ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट, दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (MCD) और दिल्ली पुलिस सहित अन्य प्रवर्तन एजेंसियों की टीमें दिल्ली के पेट्रोल पंपों पर कड़ी निगरानी कर रही थीं.
सुप्रीम कोर्ट ने ही लगाया था बैन
बता दें कि, दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने ही 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया था. अब इस बैन को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की अर्जी पर कमिशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) को नोटिस जारी करके 4 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा गया है.
दिल्ली सरकार की दलील
दिल्ली सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में दी गई अपनी दलील में कहा कि, “वाहनों पर बैन लगाने के फैसले पर रोक लगाई जानी चाहिए, क्योंकि पुलिस पर ऐसे वाहनों को जब्त करने की जिम्मेदारी होगी. उन्होंने कहा कि, “कई लोग अपने वाहनों का सीमित इस्तेमाल करते हैं, जैसे दफ्तर आने-जाने के लिए. ऐसे वाहन पूरे साल भर में शायद 2,000 किलोमीटर भी नहीं चल पाते हैं. लेकिन मौजूदा नियम के चलते ऐसे लोगों को अपने वाहन को 10 साल में ही बेचना पड़ता है.”
उन्होंने कहा कि, “वहीं कमर्शियल वाहन जैसे टैक्सी इत्यादि एक साल में 2 लाख किलोमीटर तक चल जाते हैं, लेकिन बावजूद इसके वो अपनी उम्र पूरी होने तक सड़क पर बने रहते हैं. मेहता ने इस पॉलिसी की समीक्षा किए जाने अनुरोध किया.
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