राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार को इंदौर में एक कैंसर अस्पताल के शुभारंभ कार्यक्रम में शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र की मौजूदा स्थिति पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि देश में महंगी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं अब सामान्य व्यक्ति की पहुंच से बाहर हो चुकी हैं. पहले इन क्षेत्रों को सेवा का माध्यम माना जाता था, लेकिन अब इन्हें पूरी तरह व्यावसायिक (कमर्शियल) रूप दे दिया गया है.
शिक्षा आम लोगों के पहुंच से बाहर: भागवत
भागवत ने कहा, ‘ज्ञान के युग में शिक्षा अत्यंत आवश्यक है, इसके लिए आदमी अपना घर बेच देगा, लेकिन वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहेगा. इसी तरह, स्वास्थ्य के लिए भी व्यक्ति अपनी पूरी जमा पूंजी लगाने को तैयार होता है ताकि उसका इलाज अच्छी जगह हो सके. उन्होंने कहा कि समाज में सबसे ज्यादा जरूरत शिक्षा और स्वास्थ्य की है, लेकिन दुर्भाग्यवश आज यह दोनों ही सुविधाएं न तो सस्ती हैं और न ही सहज-सुलभ.
संघ प्रमुख ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि स्कूल और अस्पताल नहीं बढ़ रहे हैं, बल्कि इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन विचार करने पर पता चलता है कि आम आदमी की पहुंच से ये इसलिए दूर हो जाते हैं क्योंकि पहले शिक्षा और स्वास्थ्य को सेवा का कार्य माना जाता था, अब इसे कारोबार का रूप दे दिया गया है. उन्होंने चिंता जताई कि जब शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवसाय बन जाते हैं, तो वे आम लोगों की आर्थिक क्षमता से बाहर हो जाते हैं.
शिक्षा और स्वास्थ्य मानव के लिए सबसे जरूरी: भागवत
भागवत ने यह भी कहा कि उन्होंने हाल ही में एक रिपोर्ट पढ़ी थी जिसमें बताया गया कि भारत की शिक्षा व्यवस्था अब ‘ट्रिलियन डॉलर’ का बिजनेस बन चुकी है. उन्होंने कहा कि जब कोई क्षेत्र इतना बड़ा व्यवसाय बन जाता है, तो वह स्वतः ही सामान्य व्यक्ति की पहुंच से बाहर हो जाता है.
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने भागवत के इस बयान को शिक्षा और स्वास्थ्य सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण संदेश के रूप में देखा. उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब देशभर में निजी स्कूलों और अस्पतालों की बढ़ती फीस और इलाज के महंगे खर्च पर बहस चल रही है.
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