SSC चेयरमैन एस. गोपालकृष्णन ने TCS और Eduquity को लेकर , एग्जाम में गलत क्वेश्चन, सेंटर मिसमैनेजमेंट, सेंटर पर बाउंसर, देरी से एग्जाम करवाना जैसे सारे मुद्दों पर विस्तार से जानकारी दी. इसके साथ ही उन्होंने माना कि कई जगह कमियां रही हैं. गड़बड़ियां भी हुई हैं और हर चीज को दुरुस्त करने का भी उनके पास प्लान है.
लल्लनटॉप के संपादक सौरभ द्विवेदी ने SSC चेयरमैन एस. गोपालकृष्णन का इंटरव्यू किया है. इंटरव्यू में छात्रों के उन तमाम सवालों पर बात हुई जो स्टूडेंट लगातार SSC से पूछ रहे थे. इसमें एसएससी परीक्षा में पेपर लीक के आरोप से लेकर गलत क्वेश्चन और छात्रों से दुर्व्यवहार तक हर चीज का चेयरमैन ने जवाब दिया.
‘Eduquity का पेपर सेट से कोई लेना-देना नहीं’
जब चेयरमैन एस गोपालकृष्णन से पूछा गया कि TCS को बाईपास करके SSC ने Eduquity को टेंडर क्यों दिया? इस पर SSC चेयरमैन का दावा है कि 2018 के बाद एक भी पेपर लीक नहीं हुआ है. उनका कहना है कि Eduquity एग्जाम का पेपर नहीं बना रही. Eduquity को सिर्फ एग्जाम कंडक्ट करवाने का टेंडर दिया गया. एग्जाम पेपर SSC खुद सेट कर रहा है.
चेयरमैन एस गोपालकृष्णन के अनुसार, Eduquity या TCS दोनों एग्जाम कंडक्टिंग एजेंसी है. पहले टीसीएस था. अब एडिक्विट यह काम कर रहा है. प्राइवेट एजेंसियों को एग्जाम कंडक्ट कराने का जिम्मा देने का काम 2018-19 से शुरू हुआ. Eduquity को यह जिम्मा 2025 में मिला है. ये सब टेंडर प्रोसेस से होता है.
पहले एक ही एजेंसी करती थी एग्जाम और पेपर सेट
चेयरमैन ने बताया कि पहले एग्जाम कंडक्ट कराने का पैटर्न जून 2025 तक अलग थे. अब पैटर्न बदला है. क्यों बदला है ये बता दूं. 2018 का एक केस है शांतनु कुमार का, उसमें सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में कहा है कि जो एग्जाम कंडक्ट कराने वाली एजेंसी है, वो क्वेश्चन सेट नहीं करेगा. इस आदेश को हमने अब लागू किया है.
जून 2025 से जो भी एग्जाम हो रहा है, उसमें हमारे एग्जाम कंडक्टिंग एजेंसी और प्रश्नपत्र सेट करने का कोई लेना-देना नहीं है. इससे पहले यानी Eduquity के पहले यानी 2018 के बाद से 2025 मई तक टीसीएस ही अलग-अलग सेंटर पर एग्जाम करा रहा था और प्रश्नपत्र भी सेट कर रहा था. अब Eduquity सिर्फ परीक्षा आयोजित करवा रहा है, लेकिन प्रश्न सेटकर के नहीं दे रहा है.
प्रश्नपत्र बनाने के लिए होती है अलग एजेंसी
जैसे एग्जाम करवाने के लिए एजेंसी है, वैसे ही क्वेश्चन बनाकर देने के लिए कंटेंट एजेंसी को भी चुना है. इसलिए प्रश्नपत्र बनाना का पूरा प्रोसेस ही अलग एजेंसी करती है. एक अलग मैकेनिज्म से क्वेश्चन बनाकर वो डिजिटली हमें देती है, जो हम एग्जाम कंडक्टिंग एजेंसी को उपलब्ध कराते हैं.
चेयरमैन ने माना कि स्टूडेंट के शिकायत की थी कि प्रश्नों में कुछ कमी थी, गलतियां थी. मैं भी मानता हूं कि छोटी-मोटी गलतियां हो सकती है. लेकिन, इसका एग्जाम कराने वाली एजेंसी से कोई लेना देना नहीं है. क्योंकि, सिस्टम से जो प्रश्न आता है, वही दिखाया जाएगा. देशभर में एक लाख लोग भी देखेंगे तो वही दिखेगा.
कैसे सेट होता है प्रश्न
मीडिया में ऐसी बातें भी आई है कि AI से प्रश्न जेनरेट हो रहे हैं. हर एक प्रश्न कोई एक्सपर्ट, जिसे हम एसएमई (सब्जेक्ट मैटर एक्सपर्ट) बोलते हैं. ये बैठकर प्रश्न तैयार करते हैं. फिर दूसरा आदमी इसको देखता है कि ये ठीक है कि नहीं. उसके बाद दूसरे टेबल में जाता है, जो उसको अनुवाद करता है. ज्यादातर एग्जाम हिंदी और अंग्रेजी में हैं. लेकिन, कुछ परीक्षाएं 15 भाषाओं में भी होती है. ऐसे में इन प्रश्नों को 30 से 35 लोग अनुवाद कर इसे क्लीयर करते हैं.
कहां हो रही हैं कमियां.
चेयरमैन ने बताया कि क्वेश्चन सेट करने कापूरा प्रोसेस डिजिटल है. ऐसे में कहीं-कहीं कुछ छोटी समस्याएं आ गईं. इस वजह से पिछले कुछ दिनों में कहीं-कहीं कुछ गड़बड़ी हो गई है. जैसे कुछ प्रश्नों का दो-दो विकल्प एक जैसा है. या फिर कहीं-कहीं ऐसा भी आया कि सवाल कुछ बोल रहे हैं और उत्तर के विकल्प कुछ और ही हैं. ये गलती तो हैं, ये होना चाहिए. लेकिन, ये टेक्निकल एरर है.
हम शुरुआती ऐसी संस्था है, जो डिजिटली प्रश्नों को ऐसे सेट करता है, जिसे कोई देख नहीं सकता है. प्रश्न को देखता है. प्रश्नपत्र तो डिजिटली निकलता है. एएससी ऐसी संस्था है, जहां आजतक 2019 के बाद पेपर लीक नहीं हुआ है. क्योंकि इसकी मैथडोलॉजी ऐसी ही बनाई गई है. क्योंकि, पेपर लीक होने के लिए पेपर चाहिए होता है, लेकिन, यहां पेपर है ही नहीं. पेपर का कोई प्रोग्राम है ही नहीं.
एग्जाम से कुछ मिनट पहले तैयार होता है प्रश्नपत्र
क्योंकि डिजिटल प्रोसेस में प्रश्न प्रिंट ही नहीं हो पाते. यहां एक डिजिटली एक वॉल्ट होता है. इसमें कई कई तरह के एग्जाम के प्रश्न होते हैं. बस किसी भी एग्जाम से पहले एक प्रोग्राम बनता है कि इस-इस सब्जेक्ट से इतनी मुश्किल और इतने आसान सवाल लेने हैं. फिर एग्जाम से कुछ मिनट पहले उस डिजिटल वॉल्ट से एक प्रोग्राम के जरिए उस टेस्ट के लिए प्रश्नपत्र तैयार कर लिया जाता है.
अगर आज 5.30 बजे एग्जाम है, तो 5.15 में वॉल्ट से क्वेश्चन निकलेगा और देशभर के सारे सेंटर पर डाउनलोड हो जाएगा. फिर 5.30 को जो बंदा पहला क्लिक करता है, तब ही कोई देख सकता है. उससे पहले कोई नहीं देख सकता. इसी वजह से लीक की संभावना एकदम से नहीं हैं.
चेयरमैन ने मालप्रैक्टिस की संभावना से इंकार नहीं किया
उन्होंने ये भी बताया कि पेपर तो लीक नहीं हो सकता, लेकिन मालप्रैक्टिस की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.कोई अगर मोबाइल लेकर सेंटर पर पहुंच गया है और स्क्रीनशॉट लेकर व्हाट्स ऐप कर रहा है तो ये गलत है.
आगे से स्टूडेंट्स को कोई परेशानी न हो इसको लेकर SSC की प्लानिंग क्या है. इसपर चेयरमैन ने विस्तार से जवाब दिया. SSC ने आधार बेस्ड वेरिफिकेशन शुरू किया है. जिसके चलते छात्रों को दिक्कत हो रही. कई छात्र फॉर्म नहीं फिल कर पाए. इसको SSC कैसे रिसॉल्व कर रहा है. इसपर भी बात हुई है.
बाउंसर और सेंटर मिसमैनेजमेंट की बात मानी
चेयरमैन ने सेंटर पर बाउंसरों की तैनाती को गलत बताया. उन्होंने कहा कि बाउंसर की तैनाती नहीं होनी है. जहां भी हुई थी उनसे बात की गई है. वहीं एग्जाम सेंटर 1200 किलोमीटर दूर दिए जाने की बात एक्सेप्ट करते हुए चेयरमैन ने सफाई दी. SSC स्टूडेंट और शिक्षकों की मांगों को कैसे रिसॉल्व करेंगे? इस पर भी चेयरमैन ने आगे का प्लान शेयर किया.
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