कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में पिछले साल बलात्कार और हत्या की शिकार हुई महिला ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता ने शनिवार को पश्चिम बंगाल सचिवालय (नबान्न) तक मार्च निकाला. इस दौरान कोलकाता पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को बैरिकेड्स लगाकर सचिवालय तक जाने से रोकने की कोशिश की, तो उन्होंने रास्ते में लगीं रुकावटें फांदकर नबान्ना की ओर मार्च करने का प्रयास किया.
इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प देखने को मिली. पीड़िता की मां ने आरोप लगाया कि पुलिस ने बिना उकसावे के उन पर हमला किया और उनकी चूड़ियां तोड़ दीं. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया, जिसमें बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी सहित कई भाजपा नेता शामिल थे. अधिकारी ने दावा किया कि भाजपा विधायकों पर लाठीचार्ज किया गया और पुलिस कार्रवाई में पीड़िता के माता-पिता घायल हो गए.
नबान्न तक जाना चाहते थे पीड़िता के माता-पिता
विरोध प्रदर्शन के दौरान, पीड़िता की मां ने कहा, ‘ममता बनर्जी की पुलिस ने बिना उकसावे के मेरे साथ मारपीट की, मेरी चूड़ियां तोड़ दीं. वे हमें क्यों रोक रहे हैं? हम बस सचिवालय पहुंचना चाहते हैं, अपनी बेटी के लिए न्याय मांगना चाहते हैं.’ तस्वीरों में पीड़िता के माता-पिता बैरिकेड्स के पीछे खड़े होकर पुलिस से पश्चिम बंगाल सचिवालय, नबन्ना की ओर मार्च करने की अनुमति मांगते हुए भी दिखाई दे रहे हैं. इस साल जनवरी में, विशेष सीबीआई अदालत ने कोलकाता पुलिस के एक सिविक वॉलंटियर संजय रॉय को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 31 वर्षीय ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के आरोप में दोषी ठहराया.
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यह घटना 9 अगस्त, 2024 को हुई थी, जब महिला डॉक्टर का शव अस्पताल के सेमिनार हॉल में अर्धनग्न अवस्था में मिला था. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि गला घोंटकर उसकी हत्या की गई थी. इस मामले को लेकर बड़े पैमाने पर जनआक्रोश को देखते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामला सीबीआई को सौंप दिया था. इस मामले में कॉलेज प्रिंसिपल को इस्तीफा देना पड़ा और राज्य सरकार की आलोचना भी हुई. इस घटना के एक वर्ष पूरे होने पर पीड़िता के माता-पिता ने प्रोटेस्ट मार्च निकाला. इस दौरान तब अशांति फैल गई, जब रैली निर्धारित विरोध स्थल से हटकर कोलकाता के व्यस्त इलाके पार्क स्ट्रीट की ओर बढ़ गई, जहां प्रदर्शनकारियों ने पश्चिम बंगाल सचिवालय की ओर मार्च करने के प्रयास में पुलिस बैरिकेड्स को तोड़ने का प्रयास किया.
भाजपा नेताओं ने पार्क स्ट्रीट क्रॉसिंग पर दिया धरना
‘नबान्न’ से सटे इलाकों में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई थी. हावड़ा और कोलकाता दोनों ही जगहों पर भारी भीड़ देखी गई. राज्य पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को पश्चिम बंगाल सचिवालय के आस-पास नहीं आने दिया. बंगाल पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद, सुवेंदु अधिकारी ने भाजपा नेता अग्निमित्रा पॉल और अन्य भाजपा विधायकों के साथ पार्क स्ट्रीट-जेएल नेहरू रोड क्रॉसिंग पर धरना दिया और आरोप लगाया कि पुलिस कार्रवाई में अधिकारी और अन्य भाजपा नेताओं समेत 100 से ज्यादा प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं. अधिकारी ने अपनी मांग दोहराई कि ममता सरकार को सत्ता से जाना चाहिए.
भाजपा नेता और पूर्व क्रिकेटर अशोक डिंडा ने कहा, ‘वह दिन दूर नहीं जब हमें पुलिस को भी पीटना पड़ेगा. उनकी जमकर पिटाई होगी. एक बार भाजपा ऊपर से निर्देश दे दे, तो हम पुलिस को इतना पीटेंगे कि उन्हें ममता बनर्जी के पीछे छिपना पड़ेगा.’ घटनास्थल से प्राप्त तस्वीरों में भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल और अन्य प्रदर्शनकारी बैरिकेड्स पर चढ़कर उन्हें हटाने की कोशिश करते हुए दिखाई दिए. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए, कोलकाता पुलिस ने पानी की बौछारें छोड़ीं, भारी बैरिकेड्स लगाए और प्रमुख सड़कों पर बड़े कंटेनर भी रख दिए. इस बीच, मार्च में शामिल प्रदर्शनकारियों का एक समूह शनिवार को हावड़ा जिले के संतरागाछी पहुंचा और पुलिस द्वारा लगाए गए लोहे के बैरिकेड्स को तोड़ने की कोशिश की.
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प्रदर्शनकारी बैरिकेड्स फांदने की कोशिश करते दिखे
पुलिस ने लाउडस्पीकरों के जरिए बार-बार चेतावनी जारी की और प्रदर्शनकारियों से कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया. इसके बावजूद, प्रदर्शनकारी 10 फुट ऊंचे बैरिकेड्स पर चढ़कर उन्हें फांदने की कोशिश करते देखे गए. हाजरा क्रॉसिंग से कालीघाट क्षेत्र में रविवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास तक एक और प्रोटेस्ट मार्च की योजना बनाई गई है. प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय ध्वज के साथ-साथ न्याय और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग वाले बैनर भी लिए हुए थे.
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