सैलाब की चपेट में आए उत्तरकाशी के इलाके 2 दिन बाद भी तबाही से मुक्त नहीं हो पाए हैं. बादल फटने के बाद आई बाढ़ के बाद से ऐसी तबाही हुई कि वहां से कनेक्टिविटी पूरी तरह खत्म हो गई थी. लेकिन अब भटवारी में राजमार्ग खुल गया है. रास्ता खुलते ही आजतक की टीम हर्षिल के आर्मी कैंप तक पहुंचने में कामयाब हो गई.
हर्षिल पहुंचे आजतक के संवाददाता मंजीत नेगी वहां का हाल बताया. बादल फटने के बाद बाढ़ का जो विकराल रूप सामने आया, उसे यहां का हाल देखकर आसानी से समझा जा सकता है. हर्षिल में मौजूद वो हाईवे जो गंगोत्री को जोड़ता है, वहां सिर्फ मलबा ही मलबा है और चारों तरफ तबाही के निशान नजर आ रहे हैं. गाड़ियां हो या ट्रक सब उलटे पड़े हैं.
टिन का चादरें, चाराई और दुकानों के बोर्ड पत्तों की तरह बिखरे पड़े हैं. मकान-दुकान सब बह गए हैं. यहां तक आर्मी का बेस कैंप, आर्मी की गाड़ियां और आर्मी के मेस का भी नामोनिशान मिट गया. अब यहां पर बड़े-बड़े पत्थर जगह-जगह नजर आ रहे हैं. गाड़ियां ऐसे टूटी पड़ी हैं, जैसे बच्चों के टूटे खिलौने हों. प्रलय का मंजर यहां साफतौर पर देखा जा सकता है.
आर्मी के बेस कैंप में 8 जवान और एक जेसीयू मौजूद थे, जो बाढ़ की चपेट में आए. अभी इनको ढूंढने का काम चल रहा है. हर्षिल में मौजूद आर्मी का मेस, जो करीब 12 फीट का था, वो अब आधे से ज्यादा जमीन के अंदर धंस चुका है. किचन का सामान तितर-बितर पड़ा है. कहीं बाल्टी नजर आ रही है तो कुछ बर्तन बिखरे नजर आ रहे हैं. मेस का दरवाजा जमीन के अंदर इतना घुस चुका है कि अब वो खिड़की जैसा लग रहा है.
आपको बता दें कि उत्तराकाशी ज़िले में तीन जगह विनाशकारी सैलाब आया. धराली, हर्षिल और सुखी टॉप. अब इन तीनों जगहों पर रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. रेस्क्यू ऑपरेशन में तरह-तरह की दिक्कतें आ रही हैं. सैलाब में जो भारतीय सेना के जवान लापता हुए हैं, उनकी तलाश भी अभी पूरी नहीं हो पाई है. कहा ये भी जा रहा है कि केरल के 28 टूरिस्ट् का ग्रुप धराली की घटना के बाद से लापता हैं. हालांकि हादसे के बाद से ही राहत बचाव का काम युद्ध स्तर पर जारी है.
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