अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत सहित कई देशों पर लगाए गए नए टैरिफ नियम आज, गुरुवार से लागू हो रहे हैं. इन “रेसिप्रोकल” टैरिफ का असर सीधे तौर पर भारत के निर्यात, व्यापारिक संबंधों और आम उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है.
ट्रंप ने पहली बार 2 अप्रैल 2025 को इन टैरिफ की घोषणा की थी. हालांकि, वॉल स्ट्रीट और रिपब्लिकन नेताओं के दबाव के चलते एक हफ्ते बाद ही उन्होंने 90 दिनों की एक्सटेंशन दे दी थी. जुलाई की शुरुआत में खत्म होने वाली इस अवधि को 1 अगस्त तक फिर से बढ़ा दिया गया था, और अब 7 अगस्त यानी आज से ये टैरिफ लागू हो रहे हैं.
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30 जुलाई 2025 को ट्रंप ने भारत से आयात होने वाले सामानों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी. इसके बाद 6 अगस्त को उन्होंने एक और बड़ा फैसला लिया और भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया. ट्रंप ने इसका कारण भारत द्वारा रूस से सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से कच्चे तेल की खरीद को बताया. इस फैसले के बाद अब भारत पर कुल 50% टैरिफ लागू होगा.
शुरुआती 25% टैरिफ 7 अगस्त 2025 से लागू हो रहा है, जबकि अतिरिक्त 25% टैरिफ 21 दिन बाद, यानी 27 अगस्त से लागू होगा. यह पहली बार है जब ट्रंप ने “सेकेंडरी टैरिफ” का इस्तेमाल किसी ऐसे देश पर किया है जो रूस से व्यापार कर रहा है.
भारत की आधिकारिक प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने अमेरिका के इस फैसले की कड़ी निंदा की है. विदेश मंत्रालय (MEA) ने बयान जारी कर कहा कि अमेरिका का यह कदम “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण” है और भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. भारत ने स्पष्ट किया कि उसकी तेल आयात नीति पूरी तरह बाजार आधारित है और इसका उद्देश्य 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है.
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विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि कई अन्य देश भी इसी तरह अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए व्यापार कर रहे हैं, इसलिए केवल भारत को निशाना बनाना “अनुचित, अन्यायपूर्ण” है. भारत ने यह दोहराया कि वह अपने हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा.
ट्रंप का टैरिफ लागू होने के बाद आगे क्या?
इन टैरिफ्स के लागू होने के बाद भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ना तय है. भारतीय कंपनियों पर अतिरिक्त आर्थिक दबाव पड़ सकता है और इसका असर व्यापारियों तक भी पहुंच सकता है. आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि भारत इस मुद्दे को किस तरह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता है और अमेरिका के साथ डिप्लोमैटिक स्तर पर बातचीत किस दिशा में जाती है.
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