अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने बुधवार को रूसी तेल (Russia Oil) की खरीद पर लगाए गए 25 फीसदी एक्स्ट्रा टैरिफ के बावजूद, भारत प्रस्तावित व्यापार समझौते पर अमेरिका के साथ बातचीत जारी रखेगा. बिजनेस टुडे की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि भारत द्विपक्षीय व्यापार समझौता करेगा, लेकिन एग्रीकल्चर, डेयरी और कच्चे तेल को लेकर पीछे नहीं हटेगा.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी टीम के साथ छठे दौर की वार्ता इस महीने के अंत में 25 अगस्त से शुरू होगी. वार्ता में सफलता मिलने की उम्मीद बनी हुई है. जबकि अमेरिका ने भारत पर व्यापार समझौते को लेकर दबाव बढ़ाने के लिए 25 फीसदी एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, यह उसकी रणनीति का हिस्सा है.
भारत नहीं करेगा इन चीजों से समझौता
सूत्रों ने संकेत दिया है कि अमेरिका और भारत दोनों ही बातचीत में सफलता की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन भारत कृषि और डेयरी क्षेत्र में कोई समझौता नहीं करेगा. वहीं यह भी खबर है कि सरकार प्रस्तावित टैरिफ के प्रभाव को समझने के लिए अलग-अलग मंत्रालयों और अन्य से फीडबैक ले रही है. साथ ही यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि व्यापार वार्ता के तहत देश अमेरिका को क्या अतिरिक्त प्रोत्साहन दे सकता है.
सरकार का क्या है प्लान?
इस बीच, केंद्र सरकार टैरिफ बढ़ोतरी के असर से निपट ने के लिए एक्सपोर्टर को मदद देने पर भी विचार कर रही है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल पिछले सप्ताह के दौरान एक्स्पोर्टस से मिलकर उनकी जरूरतों को समझ चुके हैं. हालांकि इसके बावजूद सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) पर टैरिफ के प्रभाव को लेकर चिंताएं हैं, जिनमें से कई पूरी तरह से एक्सपोर्ट पर ही निर्भर हैं.
नोमुरा की रिपोर्ट में बड़े खतरे का संकेत
फिलहाल, फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स आयात शुल्क से मुक्त हैं. नोमुरा ने एक नोट में कहा है कि भारत पर 50% अमेरिकी टैरिफ दर पहले के 18.8% से बढ़कर 33.8% हो गई है. साथ ही, अगर यह लागू होता है, तो यह व्यापार प्रतिबंध जैसा होगा और इससे प्रभावित निर्यात उत्पादों पर अचानक रोक लग जाएगी.
नोमुरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कई इंडस्ट्रीज (कपड़ा, रत्न और आभूषण) में कम मार्जिन से परिचालन खतरे में पड़ सकता है. खासकर छोटी कंपनियों का, जिन्हें कम्पटिशन करने में कठिनाई हो रही है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि प्रभावी टैरिफ दर भारत पर चीन के समान और आसियान अर्थव्यवस्थाओं (19-20%) की तुलना में बहुत अधिक बोझ डालती है, जिससे भारत के सामान काफी नुकसान में रहेंगे.
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