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    एन्क्रिप्टेड चैट, हवाला पेमेंट और नकली पैकिंग… कई राज्यों में ऐसे चल रहा था नकली जीवन रक्षक दवाओं का सिंडिकेट

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    दिल्ली पुलिस ने नकली जीवन रक्षक दवाओं के एक बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है. इस रैकेट के मास्टरमाइंड सहित छह आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी प्रतिष्ठित मेडिकल कंपनियों के नाम पर फर्जी दवाओं का निर्माण करके बेंच रहे थे. गिरफ्तार आरोपियों की पहचान राजेश मिश्रा (52), परमानंद (50), मोहम्मद आलम (35), मोहम्मद सलीम (42), मोहम्मद जुवैर (29) और प्रेम शंकर प्रजापति (25) के रूप में हुई है. उन सभी से पुलिस हिरासत में पूछताछ की जा रही है.

    डीसीपी (क्राइम) हर्ष इंदौरा ने बताया कि ये सिंडिकेट सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके सप्लायर और ग्राहकों से जुड़ता था. पैसों का लेन-देन हवाला और फर्जी खातों का इस्तेमाल करता था. इस रैकेट से जुड़े लोग जॉनसन एंड जॉनसन, ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन और एल्केम जैसी मशहूर दवा कंपनियों के ब्रैंडनेम पर नकली दवाएं तैयार कर रहे थे. सिंडिकेट ग्राहकों और सप्लायर तक पहुंचने के लिए सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल हो रहा था.

    डीसीपी ने बताया कि आरोपियों के मोबाइल फोन में ‘कोमल जी करनाल’, ‘अमित जैन स्किनशाइन दिल्ली’, ‘पप्पी भैया जीकेपी’ जैसे उपनाम मिले, जो नेटवर्क को छिपाने की साजिश की ओर इशारा करते हैं. छापेमारी में हरियाणा के जींद और हिमाचल प्रदेश के बद्दी स्थित दो गुप्त फैक्ट्रियां पकड़ी गईं. यहां अल्ट्रासेट, ऑगमेंटिन 625, पैन-40 और बेटनोवेट-एन स्किन क्रीम जैसी नकली दवाएं बनाई जा रही थीं. परमानंद नामक व्यक्ति जींद में लक्ष्मी मां फार्मा नाम से यूनिट चला रहा था. उसके पास लाइसेंस नहीं था. 

    यूपी, यूके से लेकर एचपी तक नेटवर्क

    पुलिस के मुताबिक नकली पैकेजिंग बॉक्स नेहा शर्मा और पंकज शर्मा के जरिए आते थे, जबकि ब्लिस्टर पैकिंग सामग्री गोविंद मिश्रा के जरिए बद्दी से लाई जाती थी. दवाएं बनने के बाद गोरखपुर भेजी जातीं और वहां से स्थानीय डीलरों तक पहुंचाई जाती थीं. गोरखपुर का रहने वाला राजेश मिश्रा पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड था. वह एन्क्रिप्टेड ऐप्स और बेनामी खातों के जरिए उत्पादन और वितरण को नियंत्रित करता था. मुरादाबाद के मोहम्मद आलम और मोहम्मद सलीम परिवहन और सप्लाई का काम देखते थे. 

    ऐसे पकड़ा नकली दवाओं का गिरोह

    इसके साथ ही जुवैर को सप्लायर की भूमिका में जोड़ा गया था, जबकि प्रेम शंकर प्रजापति ट्रांसपोर्टर के तौर पर यूनिट और वितरकों के बीच कड़ी था. 30 जुलाई को पुलिस को सूचना मिली कि नकली दवाओं की बड़ी खेप दिल्ली पहुंच रही है. सिविल लाइंस स्थित एक पेट्रोल पंप पर कार को रोका गया. उसमें सवार मोहम्मद आलम और मोहम्मद सलीम पकड़े गए. उनके पास से नकली दवाओं का जखीरा मिला. मौके पर बुलाए गए जॉनसन एंड जॉनसन और जीएसके के विशेषज्ञों ने पुष्टि कर दी कि दवाएं नकली हैं.

    भारी मात्रा में जब्त हुई नकली दवाएं

    पुलिस ने छापेमारी में अल्ट्रासेट (9015 गोलियां), ऑगमेंटिन 625 (6100 गोलियां), पैन-40 (1200 गोलियां), बेटनोवेट-एन क्रीम (1166 ट्यूबें), एमोक्सिसिलिन (25650 गोलियां), पीसीएम (5900 गोलियां), पैन-डीएसआर (2700 गोलियां), स्टेरॉयड इंजेक्शन कैनाकोर्ट (74 डिब्बे), प्रोयको स्पास (12000 गोलियां) और अन्य दवाओं का स्टॉक बरामद किया है. इसके अलावा पैकिंग मशीन, 150 किलो खुली गोलियां, 20 किलो कैप्सूल और असली ब्रांड की नकल के लिए सैकड़ों खाली डिब्बे भी बरामद हुए हैं.

    लोगो के स्वास्थ्य के साथ बड़ा खिलवाड़

    डीसीपी हर्ष इंदौरा ने कहा कि जब्त की गई दवाएं लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा थीं. ये संक्रमण, दर्द और अन्य बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं की नकली नकल थीं, जो मरीजों की जान जोखिम में डाल सकती थीं. फिलहाल पुलिस कच्चे माल के स्रोत, वित्तीय नेटवर्क और अन्य सहयोगियों की तलाश में जुटी है. यह रैकेट उत्तर प्रदेश, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश समेत कई राज्यों में फैला हुआ था. पुलिस का मानना है कि जल्द ही और भी लोगों की गिरफ्तारियां हो सकती हैं.

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