उत्तराखंड के धराली में बादल फटने से तबाही मच गई और ऐसी तबाही कि पूरा खीर गंगा नाम का गांव सैलाब में बह गया. चीख-पुकार मच गई, देखते ही देखते पूरा गांव मलबे में दफन हो गया. 20 से 25 होटल और होम स्टे तबाह गए. खीर गंगा गंगोत्री धाम का अहम पड़ाव है और ये इलाका मां गंगा के मायके मुखबा के बेहद करीब है. जिस तरह से धराली में बादल फटने से तबाही आई है, उसे देखकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं.
धराली में कुदरत की 58 सेकेंड की तबाही ने जो मंज़र पेश किया, वो ना सिर्फ खौफनाक है, बल्कि ये भी बताता है कि कुदरत जब तबाही लेकर आती है, तो सीमेंट और ईटों से बनी पक्की इमारतें भी तिनके की तरह बह जाती हैं और मलबे में मिल जाती हैं. सैलाब को देखकर लोग भागते नजर आए, लेकिन सैलाब की रफ्तार लोगों की रफ्तार से तेज़ थी. इमारतों को मलबा बनाता हुआ सैलाब लोगों को भागने का मौका तक नहीं देता. देखते ही देखते एक गुबार उठता है और पूरा इलाका मलबे में दफन हो गया.
जिसने भी तबाही का ये मंज़र देखा, उसके दिल में खौफ बैठ गया. लोगों के ज़हन से ये मंज़र निकल नहीं पा रहा है. धराली गंगा नदी के तट पर बसा हुआ है, ये समुद्र तल से लगभग 2700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और हिमालय की गोद में बसा होने के कारण ये पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र है.
ये भी पढ़ें- बादल फटा, ग्लेशियर टूटा या कोई और वजह… कहां-कहां जुड़ रहे धराली में मची तबाही के तार
धराली को मां गंगा का मायका यानी मुखबा के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि गंगोत्री मंदिर सर्दियों में बंद होने पर मां गंगा की मूर्ति को मुखबा गांव में लाया जाता है, जो धराली के पास है और इसी धराली के खीर गंगा गांव में बादल फटने से जो तबाही आई, उसने पूरे खीर गंगा इलाके को मलबे में मिलाकर रख दिया है. हर कोई मां गंगा के रौद्र रूप से कांप उठा है, हर तरफ विनाश की तस्वीरें हैं.
मौसम बना रेस्क्यू में बाधा
अब रेस्क्यू टीमें मलबे में दबे लोगों को बचाने में जुट गई हैं, लेकिन मौसम इतना घातक बना हुआ है कि रेस्क्यू करना भी आसान नहीं है. फिर भी भारतीय सेना, NDRF, SDRF, ITBP और पुलिस की टीमें साथ मिलकर बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि सिर्फ धराली के अकेले खीर गंगा गांव में ही बादल नहीं फटा है, बल्कि धराली में 3 अलग-अलग जगहों पर बादल फटे हैं. हालात ये हैं कि उत्तराखंड का ये उत्तरकाशी ज़िला कुदरत की भयंकर त्रासदी झेल रहा है.
गंगोत्री धाम से 10 KM दूर है धराली
गंगोत्री धाम से धराली 10 किलोमीटर दूर है, जो उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में आता है. साथ ही ये इलाका हर्षिल स्थित भारतीय सेना शिविर से लगभग 4 किलोमीटर दूर है. दोपहर करीब पौने दो बजे का वक्त था, अचानक बादल फटने की आवाज़ आई और उसके बाद लोगों ने तबाही का सैलाब आते हुए देखा. इस सैलाब की रफ्तार इतनी तेज़ थी कि आप अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते.
12600 फीट की ऊंचाई पर बादल फटा
एक्सपर्ट की मानें तो सैलाब की रफ्तार 43 किलोमीटर प्रति घंटा थी. क्योंकि करीब 12 हज़ार 600 फीट की ऊंचाई पर बादल फटा. उसके बाद पानी और भूस्खलन से मिले पहाड़ के पत्थर सैलाब में मिले और फिर कभी ना भूलने वाली आपदा आई. जो भी इस सैलाब के रास्ते में आया, सबकुछ मलबा बनता हुआ चला गया.
ये भी पढ़ें- हेलीपैड बहा, हर्षिल में सेना कैंप भी चपेट में आया, कई जवान लापता… हादसे के वक्त धराली में मौजूद थे 200 लोग!
उत्तराखंड से दिल्ली तक हाहाकार
धराली में ये बादल फटा और उत्तराखंड से दिल्ली तक हाहाकार मच गया. दिल्ली से उत्तराखंड तक रेक्स्यू टीमें ऑपरेशन लाइफ के लिए निकल पड़ीं. खुद प्रधानमंत्री मोदी इस आपदा के बारे में सीधे सीएम धामी से जानकारी ली और हादसे पर अफसोस जताया. धराली के खीर गंगा गांव में रेस्क्यू टीमें निकलीं, तभी धराली के पास सुखी टॉप में एक और बादल फटने की घटना हुई, क्योंकि धराली के हर्षिल बेहद करीब है और हर्षिल में भारतीय सेना का कैंप भी है. ऐसे में वहां से भी नुकसान की खबरें आईं, लेकिन आपदा वाले इलाके से भारतीय सेना का शिविर करीब होने से अच्छा ये हुआ कि फौरन सेना ने रेस्क्यू का काम शुरू कर दिया. भारतीय सेना ने कई लोगों को बचाकर अस्पताल तक पहुंचाया.
सेंसर से हो रहा रेस्क्यू
बता दें कि MI-17 और चिनूक से लेकर 7 हेलिकॉप्टर रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए तैयार हैं, लेकिन सैलाब ने एक हेलिपैड भी तबाह कर दिया. सैलाब के साथ मलबा बहुत ज़्यादा आया और इमारतें मिट्टी में दफन हो गईं. लिहाज़ा रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए तकनीक का सहारा लिया जा रहा है. अब मलबे में दबे हुए लोगों को सेंसर के ज़रिए खोजा जा रहा है. भारतीय सेना की आईबेक्स ब्रिगेड भी रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गई है. लेकिन बारिश की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कत आ रही है. SDRF की मानें तो धराली काफी भूगर्भीय चुनौती वाली जगह है. वहां राहत बचाव का काम करना बहुत मुश्किल टास्क है. ऊपर से बारिश भी बाधा बनी हुई है.
बादल आखिर कैसे फटते हैं?
बादल का फटना एक खतरनाक प्राकृतिक आपदा है. ये अचानक होती है और भारी नुकसान पहुंचाती है. भारत में ये जून से दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान होती है. इसका अनुमान लगाना मुश्किल है. ये भारी बारिश की वजह से होता है. इससे अचानक बाढ़ और कटाव होता है. बता दें कि जब गर्म हवा जमीन से बादलों की ओर उठती है, और बारिश की बूंदों को ऊपर ले जाती है. इससे बारिश ठीक से नहीं हो पाती और बादलों में बहुत ज्यादा नमी जमा हो जाती है. वहीं, जब ऊपर की ओर जाने वाली हवा कमजोर हो जाती है, तब बादल में जमा सारा पानी एक साथ बहुत तेजी से नीचे गिरता है और इसी घटना को बादल का फटना कहा जाता है.
—- समाप्त —-