भारत और इंग्लैंड के बीच एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी 2025 का आखिरी मुकाबला लंदन के ओवल क्रिकेट ग्राउंड पर खेला गया, जिसमें मेहमान टीम ने 6 रनों से रोमांचक जीत दर्ज की. इस जीत के साथ ही भारतीय टीम ने पांच मैचों की टेस्ट सीरीज को 2-2 से ड्रॉ करा लिया. भारतीय टीम सीरीज तो नहीं जीत पाई. लेकिन सबसे बड़ी बात ये रही की इस टूर के जरिए यंग ब्रिगेड ने खुद को एक मजबूत, आत्मविश्वासी और जुझारू टीम के रूप में स्थापित किया.
विराट कोहली और रोहित शर्मा के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भारतीय टीम की क्रिकेट के सबसे बड़े फॉर्मेट में ये पहली सीरीज रही. इन दो दिग्गजों की गैरमौजूदगी में भी भारतीय टीम ने मैदान पर जो जज्बा दिखाया, वो काफी लंबे समय तक याद रखा जाएगा. दोनों दिग्गजों की कमी उतनी ज्यादा महसूस नहीं हुई. भारतीय टीम के लिए टेस्ट सीरीज से कुछ पॉजिटिव पॉइंट्स निकलकर सामने आए...
शुभमन की कप्तानी में दिखा दम: शुभमन गिल ने बतौर कप्तान अपनी पहली ही टेस्ट सीरीज में सबको प्रभावित किया. शुभमन की कप्तानी ओवरऑल अच्छी रही. चाहे रिव्यू लेना हो, फील्डिंग सजानी हो या फिर कप्तानी में आक्रामकता दिखानी हो, गिल ने हर मोर्चे पर साहस दिखाया. शुभमन समय के साथ कप्तान के तौर पर और अच्छे होते जाएंगे. शुभमन के लिए सबसे बड़ी जीत ये रही कि उन्होंने इस युवा टीम में हार नहीं मानने वाली सोच भर दी. कप्तानी का प्रेशर तो शुभमन की बैटिंग में बिल्कुल भी नहीं देखने को मिला और वो इस सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे. शुभमन ने 75.40 की औसत से 754 रन बनाए, जिसमें चार शतक शामिल रहे.
बुमराह के बिना भी भारत की गेंदबाजी दमदार: जसप्रीत बुमराह ने वर्कलोड मैनेजमेंट के तहत इस सीरीज में दो मुकाबले नहीं खेले. पहले उन्होंने एजबेस्टन टेस्ट मैच मिस किया, जहां भारतीय टीम ने 336 रनों से जीत दर्ज की. इसके बाद बुमराह ओवल टेस्ट मैच का भी हिस्सा नहीं थे, जहां भारतीय टीम ने ऐतिहासिक जीत हसिल की. जिन दो मैचों में बुमराह नहीं खेले, वहां उनकी अनुपस्थिति में बाकी के तेज गेंदबाजों ने दमखम दिखाया. मोहम्मद सिराज ने पहले एजबेस्टन टेस्ट मैच में पारी में पांच विकेट लिए. फिर ओवल टेस्ट मैच में भी उन्होंने ‘पंजा’ खोला. इस दौरान आकाश दीप और प्रसिद्ध कृष्णा ने मोहम्मद सिराज का बखूबी साथ निभाया. आकाश दीप ने एजबेस्टन टेस्ट में 10 विकेट झटके. वहीं प्रसिद्ध ने ओवल टेस्ट मैच में 8 विकेट नाम किया. भारतीय टीम ने बता दिया है कि वो किसी एक गेंदबाज पर ही निर्भर नहीं है, सब अपना-अपना रोल बखूबी निभाते हैं.
स्पिन ऑलराउंडरों ने संघर्ष के बीच दिखाई चमक: भारतीय टीम के इस शानदार प्रदर्शन में रवींद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर जैसे ऑलराउंड खिलाड़ियों के योगदान को बिल्कुल भी नकारा नहीं जा सकता है. दोनों ने बल्ले से अहम पारियां खेलीं और कुछ विकेट भी चटकाए. जडेजा को तो बल्ले से शानदार प्रदर्शन रहा और उन्होंने 86.00 की औसत से 516 रन बनाए, जिसमें 1 शतक और 5 अर्धशतक शामिल रहे. सुंदर और जडेजा की जोड़ी ने मैनचेस्टर टेस्ट में बल्ले से जो प्रदर्शन किया, वो तो काबिलेतारीफ था. उस टेस्ट में इन दोनों खिलाड़ियों ने नाबाद शतक जड़े थे, जिसके कारण भारत मुकाबले को ड्रॉ कराने में सफल रहा. जडेजा तो अपने टेस्ट करियर के आखिरी स्टेज में हैं, लेकिन वॉशिंगटन सुंदर लंबी रेस का घोड़ा साबित होने वाले हैं.
इंग्लैंड के खिलाफ इस टेस्ट सीरीज ने दिखा दिया है कि भारत के पास अब बेंच स्ट्रेंथ ही नहीं, बल्कि टेस्ट क्रिकेट में जीत दिलाने वाला यंग कोर ग्रुप भी है. भले ही यह सीरीज ड्रॉ रही हो, लेकिन भारतीय टीम ने इंग्लैंड में खुद को साबित कर दिखाया. भारतीय टीम ने फिर बताया है कि वो ना सिर्फ लड़ सकती है, बल्कि विदेशी मैदानों पर जीत भी हासिल कर सकती है…
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