अमेरिका में हुए क्रिप्टो फ्रॉड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है. ईडी ने अमेरिका में गिरफ्तार भारतीय नागरिक चिराग तोमर की 42.8 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क कर ली है.
तोमर पर आरोप है कि उसने क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइनबेस की नकल करने वाली एक फर्जी वेबसाइट बनाकर 2 करोड़ अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 166 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है.
प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार को बताया कि अस्थायी कुर्की आदेश 2 अगस्त को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत पारित किया गया. कुर्क की गई संपत्तियों में दिल्ली स्थित 18 अचल संपत्तियां और तोमर के परिवार के बैंक खातों में जमा रकम शामिल है.
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब सामने आया कि चिराग तोमर को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया है.
आरोप है कि उसने नकली क्रिप्टो एक्सचेंज साइट बनाकर सैकड़ों लोगों को ठगा है. फिलहाल अमेरिका की जेल में बंद है. ईडी ने बताया कि चिराग तोमर और उसके साथियों ने सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (एसईओ) तकनीक का इस्तेमाल किया.
कोई जब कॉइनबेस को ऑनलाइन सर्च करता, तो उसकी बनाई फर्जी वेबसाइट असली से ऊपर दिखाई देती, जो हूबहू कॉइनबेस जैसी थी.
क्रिप्टो फ्रॉड गैंग की मोडस ऑपरेंडी
लोग जब इस नकली वेबसाइट पर अपने लॉगिन क्रेडेंशियल डालते, तो उन्हें एरर मैसेज दिखाया जाता. इसके बाद पीड़ित लोग वेबसाइट पर दिए गए कस्टमर केयर नंबर पर कॉल करते. लेकिन असल में यह कॉल तोमर द्वारा संचालित कॉल सेंटर से जुड़ती थी.
वहां से जालसाज सीधे पीड़ित के अकाउंट्स तक पहुंच जाते और उनकी क्रिप्टो होल्डिंग्स को अपने वॉलेट में ट्रांसफर कर लेते.
ईडी ने 18 अचल संपत्तियां की कुर्क
ईडी ने कहा कि चोरी की गई क्रिप्टोकरेंसी को विभिन्न प्लेटफॉर्म पर बेचकर उसे भारतीय रुपए में बदला गया. यही रकम बाद में चिराग तोमर और उसके परिवार के खातों में जमा की गई. उससे दिल्ली में कई प्रॉपर्टीज खरीदी गईं.
जांच एजेंसी ने साफ किया है कि कुर्क की गई संपत्तियों की कुल कीमत 42.8 करोड़ रुपए आंकी गई है. इनमें बैंक जमा के अलावा 18 अचल संपत्तियां शामिल हैं.
सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ी
क्रिप्टोकरेंसी की आड़ में हाई-प्रोफाइल धोखाधड़ी मामलों ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है. फिलहाल ईडी आगे की जांच कर रही है कि इस धोखाधड़ी नेटवर्क से और कौन-कौन जुड़े थे और कितने और पीड़ित इसके शिकार हुए हैं.
बताते चलें कि इससे पहले दिल्ली में एक बड़े साइबर क्राइम सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया गया. साइबर ठग खुद को बैंक अधिकारी बताकर ठगी करते थे.
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