अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव के बीच शुरू हुई जुबानी जंग खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई है. ये सब ट्रंप के उस बयान से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत और रूस मिलकर अपनी डेड इकोनॉमी को तबाह कर सकते हैं.
इस बयान के बाद रूसी सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने ‘डेड हैंड’ (मृत हाथ) का जिक्र किया.दरअसल, ‘डेड हैंड’ एक ऐसी व्यवस्था थी जिसे सोवियत संघ (अब रूस) ने कोल्ड वॉर के समय बनाई थी. ये एक स्वचालित प्रणाली थी, जो सोवियत संघ पर हमला होने पर अपने आप ही जवाबी परमाणु हमला कर देती थी, भले ही उसका नेतृत्व अक्षम हो.मेदवेदेव का ये बयान शीत युद्ध के समय के परमाणु तनाव को फिर से याद दिलाने वाला है.
मेदवेदेव की ट्रंप को चेतावनी
पुतिन के सहयोगी मेदवेदेव ने अपने टेलीग्राम चैनल पर लिखा कि जहां तक भारत और रूस की ‘डेड इकोनॉमी’ और ‘खतरनाक क्षेत्र में दाखिल होने’ का सवाल है, तो ट्रंप को अपनी पसंदीदा ‘द वॉकिंग डेड’ जैसी फिल्में याद करनी चाहिए. साथ ही उन्हें ये भी याद रखना चाहिए कि ‘डेड हैंड’ कितना खतरनाक हो सकता है.
कैसे शुरू हुआ विवाद?
ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की. इसके साथ ही उन्होंने मेदवेदेव और रूस दोनों पर निशाना साधते हुए कहा कि रूस के असफल पूर्व राष्ट्रपति मेदवेदेव जो खुद को अभी भी राष्ट्रपति समझते हैं, उनसे कहो कि वे अपनी बातों पर ध्यान दें, वे बहुत खतरनाक क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं.
पहले क्या कहा था मेदवेदेव ने?
ये प्रतिक्रिया मेदवेदेव के उस बयान के बाद आई, जिसमें उन्होंने ट्रंप द्वारा रूस को 50 दिन की सीज़फायर डेडलाइन को घटाकर 10–12 दिन करने की चेतावनी को युद्ध के संकेत जैसा बताया था. उन्होंने कहा था कि ट्रंप रूस के साथ अल्टीमेटम का खेल खेल रहे हैं. हर नया अल्टीमेटम एक ख़तरा और युद्ध की ओर एक कदम है.
अमेरिका का ब्रिक्स देशों पर हमला
रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने फॉक्स न्यूज से कहा था कि अगर भारत, चीन और ब्राज़ील जैसे ब्रिक्स देश सस्ता रूसी तेल खरीदते रहेंगे, तो अमेरिका उनकी अर्थव्यवस्थाओं को तबाह कर देगा. उन्होंने आगे कहा कि अगर आपने रूसी तेल खरीदना जारी रखा, तो हम आप पर कहर बरपाएंगे और आपकी अर्थव्यवस्था को कुचल देंगे. वहीं, ट्रंप पहले ही ब्रिक्स को अमेरिकी डॉलर को चुनौती देने वाला गठबंधन बता चुके हैं और उन पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की बात कर चुके हैं.
पुतिन अब तक चुप, लेकिन रूस सतर्क
पूरे घटनाक्रम पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है, जबकि उनके सहयोगी बयानबाज़ी तेज़ कर रहे हैं. क्रेमलिन ने कहा है कि वह स्थिति पर कड़ी नज़र रख रहा है, क्योंकि अमेरिका ने 2008 के बाद पहली बार ब्रिटेन में परमाणु हथियार तैनात किए हैं.
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