उत्तर प्रदेश में स्कूलों को मर्जर करने के फैसले में बदलाव किया गया है. दरअसल, लखनऊ में बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह और एपीसी दीपक कुमार ने बताया है कि 50 से ज्यादा छात्रों वाले स्कूल मर्जर से बाहर रहेंगे. इसके अलावा एक किलोमीटर के दायरे के बाहर के स्कूल मर्ज नहीं होंगे. इसके साथ ही वो स्कूल भी मर्जर की कैटेगरी में नहीं आएंगे, जो हाईवे, नदी, रेलवे क्रॉसिंग के पार के होंगे. इसके साथ ही ये भी बताया गया है कि अब खाली हुई स्कूल बिल्डिंग में आंगनवाड़ी केंद्र या बालवाटिका चलाई जाएंगी.
मंत्री संदीप सिंह और एपीसी दीपक कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि शिक्षकों की उपलब्धता और छात्रों की संख्या को ध्यान में रखकर व्यवस्था बनाई जा रही है. बता दें कि अब 1 किलोमीटर से अधिक दूरी वाले विद्यालयों की पेयरिंग नहीं होगी. 30 छात्रों पर 1 शिक्षक का मानक रखा गया है और 50 से कम छात्रों वाले विद्यालयों को ही पेयर किया जा रहा है. प्रदेश में 1,32,886 बेसिक विद्यालय हैं और सभी विद्यालय पूरी तरह चालू रहेंगे.
फैसला किया गया है कि जहां दिक्कत होगी वहां विद्यालयों को पेयर नहीं किया जाएगा. एक महीने में यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी और शिक्षकों का कोई भी पद समाप्त नहीं होगा. खाली हुए विद्यालयों में प्री-प्राइमरी और बाल वाटिका की गतिविधियां संचालित होंगी. 20 हजार शिक्षकों का समायोजन उनकी सहमति से किया गया है. अभिभावकों की शिकायतों को हर जिले में सुना जा रहा है.
यूपी शिक्षा में कर रहा बेहतर प्रदर्शन
साथ ही उन्होंने कहा कि ऑपरेशन कायाकल्प के तहत बेसिक विद्यालयों में बड़े पैमाने पर काम किया गया है. अब तक 27 लाख 53 हजार बच्चों का नामांकन किया जा चुका है. सबसे ज्यादा चर्चा का विषय विद्यालयों की पेयरिंग है, जिस पर लंबे समय से समीक्षा चल रही थी. राजस्थान में 20 हजार और मध्य प्रदेश में 36 हजार विद्यालयों की पेयरिंग हो चुकी है. यूपी में 10 हजार विद्यालयों को चिन्हित कर पेयरिंग की जा रही है, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इसका लाभ बच्चों तक पहुंचे.
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू हुए 5 साल हो चुके हैं उत्तर प्रदेश ज्यादातर नीतियों में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है. संदीप सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुपालन में लगातार काम हो रहा है और पिछले 8 सालों में शिक्षा व्यवस्था में जमीन-आसमान का अंतर देखने को मिला है. संदीप सिंह ने कहा कि विरोधी दलों के शासनकाल में शिक्षा व्यवस्था ‘स्ट्रेचर’ पर आ गई थी, लेकिन मौजूदा सरकार ने इसे सुधारने का काम किया है. महिला शिक्षामित्रों को उनके निकटतम स्थान पर तैनात करने की व्यवस्था की गई है.
सांसद धर्मेंद्र यादव ने संसद में उठाया था मुद्दा
समाजवादी पार्टी के सांसद और लोकसभा में सपा के मुख्य सचेतक धर्मेंद्र यादव ने संसद में उत्तर प्रदेश में प्राथमिक स्कूलों के मर्जर का मामला उठाया. धर्मेंद्र यादव ने कहा कि दलितों पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने की साजिश हो रही है ताकि यह समाज खड़ा ही ना हो सके. उन्होंने कहा, ‘एक तरफ 5000 स्कूल मर्जर किया जा रहे हैं दूसरी तरफ 27000 से ज्यादा दारू के ठेके खोले गए. ये सरकार नहीं चाहती कि गरीबों के बच्चे पढ़ें. एक तरफ गरीब और वंचित बच्चों को शिक्षा से वंचित करने की साजिश रची जा रही है. दूसरी तरफ 2 लाख शिक्षकों की नियुक्ति भी यह सरकार टाल चुकी है.
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